केन्द्रीय जाँच एजेन्सी प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बीते बृहस्पतिवार (22 दिसम्बर, 2022) को धन-शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत बड़ी कार्रवाई करते हुए द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) सांसद अंदिमुथु राजा से सम्बन्धित 45 एकड़ की भूमि ज़ब्त कर ली है।
ईडी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर जानकारी दी है कि तमिलनाडु के कोयम्बटूर में स्थित इस भूमि का बाजार मूल्य लगभग 55 करोड़ रुपए है। यह मामला उस समय का है, जब केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री के तौर पर डीएमके सांसद ए. राजा ने वर्ष 2004 से 2007 के बीच बेनामी कम्पनी के नाम पर खरीद फरोख्त की थी।
बता दें कि ए. राजा वर्ष 2004 से 2010 के बीच यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस (UPA) 1.0 और 2.0 में केन्द्रीय मंत्री रहे हैं।
ईडी का कहना है कि ए. राजा ने वन एवं पर्यावरण मंत्री रहते हुए अपने पद का दुरुपयोग कर गुरुग्राम की एक बड़ी रियल एस्टेट कंपनी (कथित तौर पर डीएलएफ) को अवैध रूप से पर्यावरण मंज़ूरी दी और एवज में कम्पनी से रिश्वत ली, इस रिश्वत से तमिलनाडु में यह भूमि खरीदी गई।
जाँच के दौरान प्रवर्तन निदेशालय ने पाया कि ए. राजा ने कमीशन में मिले करोड़ो रुपए से अपने सगे-सम्बन्धियों के नाम पर कम्पनी खोलकर धन-शोधन (Money Laundering) की है।
ईडी ने बताया कि बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध इस कम्पनी की स्थापना के बाद से किसी भी प्रकार की व्यावसायिक गतिविधि नहीं हुई है। जबकि रियल एस्टेट कम्पनी से कमीशन के तौर पर प्राप्त हुए करोड़ों रुपए का एकमात्र उपयोग भूमि खरीदने के लिए ही किया गया।
घोटालों से भरा UPA का इतिहास
यूपीए 1 और यूपीए 2 अपने कार्यकाल के दौरान किए गए घोटालों और भ्रष्टाचार के लिए कुख्यात है। यूपीए शासन ने देश को एक से बढ़कर एक भ्रष्ट ‘नगीने’ दिए हैं और इन्हीं में से एक हैं अंदिमुथु राजा।
वर्ष 2007 से 2010 के बीच संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री के तौर पर कार्य करते हुए ए. राजा भारतीय इतिहास के सबसे बड़े घोटालों में से एक 1,76,000 करोड़ के टूजी स्पेक्ट्रम (2G Spectrum) घोटाले के प्रमुख आरोपित हैं। घोटाले का खुलासा होने के बाद ए. राजा पर इस्तीफा देने का दबाव डाला गया और उसी दौरान वे गिरफ्तार भी हुए थे। इसके अलावा अपने कार्यकाल के दौरान पॉलिटिकल लॉबिस्ट नीरा राडिया टेप में भी ए. राजा की बड़ी भूमिका रही है।
यूपीए सरकार के दौरान मंत्रियों द्वारा अपने पद का दुरुपयोग कर कंपनियों को कमीशन के बदले लाभ पहुँचाने का बेहद लम्बा इतिहास है।
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भारत के तत्कालीन वित्तमंत्री पी. चिदम्बरम ने भी 3,500 करोड़ के एयरसेल-मैक्सिस केस में फॉरन इन्वेस्टमेन्ट प्रोमोशन (FIPB) के नियमों को ताक पर रखकर अवैध रूप से कम्युनिकेशन सर्विस प्रोवाइडर Maxis Berhad द्वारा एयरसेल में हिस्सेदारी खरीदने की मंज़ूरी दी थी। इस डील में तत्कालीन वित्तमंत्री के बेटे कार्थी चिदम्बरम की कम्पनी को 5% कमीशन का भुगतान भी किया गया था।