इस लेख की सामग्री भारत और अफगानिस्तान की राजनीति, विकास और संस्कृति पर रिपोर्ट करने वालीं पत्रकार रूचि कुमार के एनपीआर पर प्रकाशित अंग्रेजी लेख से ली गई हैं।
16 वर्षीय मार्जिया मोहम्मदी ने अपनी डायरी में उन सभी चीजों की एक लिस्ट तैयार की थी जो वह अपने जीवन में करना चाहती थी। बेस्ट-सेलिंग तुर्किश-ब्रिटिश उपन्यासकार एलिफ शफाक से मिलने की इच्छा इन ख्वाहिशों में सबसे ऊपर थी, उसके बाद थी पेरिस में एफिल टॉवर की यात्रा, और एक इतालवी रेस्तरां में पिज्जा खाने की इच्छा।
लेकिन काबुल के हजारा बहुल इलाके के काज लर्निंग सेंटर पर हुए आत्मघाती हमले में मारे जाने के बाद, शुक्रवार को मार्जिया के सपनों का अंत हो गया। संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी के अनुसार, 53 मृतकों में उसके चचेरे भाई और सबसे अच्छे दोस्त, 16 वर्षीय हजार मोहम्मदी भी शामिल थी, मृतकों में से ज्यादातर लड़कियां थीं।
मार्जिया की लिस्ट में बाइक चलाना, गिटार सीखना, और देर रात पार्क में टहलना जैसी चीजें शामिल थीं जो अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता रहते हुए महिलाओं और लड़कियों के लिए आसान नहीं हैं।
लेकिन मार्जिया अलग थी, उसके चाचा जहीर मोदाक ने कहा, “वह रचनात्मक थी और उसके विचारों में साफगोई थी, उसके कुछ विचार तो इतने गहरे थे कि मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि वह इतने छोटे बच्चे के हैं।”
मार्जिया और हजार की आइडल, शफाक और विश्व समुदाय ने इस हत्याकाण्ड की कड़ी निंदा की है और न्याय की मांग की है। शफाक ने न्यूज एजेंसी एनपीआर से कहा, “यह जानकर मेरा दिल टूट गया कि वे मेरे साहित्य और नॉवेल्स पढ़ना पसंद करते थे। काबुल के लर्निग सेंटर में हुए भयानक आत्मघाती बम विस्फोट में दर्जनों हजारा अफगान लड़कियों के साथ मार्जिया और हजार की दुखद मौत दिल दहला देने वाली है।”
उन्होंने कहा, “इन लड़कियों को इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि एक तो वे महिलाएं थीं और दूसरा वह पीड़ित अल्पसंख्यक हजारा समुदाय से थीं। उनके साथ व्यवस्थित रूप से भेदभाव किया गया है और उन्हें बुनियादी मानवाधिकारों से वंचित किया जाता रहा है।”
हजारा समुदाय पर हमलों में वृद्धि
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से पिछले एक साल में हजारा समुदाय के खिलाफ हमलों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है, मुख्यतः शिया मुसलमान हजारा समुदाय पर सुन्नी आतंकवादी समूहों द्वारा ऐतिहासिक रूप से अत्याचार किए जाते रहे हैं। ह्यूमन राइट्स वॉच द्वारा पिछले महीने जारी एक रिपोर्ट में हजारा समुदाय के खिलाफ हुए उन 16 हमलों का दस्तावेजीकरण किया गया था जिसमें कम से कम 700 लोग मारे गए या घायल हुए थे।
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ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से मास्टर्स कर रहीं एक हजारा बुद्धिजीवी अनीस रेजाई ने कहा, “हजारा समुदाय के खिलाफ हो रहे लक्षित हमलों का एक महत्वपूर्ण पहलू लगातार नजरअंदाज किया जाता है, वह है महिलाएं का इन हमलों में असंतुलित रूप से प्रभावित होना। उन पर दोहरा बोझ है, हजारा महिलाओं के साथ केवल लैंगिक पहचान के कारण भेदभाव नहीं किया जाता बल्कि उनकी हजारा पहचान के कारण उन्हें मार भी दिया जाता है।”
