पिछले कुछ समय से देश में जो कुछ हो रहा है, उस पर शायद आपने भी ध्यान दिया होगा। हो ये रहा है कि देश के आर्थिक तंत्र को निशाना बनाने का बार-बार प्रयास किया जा रहा है। आसान भाषा में कहें तो देश के विरुद्ध आर्थिक आतंकवाद (Economic Terrorism) का षड्यंत्र होते हुए दिखाई दे रहा है। यह कोई कॉन्सपिरेसी थ्योरी नहीं है बल्कि तथ्यों के आधार पर ऐसा दावा किया जा रहा है।
देश के विरुद्ध Economic Terrorism?
हम सभी ने देखा है कि पिछले कुछ महीनों से देश की एयरलाइंस को, रेलवे नेटवर्क को और स्टॉक मार्केट को निशाना बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
आइए, एक-एक करके समझने का प्रयास करते हैं कि कैसे देश के आर्थिक तंत्र को नुकसान पहुँचाने के षड्यंत्र किए जा रहे हैं। सबसे पहले एयरलाइंस की बात करते हैं। पिछले सिर्फ 12 दिन में लगभग 280 फ्लाइट्स में बम होने की धमकी दी गई है।
12 दिन में फ्लाइट्स को मिली धमकियाँ
1. 25 अक्टूबर: 27 फ्लाइट्स में बम की धमकी मिली।
2. 24 अक्टूबर: 85 फ्लाइट्स में बम होने की धमकी दी गई।
3. 23 अक्टूबर: लगभग 25 फ्लाइट्स को धमकी मिली।
4. 22 अक्टूबर: 50 फ्लाइट्स में बम होने की धमकी दी गई।
5. 21 अक्टूबर: 50 से ज्यादा फ्लाइट को धमकी मिली।
6. 20 अक्टूबर: 25 से ज्यादा फ्लाइट्स में बम की धमकी।
7. 19 अक्टूबर: 30 से ज्यादा फ्लाइट्स में बम होने की धमकी।
8. 18 अक्टूबर को 2, 17 अक्टूबर को 1 और 16 अक्टूबर को 5 फ्लाइट्स को धमकी मिली
9. 15 अक्टूबर को 7 और 14 अक्टूबर को 3 फ्लाइट्स में बम होने की धमकी मिली।
एयरलाइंस को फ्लाइट्स में बम होने की यह धमकियाँ फ़ोन से, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट से, ईमेल से या फिर दूसरे माध्यमों से मिल रही हैं।
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इतने बड़े स्तर पर फ्लाइट्स बम की धमकियाँ मिलना संयोग नहीं हो सकता- ये सुनियोजित षड्यंत्र प्रतीत होता है। सवाल है कि क्या ये Economic Terrorism नहीं है? बिल्कुल है, क्योंकि एक फ्लाइट में बम होने की धमकी अगर मिलती है तो उसे डेस्टिनेशन एयरपोर्ट पर नहीं बल्कि फ्लाइट जहाँ होती है, उसके सबसे पास के एयरपोर्ट पर लैंड कराना होता है।
ऐसे में लैंडिंग, जाँच-परीक्षण, यात्रियों को होटल प्रोवाइड कराना, उन्हें लाने-ले जाने में और फिर दूसरी फ्लाइट में अकोमोडेट करने में लगभग 3 करोड़ रुपये का खर्चा होता है। जी हाँ, अगर फ्लाइट में बम की धमकी मिलती है तो रिस्क एनालिसिस के आधार पर उसे लैंड कराकर जाँच करनी पड़ती है, और ये सब करने में लगभग 3 करोड़ रुपये ख़र्च होते हैं और कई बार इससे भी अधिक।
अब आप समझिए, 12 दिनों में लगभग 280 फ्लाइट्स को बम की धमकियां मिली हैं, क्या ये देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने का- उसे नुकसान पहुँचाने का षड्यंत्र नहीं है?
