सन 1986 में भाग्यराज द्वारा निर्देशित सुपरहिट हिन्दी फ़िल्म ‘आखिरी रास्ता’ ने सुपरस्टार अमिताभ बच्चन, श्रीदेवी और जयाप्रदा के फ़िल्मी करियर में चार चाँद लगा दिए थे।
कुछ इसी तरह उत्तराखण्ड के चमोली जनपद के जोशीमठ विकासखण्ड के सुदूरवर्ती गाँव डुमक में मुख्य मार्ग से जुड़ने वाला एक ‘अदद रास्ता’ है, जिसका भाग्योदय होना अभी भी बाकी है।
आजादी के 75 साल बीतने के बाद भी डुमक गाँव सड़क और दूरसंचार संसाधनों जैसी सुविधाओं से कोसों दूर है। सड़क, किसी भी मार्ग को सुगम तो बनाती ही है। साथ ही, यह दो ग्रामों, विचारों, संस्कृतियों के आदान-प्रदान का भी एक महत्वपूर्ण माध्यम बन जाता है। इसके अलावा सामरिक दृष्टिकोण से भी उत्तराखण्ड के हर सीमान्त गाँव का सड़क मार्ग से जुड़ना अत्यंत आवश्यक है।
पंचकेदार में से एक श्री रुद्रनाथ जी के दर्शन के लिए डुमक गाँव के रास्ते में भारी सँख्या में श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है। लम्बे समय से अटकी हुई इस सड़क के कारण ही इस गाँव के मतदान केंद्र को सबसे दूरस्थ मतदान केंद्र में रखा गया है। यही वजह है कि मतदान के दौरान भी एक दिन पूर्व ही मतदानकर्मियों को मतदान करवाने के लिए यहाँ रवाना करना पड़ता है।
वर्तमान में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (PMGSY) के अन्तर्गत डुमक सड़क का निर्माण विगत दस साल से भी अधिक समय से चल रहा है। कई कोर्ट केस व अन्य कारणों के चलते सड़क का निर्माण कार्य अधर में लटका हुआ है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़क का निर्माण कार्य तत्काल हो। ताकि, स्थानीय लोगों व पर्यटकों को उचित समय पर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिल सके। इससे पर्यटन क्षेत्र को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे स्थानीय लोगों की आर्थिकी को भी बढ़ावा मिलेगा।
उत्तराखण्ड के डुमक गाँव को मुख्य मार्ग से जोड़ने हेतु सभी सरकारी विभागों, गैर सरकारी संगठन व स्थानीय लोगों को एकजुट होकर, इस सड़क मार्ग निर्माण की चुनौती को स्वीकार कर, कार्य करना चाहिए। जिससे मार्ग निर्माण का कार्य एक निश्चित समयावधि में पूरा कर, देश के सामने एक मिसाल बन, डुमक गाँव के आखिरी रास्ते का भाग्योदय हो सके।