तालिबान शासन में पढ़ाई छोड़ स्कूली छात्राओं ने उठाई सिलाई मशीन
तालिबान ने सत्ता संभालने के साथ ही महिला स्वतंत्रता के खिलाफ लड़कियों के स्कूल बंद करने जैसे कई प्रतिबंध लगाए हैं। मार्जिया के भाई-बहनों सहित लाखों युवा अफगान लड़कियां एक साल से स्कूल नहीं जा पाए हैं। इस प्रतिकूल वातावरण ने मार्जिया जैसी लड़कियों में पढाई की ललक जगा दी है।
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मार्जिया के अलावा कुछ और हजारा मृतक लड़कियों की चिट्ठियाँ भी सामने आ रही हैं, जिसमें 17 वर्षीय ओमुलबनी असगरी, 18 वर्षीय वहीदा, 20 वर्षीय बहारा जैसी लडकियाँ शामिल हैं। ओमुलबनी असगरी हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पोलिटिकल इकॉनमी की पढाई करना चाहती थी, वहीदा डॉक्टर बनना चाहती थी, बहारा को भारतीय फिल्में देखना पसंद था, और मार्जिया शफाक की तरह एक नॉवेल लिखना चाहती थी।
मार्जिया की डायरी बताती है आतंक के बीच भावनाओं के रास्ते
मार्जिया अपनी डायरी में अपनी इच्छाएँ बताती है, अपने सपने बताती है, अपने द्वारा झेले गए संघर्षों की चर्चा करती है, और अपनी उपलब्धियों के लिए खुश भी होती है। उसकी डायरी तालिबान शासन में जी रहीं युवा अफगान लड़कियों, और विशेष रूप से हजाराओं के जीवन संघर्ष में एक रौशनी की तरह है।
15 अगस्त, 2021 को जिस दिन तालिबान ने अफगानिस्तान की राजधानी पर कब्जा किया था – उस दिन महिला अधिकारों पर तालिबान के विचारों से परिचित मार्जिया लिखती है, “लोग डरे हुए हैं। हम सदमे और अविश्वास में हैं, खासकर मेरे जैसी लड़कियाँ।“
जब अमेरिकी सैनिक उस रात काबुल को बचाने की कोशिश कर रहे थे, तब मार्जिया और हजार अमेरिकी फिल्म ‘आई स्टिल बिलीव’ देखकर अपने आसपास फैली अराजकता से अपने मन को दूर रखने की कोशिश कर रहे थे। उस रात बिस्तर पर जाने से पहले मार्जिया ने अपनी डायरी में लिखा, “एक पूरा दिन बर्बाद हो गया।”
23 अगस्त को, उसने अपने तालिबान शासित शहर के पहले पहले अनुभव कुछ इस तरह बताए, “तालिबान के आने के बाद पहली बार बाहर निकली। यह डरावना था और मैं बहुत असुरक्षित महसूस कर रही थी। मैंने एलिफ शफाक की ‘आर्किटेक्ट्स एप्रेंटिस’ खरीदी, और आज मुझे एहसास हुआ कि मुझे किताबों और लाइब्रेरी से कितना प्यार है। मुझे किताबें पढ़ते हुए लोगों के चेहरों पर आई खुशी देखना अच्छा लगता है।”
इसके अगले दिन, मार्जिया ने लिखा, “यह एक थका देने वाला दिन था … मुझे कुछ बुरे सपने आए, मुझे याद नहीं आ रहा, पर मैं अपनी नींद में रो और चिल्ला रही थी। जब मैं उठी तो मुझे असहज महसूस हुआ। मैं एक कोने में जाकर रोई और इससे मैंने बेहतर महसूस किया।”
उसके चाचा मोदाक कहते हैं, “उनकी डायरियों से हमें पता चला कि वह और हजार आर्किटेक्ट बनना चाहती थीं, जिसमें कला और रचनात्मकता के प्रति उनका प्यार शामिल है। उन्होंने आर्किटेक्ट कोर्स और इंडस्ट्री के बारे में काफी रिसर्च की थी और वो लर्निंग सेंटर पर वीकली टेस्ट दे रहे थे।”
पहले प्रैक्टिस टेस्ट में मार्जिया और हजार ने 100 में से क्रमश: 50 और 51 प्रतिशत अंक हासिल किए थे। उस दिन मार्जिया ने अपनी डायरी में टिप्पणी की कि वह इस स्कोर से खुश नहीं थी और वह अगले सप्ताह के मॉक टेस्ट में 60 प्रतिशत अंक प्राप्त करने का लक्ष्य रखेगी। इसके बाद अगले टेस्ट में उसने 61 रन बनाए। उस दिन उसने लिखा, “वाह, ब्रावो मार्जिया!”
