जम्मू-कश्मीर के लिए यह दिवाली बेहद खास रही। कभी आतंकवाद से घिरा रहने वाला श्रीनगर का लाल चौक दीपावली के दियों से रोशन रहा और लोगों ने मिलकर म्युजिक, पटाखों और रोशनी के साथ दीपावली मनाई।
पर्यटकों के साथ दीपावली का आनंद ले रहे स्थानीय लोगों ने इस आयोजन को मील का पत्थर बताया और इस बात को दोहराया है कि शहर के बीचों-बीच इतना भव्य दिवाली उत्सव पहले कभी नहीं मनाया गया।
आयोजन के दौरान सूर्यास्त के समय, लाल चौक रोशनी और रंगों के चकाचौंध भरे प्रदर्शन में बदल गया। परिवार और दोस्त खुशी के माहौल में घुलमिल गए। भारत के विभिन्न हिस्सों से आए पर्यटकों ने पहली बार कश्मीर में ऐसे उत्सव का अनुभव किया।
राजकोट से आई एक पर्यटक माया पटेल ने कहा, “यहाँ का माहौल बहुत ही उत्साहपूर्ण है! यह मेरे द्वारा घर पर देखे गए किसी भी उत्सव से कहीं अधिक जीवंत है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं इतनी खूबसूरत जगह पर दिवाली मनाऊँगी”। आप स्वयं देखिए कि कार्यक्रम में पारंपरिक संगीत, नृत्य प्रदर्शन और सांस्कृतिक प्रदर्शन की भरमार रही है।
यही नहीं, दीपावली के उत्सव ने स्थानीय व्यापारियों के लिए नए रास्ते भी खोले हैं और वे चाहते हैं कि घाटी में ऐसे उत्सव और भी होते रहें। लाल चौक के एक दुकान मालिक अब्दुल हामिद ने कहा, “यह तो बस शुरुआत है। मुझे उम्मीद है कि यह दिवाली उत्सव भविष्य में इस तरह के और आयोजनों को प्रेरित करेगा।” कार्यक्रम के आयोजन के लिए स्थानीय अधिकारियों और निवासियों के बीच सहयोग ने सामुदायिक भावना और समावेशिता को बढ़ावा देने की बढ़ती इच्छा को भी दर्शाया।
लाल चौक पर जगमग दियों और उनके इर्द-गिर्द उत्सव का आनंद मनाते लोगों ने यह दिखा दिया कि कश्मीर अपनी नई शुरुआत के लिए पूरी तरह तैयार है। लाल चौक से दीपावली की ये तस्वीरें नए कश्मीर की तस्वीर बताई जा रही है। पर यह नया कश्मीर बना कैसे?
इसका आसान जवाब है राज्य में स्थापित लोकतंत्र और इसे मुख्य धारा से जोड़ने के प्रयास। केंद्र सरकार के घाटी को आतंकवाद से बाहर निकालने और मुख्य धारा से जोड़ने वाली परियोजनाओं ने आज यह संभव बनाया है कि हिंदू समाज अपने मित्रों और परिवार के साथ लाल चौक पर दिवाली मना सके, वो भी सुरक्षित महसूस करते हुए।
दिवाली ही क्यों, लोकतंत्र के स्वागत के साथ ही घाटी ने लाल चौक पर तिरंगा लहराते हुए देखा है, हनुमान चालीसा के पाठ होते देखे हैं और तीज-त्योहार भी यहां का हिस्सा बन गए हैं। जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में स्थित उमा देवी का मंदिर जुलाई, 2024 को केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय की मौजूदगी में 34 साल बाद खोला गया। इस मंदिर को देवी उमा भगवती के नाम से जाना जाता है।
इसके साथ ही, इसी वर्ष मार्च के माह केंद्र सरकार ने फैसला लिया था कि जम्मू-कश्मीर के 8वीं सदी के प्राचीन मार्तंड सूर्य मंदिर का जीर्णोद्धार किया जाएगा। 8वीं सदी का मार्तंड मंदिर भारत के सूर्य मंदिरों में सबसे पुराना और अमूल्य प्राचीन आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक है। इसका निर्माण हिंदू राजा ललितादित्य मुक्तपद ने कराया था। कहा जाता है कि इस मंदिर को सुल्तान सिकंदर शाह मीरी के आदेश के बाद तोड़ दिया गया था।
मंदिर ही क्यों, जम्मू कश्मीर में जी-20 कै बैठक का सफल आयोजन किया जा चुका है, जिसमें देश विदेश के सैंकड़ों अधिकारियों ने घाटी की सुदंरता और शांति दोनों का आनंद भी लिया और बाकी दुनिया के साथ शेयर भी किया है।
इसके साथ ही पहली बार 17 मार्च, 2024 को सरकार ने फ़ॉर्मूला-4 कार रेसिंग का आयोजन करवाया था। यह रेसिंग इवेंट डल झील के किनारे बुल्वार्ड रोड पर आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम का आयोजन इंडियन रेसिंग लीग और राज्य के पर्यटन विभाग ने मिलकर किया था। इसका लक्ष्य था कि पूरे देश में मोटर स्पोर्ट को बढ़ावा मिले और कश्मीर में एडवेंचर टूरिज्म को भी फ़ायदा हो। इस इवेंट की सराहना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी की थी।
इन्हीं प्रयासों का परिणाम आप लाल चौक पर जगमगाते दियों में देख सकते हैं। यह बिलकुल भी सामान्य घटना नहीं है बल्कि इसे ऐतिहासिक परिवर्तन समाझा जाना चाहिए। लाल चौक में दिवाली के जश्न ने यह रास्ता बना दिया है कि घाटी में आशा और एकता से भरे भविष्य का मार्ग संभव है।
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