देश की राजधानी दिल्ली में यमुना नदी की स्थिति सुधरने का नाम नहीं ले रही है। प्रदूषण और गंदगी के चलते यमुना का पानी अब कई जगहों पर जहरीला हो चुका है लेकिन दिल्ली की केजरीवाल सरकार विज्ञापनों में मस्त है। जनता की कमाई का हजारों करोड़ रूपया सफाई के नाम पर खर्च किया जा चुका है परन्तु यमुना में अब भी जहरीले झाग के ही दर्शन हो रहे हैं।
दिल्ली विधानसभा में दी गई एक जानकारी के अनुसार, वर्ष 2017-21 के बीच यमुना की सफाई के नाम पर दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने 6,856 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। दिल्ली के पर्यावरण विभाग ने यह जानकारी दिल्ली विधानसभा में दी है।
इतनी लम्बी चौड़ी धनराशि खर्च करने के बाद भी यमुना की स्थिति दिल्ली में जस की तस बनी हुई है। हाल ही में दिल्ली विधानसभा में भाजपा के एक विधायक द्वारा यमुना के पानी के नमूनों को लाए जाने पर ख़ूब विवाद हुआ था। इस मामले में सरकार ने सफाई ना करवा पाने की अपनी गलती मानने की बजाय विधायक द्वारा लाए गए नमूनों को ही गलत बता दिया।
गौरतलब है कि अरविन्द केजरीवाल लगातार अपने भाषणों और बयानों में यमुना को साफ़ और निर्मल करने की बात दोहराते आए हैं, लेकिन इनमें से कोई भी काम जमीन पर नहीं उतारा जा सका है। अरविंद केजरीवाल लगातार यमुना की सफाई जैसे मुद्दों पर राजनीति करने और अन्य राज्यों तथा केंद्र सर्कार पर दोष मढ़ते रहे हैं।
दिल्ली में यमुना की बदहाली का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसकी कुल गंदगी में दिल्ली का वजीराबाद से लेकर ओखला के बीच का हिस्सा 76% जिम्मेदार है।
यह हिस्सा मात्र 22 किलोमीटर लम्बा है जबकि इसकी कुल लम्बाई 1370 किलोमीटर है। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के अनुसार, दिल्ली में 53 किलोमीटर बहने के दौरान इसमें 22 बड़े नाले गिरते हैं।
दिल्ली और आसपास के इलाकों में इसके पानी से उगाई जाने वाली सब्जियों तक के बारे में कई रिपोर्ट में उनके दूषित होने की आशंका जताई गई है। अन्य कई शोध में यह सामने आया है कि यमुना में प्रदूषण का स्तर सामान्य से कहीं अधिक है।
दिल्ली से हर साल छठ त्यौहार के दौरान चिंताजनक तस्वीरें सामने आती रहीं हैं। छठ पूजा के दौरान व्रतियों को नदी के जहरीले फोम में खड़े होकर पूजा अर्चना करनी पड़ती है। साल दर साल ऐसी तस्वीरें सामने आती रहीं हैं लेकिन स्थिति में कोई बदलाव नहीं आ सका है।
पांच वर्षों में हजारों करोड़ रुपए की धनराशि खर्च करने के बाद भी यमुना की स्थिति में कोई सुधार ना आना कई सवाल खड़े करता है।
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