अपनी डायरी में एक और जगह मार्जिया लिखती हैं, “कोई बहाना नहीं चलेगा, बिजली के साथ या बिजली के बिना, मुझे अपनी पढ़ाई जारी रखनी होगी। मुझे खुद को साबित करना होगा कि मैं मजबूत हूँ।” उसके नीचे, मार्जिया ने अंग्रेजी में लिखा, “मार्जिया यह कर सकती है। मैं अपने दिल की गहराइयों से उस पर एतबार करती हूँ।”
उसके चाचा ने कहा कि उसके स्कोर में धीरे-धीरे बहुत सुधार हुआ। “उसका अंतिम स्कोर 82 प्रतिशत था। उसे इस सप्ताह भी अपना स्कोर बनाए रखने की उम्मीद थी, लेकिन फिर …,” यह यह कहते कहते उसके चाचा का गला रूंध गया।
हजारा स्कूलों को बनाया जा रहा बार-बार निशाना
“यह कोई नई घटना नहीं है,” रेजाई ने कहा। 2018 के बाद से हालिया बमबारी काबुल में हजारा स्कूलों को निशाना बनाकर किया गया चौथा हमला है, जिनमें 200 से ज्यादा युवा मारे जा चुके हैं। काज लर्निंग सेंटर, जहां मार्जिया और हजार मारी गई हैं, को 2018 में भी निशाना बनाया जा चुका है, जब इसे मावूद अकादमी कहा जाता था, उस हमले में 40 लोग मारे गए थे और 67 घायल हो गए थे।
“यह हमला हजारा समुदाय पर एक पैटर्न के तहत किए जा रहे व्यवस्थित हमलों में से एक है। पिछले 20 साल से, हजारा समुदाय स्कूलों, स्पोर्ट्स क्लबों, अस्पतालों, शादी समारोहों और अन्य सामाजिक समारोहों में जीनोसाइड हमलों का शिकार रहा है, और किसी भी सरकार के तहत कोई अपराधी अब तक न्याय के कटघरे में नहीं लाया गया है।”
आतंकवादी अक्सर हजारा शिक्षा संस्थानों को निशाना बनाते हैं, क्योंकि हजारा समुदाय में शिक्षा और सीखने के प्रति ललक है। कुछ दशक पहले तक बहुत से हजारा माता-पिता अपनी लड़कियों को स्कूल तक भेजना नहीं चाहते थे, पर सामाजिक चेतना और जागरण के द्वारा धीरे-धीरे ये तस्वीर बदल गई।
शफाक ने अफगानिस्तान की लड़कियों की हौसलाफजाई करते हुए कहा, “अफगानिस्तान की उन महिलाओं और लड़कियों के प्रति मेरे मन में बहुत सम्मान है जो अपनी शिक्षा के अधिकार की लड़ाई लड़ रही हैं। मैं उनकी बहादुरी से हैरान हूँ।”
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