गाँधी जी डूब गए हैं। गाँधी जी डूबे क्योंकि राजघाट डूब गया, राजघाट डूब गया क्योंकि दिल्ली डूब गयी। दिल्ली डूब गयी तो जिम्मेदार मालिक ही होना चाहिए। दिल्ली के मालिक कौन? दिल्ली के स्वघोषित मालिक अरविन्द केजरीवाल।
ना कोई प्लानिंग न कोई इंफ़्रास्ट्रक्चर और न लोगों की कोई चिंता, सड़कें डूब रही हैं, सड़कों पर लोग डूब रहे हैं और अब दिल्ली की ये स्थिति देख कर बापू ने भी राजघाट पर जल समाधि ले ली है।
यह वही राजघाट है जिसे अरविन्द केजरीवाल अपने पार्टी ऑफिस की तरह इस्तेमाल करते हैं।
उपराज्यपाल से विवाद हो तो राजघाट, सीबीआई केजरीवाल को जांच के लिए बुलाए तो राजघाट। सत्र में विधानसभा नहीं चलानी हो तो चलो राजघाट, आबकारी नीति में चार्जशीट फ़ाइल हुई तो चलो…. मनीष सिसोदिया हों या सत्येंद्र जैन, दोनों भ्रष्टाचार पर हुई कार्रवाई में जेल गए तो पूरी पार्टी पहुंच गयी राजघाट लेकिन अब इसी राजघाट पर यमुना बह रही है।क्या ये माना जा सकता है कि यमुना जी इस तरह से इस स्थल की पवित्रता को वापस ला रही हैं?
कुछ भी हो लेकिन आज दिल्ली जब मुसीबत में है तो अरविन्द केजरीवाल को राजघाट पर जाना चाहिए। तैरकर या डूबकर नहीं बल्कि NDRF की मदद ले सकते हैं वही NDRF जो इस समय कश्मीरी गेट पर रेस्क्यू मिशन चला रहा है।लेकिन ख्याल इस बात का रखा जाना चाहिए कि केजरीवाल अपने साथ संजय सिंह को न ले जाएँ।
अगर अरविन्द केजरीवाल किसी तरह राजघाट पर पहुंच भी गए तो वे बापू से क्या कहेंगे? दिल्ली की मौजूदा स्थिति को देख कर वे बापू के सामने रो सकते हैं ? लेकिन इससे वहां यमुना के पानी में पहुंचे घड़ियाल भी सकते में आ सकते हैं।
हो सकता है कि केजरीवाल गाँधी जी से माफ़ी भी मांग लें कि उन्हें मालूम होता कि राजघाट डूबने वाला है तो वे सिर्फ हरियाणा के मुख्यमंत्री या गृह मंत्री अमित शाह पर ही इसका ठीकरा नहीं फोड़ते बल्कि प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति के लिए भी इसके लिए पत्र लिखते।
केजरीवाल राजघाट से यह सन्देश तो दे ही सकते हैं कि उन्होंने जो कहा सो किया और आज दिल्ली झीलों का शहर नहीं बल्कि झील में ही एक शहर बन चुका है। यह सुनकर बापू शायद यही कहेंगे “बेटा अरविन्द अपना शीशमहल तो तुमने शानदार बना दिया लेकिन मेरे राजघाट को क्यों डुबा दिया, हे राम।