“पूत सपूत तो का धन संचय, पूत कपूत तो का धन संचय” ब्रज में हर चौक-चौराहे पर आपको ये कहावत सुनाई दे जाएगी। इसका अर्थ हैं कि पुत्र अगर योग्य है तो उसके लिए धन इकठ्ठा करने की कोई आवश्यकता नहीं है। वो अपना साम्राज्य स्वयं खड़ा कर लेगा। आगे की पंक्ति का अर्थ है कि अगर पुत्र अयोग्य है तो आप उसे कितना भी धन इकठ्ठा करके दे दो, वो सबकुछ बर्बाद कर देगा।
उदाहरण के लिए Rahul Gandhi को देख लीजिए। उन्हें उनकी माता सोनिया गांधी से देश की सबसे पुरानी पार्टी मिली। उनके परिवार से इतनी बड़ी राजनीतिक विरासत मिली। नाम के पीछे गांधी सरनेम मिला।
पैदा होते ही उनके मुँह में सोने की चम्मच दे दी गई फिर भी आज कांग्रेस पार्टी अपने अस्तित्व के लिए जूझ रही है। राहुल गाँधी के प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष नेतृत्व में कांग्रेस अबतक लगभग 90 चुनाव हार चुकी है। देश के किसी भी राज्य में पार्टी का सक्रिय संगठन दिखाई नहीं देता।
कुछ समय पहले तक कांग्रेस पार्टी को परजीवी पार्टी माना जाता था लेकिन अब प्रतीत होता है कि उसके सहयोगी दल और उसके अपने ही नेता पार्टी आलाकमान या फिर सीधे-सीधे कहें तो Rahul Gandhi की अयोग्यता से उकता गए हैं और अब शायद उन्होंने ये उम्मीद भी छोड़ दी है कि भविष्य में कभी राहुल गांधी निखर कर मझे हुए राजनेता बन पाएंगे।
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जी हाँ, पिछले कुछ दिनों से इंडी गठबंधन और कांग्रेस के अंदर से जो ख़बरें आ रही हैं वो यही संकेत करती हैं कि इंडी गठबंधन और कांग्रेस के अंदर राहुल गांधी को लेकर विरोध बढ़ता जा रहा है।
हरियाणा से शुरूआत करते हैं। हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान प्रदेश में संगठन ना होने के लिए कांग्रेस आलाकमान को दोष दे रहे हैं। उदयभान के साथ-साथ भूपेंद्र हुड्डा भी कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल खड़े कर रहे हैं। हुड्डा का कहना है कि दस वर्षों से प्रदेश में पार्टी का संगठन नहीं है।
हरियाणा के साथ-साथ महाराष्ट्र से भी ऐसी ही ख़बरें सामने आ रही हैं। महाराष्ट्र में हारने के बाद जब कांग्रेस नेताओं ने राहुल गांधी को बचाने के लिए EVM पर दोष मढ़ना शुरू किया तब महाराष्ट्र कांग्रेस के ही नेताओं ने बयान देते हुए कहा कि पार्टी आलाकमान को बचाने के लिए ऐसा किया जा रहा है।
राहुल गांधी के विरुद्ध विरोध की ये आवाजें यहीं नहीं रुकी। जब कांग्रेस ने संसद में अडानी मामले पर हंगामा किया और सदन नहीं चलने दिया तब कांग्रेस के लोकसभा सांसदों ने ही इसका विरोध किया।
उन्होंने कहा कि राज्यसभा में बैठे नेता ऐसा कर रहे हैं। उनके कहने का अर्थ शायद ये था कि जयराम रमेश के कहने पर राहुल गांधी अडानी के मुद्दे पर लोकसभा में हंगामा करवा रहे हैं- जबकि हम इसके पक्ष में नहीं हैं।
कांग्रेस पार्टी के अंदर से बार-बार विरोध की ऐसी आवाजें उठना सामान्य बात नहीं है। ये वही कांग्रेस पार्टी है जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी की जी-हजूरी के सिवाय कुछ नहीं होता था अब आवाजें उठ रही हैं, इसका अर्थ है कि अंदर ही अंदर बड़ा असंतोष नेताओं के अंदर भरा हुआ है।
महाराष्ट्र चुनाव के बाद पीएम मोदी ने भी कहा था कि कांग्रेस के अंदर असंतोष की ज्वाला भड़क चुकी है और वही होता हुआ हमें दिखाई दे रहा है। मजे की बात ये है कि दोनों तरफ से Rahul Gandhi के विरोध में आवाजें उठ रही हैं। कांग्रेस पार्टी के अंदर तो विरोध के स्वर हैं ही साथ ही साथ इंडी गठबंधन के दलों की ओर से भी बार-बार बयानबाजी होती दिखाई दे रही है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि वे इंडी गठबंधन का नेतृत्व करने को तैयार हैं। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने तो यहाँ तक कह दिया कि कांग्रेस ख़त्म हो गई है।
समाजवादी पार्टी के ही दूसरे नेता रामगोपाल यादव ने एक बयान में कहा कि राहुल गांधी हमारे नेता नहीं हैं। सिर्फ इतना ही नहीं अडानी के मुद्दे पर जब कांग्रेस ने संसद परिसर में प्रदर्शन किया उसमें भी टीएमसी और समाजवादी पार्टी शामिल नहीं हुईं।
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इससे कुछ बातें एकदम स्पष्ट दिखाई देती हैं। स्पष्ट है कि अब कांग्रेस पार्टी परजीवी बनकर और अधिक समय तक सर्वाइव नहीं कर पाएगी। वो एक परजीवी पार्टी है इसे क्षेत्रीय दल समझ गए हैं। यही कारण है कि यूपी में सपा ने, झारखंड में जेएमएम ने तो जम्मू और कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कांग्रेस को लाल आंखें दिखाईं हैं।
इसके साथ ही यह भी स्पष्ट है कि राहुल गांधी को और लंबे समय तक इंडी गठबंधन के दल रियायत देने के मूड़ में नहीं हैं या फिर सिर्फ गांधी सरनेम के कारण उन्हें नेता स्वीकार करने के मूड़ में नहीं हैं।
एक बात और स्पष्ट है कि Rahul Gandhi का लगभग 20 वर्ष लंबा पॉलिटिकल हनीमून पीरियड अब ख़त्म होता दिखाई दे रहा है। अब कांग्रेस के अंदर से भी उनके खिलाफ आवाजें उठने लगी हैं।
अब देखना होगा कि कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी को और कुछ वर्ष का समय देकर पार्टी की छीछालेदर कराते हैं या फिर पार्टी को बचाने के लिए उनके विरुद्ध दबे स्वर में उठ रहीं आवाजों को तेज करते हैं।