भारत ने आगामी 26 जनवरी, 2023 को गणतंत्र दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फ़तेह अल सीसी को निमंत्रण भेजा है। इससे पहले वर्ष 2021 और 2022 में कोरोना पाबंदियों के चलते किसी राष्ट्राध्यक्ष को नहीं बुलाया जा सका था।
राष्ट्रपति अल सीसी वर्ष 2016 में भी एक बार भारत की यात्रा पर आ चुके हैं। उत्तरी अफ्रीका में स्थित मिस्र सामरिक और आर्थिक दृष्टि से काफी अहम है।
भारत का मिस्र के राष्ट्रपति को बुलाना, सरकार के अफ्रीका में अपने हितों की रक्षा और कूटनीतिक रिश्तों को मजबूत करने की दिशा में एक कदम के तौर पर देखा जा रहा है।
इसके अतिरिक्त भारत, मिस्र के साथ रक्षा क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ाना चाहता है। स्वदेशी विमान तेजस के लिए मिस्र खरीददार बन सकता है।
मिस्र के पास कच्चे तेल का भी काफी बड़ा रिजर्व है। इसी के साथ मिस्र की भौगौलिक स्थिति महत्वपूर्ण है। ऐसे में राष्ट्रपति अल सीसी को निमंत्रण कूटनीतिक और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
कौन हैं मिस्र के राष्ट्रपति अल सीसी?
अब्दुल फ़तेह अल सीसी वर्ष 2014 में मिस्र के राष्ट्रपति बने थे। 68 वर्षीय अल सीसी राष्ट्रपति बनने से पहले अपने देश की सेना के कमांडर इन चीफ तथा 2011 की क्रान्ति के बाद राष्ट्रपति बने मोहम्मद मुर्सी की सरकार में रक्षा मंत्री और उप प्रधानमंत्री भी रहे हैं।
अल सीसी सेना के सर्वोच्च पद फील्ड मार्शल तक पहुंचे थे। इसके अतिरिक्त वे अफ्रीकन यूनियन के अध्यक्ष भी रहे हैं।
अल सीसी ने सेना से वर्ष 2014 में सेवानिवृत्ति ले ली और उसी वर्ष उन्होंने भारी बहुमत से राष्ट्रपति पद का चुनाव जीता था। वर्ष 2018 में वे दोबारा चुनाव जीतकर राष्ट्रपति बने थे।
मिस्र के साथ भारत के हैं पुराने रिश्ते
भारत और मिस्र के पुराने द्विपक्षीय रिश्ते हैं। 1950 के दशक में भी भारत और मिस्र गुट निरपेक्ष आन्दोलन में सबसे बड़े भागीदार रहे हैं।
उस समय के मिस्र के राष्ट्रपति गमाल अब्देल नासिर के भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु के साथ अच्छे सम्बन्ध थे। नासिर के पश्चात मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति अनवर एल सादात और होस्नी मुबारक भी भारत की यात्रा पर आ चुके हैं।
रक्षा और आर्थिक क्षेत्र में सहयोग होगा यात्रा का फोकस
गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि बनने के अलावा राष्ट्रपति अल सीसी की इस यात्रा का उद्देश्य रक्षा और आर्थिक क्षेत्र में सहयोग को लेकर वार्ता होने की संभावना है।
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस साल मिस्र का दौरा कर चुके हैं। SIPRI की रिपोर्ट के अनुसार, मिस्र इस समय दुनिया में हथियारों का तीसरा सबसे बड़ा खरीददार है।
मिस्र के पास अफ्रीका की सबसे बड़ी वायु सेना है और मिस्र ने भारत के स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस में रूचि दिखाई है। ऐसे में यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि आगामी यात्रा में इस विषय पर भी चर्चा होगी।
इससे पहले भारत और मिस्र 1960 के दशक में भी विमान उत्पादन क्षेत्र में साथ काम कर चुके हैं।
दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार भी तेजी से बढ़ा है। भारत और मिस्र का वर्ष 2021-22 के दौरान द्विपक्षीय व्यापार 7.2 बिलियन डॉलर से भी अधिक था।
भारत की तरफ से मिस्र को 3.7 बिलियन डॉलर का सामान निर्यात किया गया था। वहीं मिस्र ने भारत को 3.5 बिलियन डॉलर का निर्यात किया।
भारत मिस्र को लोहा, स्टील और हल्के वाहन समेत मशीनरी जैसी वस्तुएँ भेजता है। वहीं भारत, मिस्र से कच्चे तेल और पेट्रोलियम पदार्थ आदि खरीदता है।
एक वेबसाइट के अनुसार, भारतीय कम्पनियाँ बड़े पैमाने पर मिस्र में निवेश कर रही हैं। वर्ष 2022 तक मिस्र में भारत का निवेश 3.15 बिलियन डॉलर से अधिक पहुँच गया है।
भारत ने मिस्र को मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा भी दिया हुआ है। इसी वर्ष जुलाई में मिस्र की राजधानी काहिरा में एक बैठक में भारत ने मिस्र में निकट भविष्य में 700 मिलियन डॉलर के निवेश करने का वादा किया है।