यूनाइटेड किंगडम का भारत विरोधी खालिस्तानी तत्वों को प्रश्रय देना स्वयं उसे ही भारी पड़ रहा है। यूनाइटेड किंगडम की सुरक्षा खतरों के विषय में आई एक नई रिपोर्ट में यूके में मौजूद खालिस्तानी तत्वों के विषय में कई खुलासे हुए हैं और इस पर विस्तार से बात की गई है।
यूके सरकार द्वारा नियुक्त स्वतंत्र सलाहकार कोलिन ब्लूम की रिपोर्ट ‘डज गवर्मेंट डू गॉड’ (Does Government do God?) में धर्म आधारित समस्याओं पर विस्तार से बात की गई है। इसमें सिख चरमपंथ और खालिस्तान समर्थक तत्वों पर कई जानकारियाँ सामने आई हैं। कोलिन ब्लूम की यह रिपोर्ट में यूके में लगातार पनप रहे खालिस्तानी चरमपंथ की सच्चाई बताती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि खालिस्तानी तत्वों की गतिवधियों को यूके की सरकार को बर्दाश्त नहीं करना चाहिए क्योंकि ये पूरी सिख आबादी पर काफी बुरा असर डाल रही हैं।
रिपोर्ट में शामिल एक वक्तव्य के अनुसार, “यह खालिस्तानी तत्व अब यूके के अधिकाँश गुरुद्वारों पर कब्जा जमा चुके हैं और धर्म के नाम पर इकट्ठा की गई धनराशि का उपयोग भारत को तोड़ने की साजिश की के लिए किया जा रहा है।”
खालिस्तानी तत्वों के लगातार बढ़ने से स्वयं सिखों का ही एक बड़ा वर्ग चिंतित है। रिपोर्ट को तैयार करने वाले कोलिन ब्लूम का कहना है कि भले ही खालिस्तानी खुद को सिख पंथ के साथ जोड़ते हों परन्तु इनके तौर तरीके सर्वथा भिन्न हैं। अगर अभी इन तत्वों पर नियन्त्रण नहीं किया गया तो यूके सरकार द्वारा इनको नजरअंदाज करने जैसा कदम होगा।
रिपोर्ट में हैरानी जताई गई है कि खालिस्तान की मांग करने वाले भारत में स्थित पंजाब को तो खालिस्तान का हिस्सा मानते हैं लेकिन पाकिस्तान के पंजाब वाले हिस्से को खालिस्तान का हिस्सा नहीं मानते। इसके पीछे एक कारण यह स्पष्ट है कि यह खालिस्तानी तत्व लगातार पाकिस्तान से सहायता पाते रहे हैं और उन्ही की कठपुतली के तौर पर काम कर रहे है।
रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि यह खालिस्तानी चरमपंथी सिख धर्म को अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए हाइजैक कर रहे हैं। कुछ सिख संगठन घृणा और आतंक को भी जायज ठहरा रहे हैं। सिर्फ यूके की रिपोर्ट में खालिस्तानी खतरे की बात की गई हो ऐसा नहीं है, इससे पहले कनाडा में भी एक रिपोर्ट में इन्हें खतरा बताया गया था।
गौरतलब है कि भारत द्वारा खालिस्तानी तत्वों पर लगातार कार्रवाई के जवाब में यूके, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में खालिस्तान समर्थकों ने बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन किए थे और भारत विरोधी एजेंडे को आगे बढ़ाया था।
इसी कड़ी में हाल ही में जब खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह पर कार्रवाई हुई तब भारत के लन्दन स्थित दूतावास के बाहर खालिस्तानियों ने हिंसा की थी। इसके जवाब में भारत ने यूके के दूतावास के बाहर से सुरक्षा हटा दी थी।
खालिस्तानियों द्वारा सोशल मीडिया पर हिंसक सामग्री अपलोड करने को लेकर भी रिपोर्ट में चिंता जताई गई है, इसमें कहा गया है कि खालिस्तानी लगातार सोशल मीडिया पर भारतीय नेताओं की हत्या, हिंसा और एके 47 बंदूकों के उपयोग जैसी बाते कही जाती हैं और सिख युवाओं को भड़काया भी जाता है।
बब्बर खालसा और सिख यूथ फेडरेशन जैसे समूह जिनके लिए खालिस्तानी वकालत करते हैं, वह लगातार आतंक में जुड़े हुए हैं और समाज में हिंसा के जरिए अपना स्थान बनाना चाहते हैं।
रिपोर्ट में यह यह कहा गया है कि यूके की सरकार अगर जल्द ही इनपर कड़ी कार्रवाई नहीं करती है तो यह उसकी सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन सकते हैं।
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