रेलवे को बनाया जा रहा है निशाना
एयरलाइंस के बाद अब हम रेलवे की बात करते हैं। पिछले कुछ महीनों में ऐसी दर्जनों घटनाएं हमारे सामने आई हैं, जहाँ जानबूझकर ट्रेन को पटरी से उतारने का प्रयास किया गया है। कहीं रेलवे ट्रैक पर पत्थर रखा गया। कहीं पटरी के ऊपर लोहा रखा गया तो किसी पटरी पर सिलेंडर रखा गया।
रेलवे को कैसे निशाना बनाया गया, इसके कुछ आंकड़े देख लेते हैं।
रेल हादसे कराने के षड्यंत्र
18 अक्टूबर: देहरादून एक्सप्रेस को हादसाग्रस्त करने के लिए डोईवाला और हर्रावाला के बीच में पटरी पर पत्थर रखे गए।
4 सितंबर: मध्य-प्रदेश के शिवपुरी के पाडरखेड़ा स्टेशन पर ट्रेन पत्थर से टकराई। पटरी के दोनों तरफ पत्थर रखे गए थे।
4 सितंबर: महाराष्ट्र के सोलापुर के कुर्दुवाड़ी स्टेशन के ट्रैक पर 80-90 किलो का पत्थर रखा मिला।
8 सितंबर: राजस्थान के अजमेर के सराधना बांगड़ ग्राम स्टेशन पर पटरी पर सीमेंट के 70 किलो वजन ब्लॉक रखे गए।
9 सितंबर: उत्तर-प्रदेश के कानपुर में LPG सिलेंडर, विस्फोटक और पेट्रोल की बोतल ट्रैक पर मिली। कालिंदी एक्सप्रेस ट्रेन को उड़ाने की साज़िश थी।
1 अगस्त: लखनऊ डिवीजन के लालगोपालगंज स्टेशन के ट्रैक पर गैस सिलेंडर और साइकिल रखी गई। आरोपी गुलजार की गिरफ्तार हुई।
20 अगस्त: उत्तर-प्रदेश के अलीगढ़ में ट्रैक पर अलॉय व्हील रखा गया। आरोपी अफसान की गिरफ्ताई हुई।
24 अगस्त: राजस्थान के अजमेर में रेलवे ट्रैक पर भारी पत्थर रखे मिले।
ऐसी तमाम घटनाएं हुईं हैं और लगातार हो रही हैं। सवाल है कि क्या ये Economic Terrorism नहीं है? क्या ये सभी घटनाएं संयोग हो सकती हैं? संयोग अगर हैं तो देश में पहले कभी इतने बड़े स्तर पर ऐसी घटनाएं क्यों नहीं हुईं?
यह घटनाएं संयोग नहीं बल्कि प्रयोग प्रतीत होती हैं। प्रयोग है देश में बड़ा ट्रेन हादसा कराकर अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने का। यही कारण है कि एक तरफ ट्रेन को हादसाग्रस्त बनाने के प्रयास होते दिखाई दे रहे हैं दूसरी तरफ एयरलाइंस पर हमले किए जा रहे हैं। इसके साथ ही हमें यह भी समझना होगा कि देश के स्टॉक मार्केट को भी निरंतर निशाना बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
स्टॉक मार्केट भी ‘आर्थिक आंतकवादियों’ के निशाने पर?
1. अमेरिका की शॉर्ट-सेलर कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने सुनियोजित तरीके से अडानी समूह को टारगेट किया। इससे सेंसेक्स धड़ाम हुआ और देश की अर्थव्यवस्था को करोड़ो का नुकसान उठाना पड़ा।
2. SEBI अध्यक्ष माधबी पुरी बुच को भी निरंतर निशाना बनाया जा रहा है। इसके पीछे का उद्देश्य भी शेयर मार्केट में हलचल पैदा करना है।
3. हिंडनबर्ग-अडानी और माधबी पुरी बुच समेत कई मामलों में भारत विरोधी जॉर्ज सोरोस की कठपुतली कहा जाने वाले इकोसिस्टम देश के स्टॉक मार्केट के विरुद्ध अभियान चलाता दिखाई दिया।
इन सभी घटनाओं से होता यह है कि देश के स्टॉक से लोग और विशेष तौर पर विदेशी अपने पैसे निकालते हैं, इससे मार्केट डाउन होता है और अंतत: रुपये की माँग कम और डॉलर की माँग बढ़ती है।
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अब इन सभी घटनाओं को एक साथ देखने का प्रयास कीजिए। फ्लाइट्स में इतने बड़े स्तर पर बम होने की धमकी मिलना। रेलवे ट्रैक पर सिलेंडर, लोहा, पत्थर और विस्फोटक रखे होने की इतनी घटनाएं सामने आना और स्टॉक मार्केट के विरुद्ध लगातार अभियान चलाया जाना, क्या आप इन घटनाओं के पीछे एक साझा उद्देश्य देख पा रहे हैं? जी हाँ, इन सभी घटनाओं के पीछे एक साझा उद्देश्य दिखाई देता है, वो है देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचाने का उद्देश्य।
आज जब उद्योग और बिज़नेस पूरी दुनिया में लॉजिस्टिक्स पर निर्भर करता है तो इस तरह के Economic Terrorism का उद्देश्य भारत के कंपेटिटिवनेस को टारगेट करने का दिखाई देता है- जिससे कि भारत अर्थव्यस्था के क्षेत्र में जो कुलांचे भर रहा है, उसमें उसे झटका दिया जा सके।
हरियाणा चुनाव के बाद पीएम मोदी ने भी इस बात का संकेत दिया था कि देश की अर्थव्यवस्था के विरुद्ध षड्यंत्र हो रहे हैं।
ऐसे में सबसे बड़ा प्रश्न यही है कि रेल हादसा कराकर, फ्लाइट्स में बम की धमकियां देकर, स्टॉक मार्केट को निशाना बनाकर आखिरकार कौन देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद करना चाहता है?