पारिजात के कोमल श्वेत पुष्प भगवती के आगमन की सूचना दे ही देते हैं, सभी जगह पारिजात के फूल खिल चुके हैं और उनकी सुगंध से भारत महक चुका है। इन खिले हुए पारिजात को देखकर मन कहीं ऊँचा उठ गया है, देखने की किस ओर से आ रही हैं जगदम्बा, और हृदय बैठ सा गया है, बन जाए उनका धवल सिंहासन, जिसपर बिछे हों केवल पारिजात के देवपुष्प।
26 सितंबर से देवी आराधना के 9 दिवसीय महापर्व नवरात्र शुरू होने जा रहे हैं। आइए जानते हैं, इस साल नवरात्रि में कौन कौन से दिन क्या क्या पर्व मनाए जाएँगे –
नवरात्र की प्रतिपदा का व्रत सोमवार दिनांक 26 सितम्बर को होगा, और अष्टमी व्रत सोमवार 03 अक्टूबर को होगा। महानिशा अष्टमी पूजन रविवार 02 अक्टूबर की रात्रि में होगा। 04 अक्टूबर को नवमी व्रत, पाठ पूर्णाहुति हवन होगा और 05 अक्टूबर को नवरात्र विसर्जन होगा।
कलश स्थापना मुहूर्त्त
प्रतिपदा, सोमवार 26 सितम्बर को रात्रि 02:56 बजे तक है। इस साल चित्रा नक्षत्र व वैधृति योग इस साल नहीं है इसलिए पूरे दिन कलश स्थापना का मुहूर्त्त रहेगा। कलश स्थापन प्रातः काल व अभिजित मुहूर्त दोनों दोनों में किया जा सकता है। इस दिन कलश स्थापन, सप्तशती पाठ, ध्वजारोपण, शैलपुत्री देवी दर्शन और महाराजा अग्रसेन जयन्ती है।
द्वितीया, मंगलवार 27 सितम्बर रात्रि के 02:24 बजे तक है।
इस दिन ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा की जाएगी।
तृतीया, बुधवार 28 सितम्बर रात्रि के 01:24 बजे तक है
इस दिन चन्द्रघण्टा देवी की पूजा की जाएगी।
चतुर्थी, गुरुवार 29 सितम्बर रात्रि 23:59 बजे तक है
इस दिन कूष्माण्डा देवी की पूजा की जाएगी, और वैनायकी गणेश चतुर्थी होगा।
पञ्चमी, शुक्रवार 30 सितम्बर रात्रि 22:14 बजे तक है
इस दिन स्कन्दमाता देवी की पूजा की जाएगी।
षष्ठी, शनिवार 01 अक्टूबर रात्रि 20:12 बजे तक है
इस दिन कात्यायनी देवी की पूजा की जाएगी।
सप्तमी, रविवार 02 अक्टूबर 17:58 बजे तक है
इस दिन कालरात्रि देवी की पूजा की जाएगी, निशीथव्यापिनी अष्टमी में महानिशापूजा की जाएगी, सरस्वती आवाहन मूल नक्षत्र में होगा, और बिल्व सप्तमी मनाई जाएगी।
अष्टमी, सोमवार 03 अक्टूबर 15:35 बजे तक है
इस दिन महागौरी देवी की पूजा की जाएगी, सूर्योदय के समय अष्टमी तिथि होने से महाष्टमी (दुर्गाष्टमी) व्रत होगा, सरस्वती पूजन पूर्वाषाढ़ नक्षत्र में होगा।
नवमी, भौमवार 04 अक्टूबर 13:10 बजे तक है
आज नवरात्र पाठ पूर्णाहुति हवन होगा, देवी की प्रसन्नता के लिए महाबलिदान होगा, सिद्धिदात्री देवी की पूजा की जाएगी, महानवमी व्रत, सरस्वती बलिदान उत्तराषाढ़ नक्षत्र में होगा।
विजयदशमी, बुधवार 05 अक्टूबर 10:46 बजे तक है
दशहरा, श्री दुर्गा-सरस्वती आदि का प्रतिमा विसर्जन (श्रवण नक्षत्र में), नवरात्र व्रत पारण किया जाएगा, शस्त्रपूजन एवं अपराजिता पूजन किया जाएगा।
पंचांग सम्बन्धी उपर्युक्त जानकारियाँ श्रीसर्वेश्वर जयादित्य पंचांग, राजस्थान से ली गई हैं जो पूरे देश में एक समान हैं।