कौन एलजी? कहाँ से आ गया एलजी?
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के दिल्ली विधानसभा में बोले गए यह शब्द हर किसी ने सुने। अब केजरीवाल के इन्हीं सवालों पर जवाब दिया है, दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने। दिल्ली के एलजी ने आज केजरीवाल के नाम चार पन्नों की चिठ्ठी जारी की। आपको बता दें इस चिट्ठी में उन्होंने 17 बिंदुओं में अपनी बात रखी है।
इस चिट्ठी में उन्होंने मुख्यत: 4 विषयों पर बात की है। पहला, आप विधायकों के साथ राज निवास में मुलाकात पर। दूसरा, दिल्ली के शिक्षा मॉडल पर, तीसरा शिक्षकों को फ़िनलैंड भेजने के मुद्दे पर और चौथा दिल्ली यूनिवर्सिटी में नियुक्ति के मामले पर।
अब बात विस्तार से
चिट्ठी की शुरुआत में वीके सक्सेना ने कहा कि ‘उपराज्यपाल कौन है’ और ‘वह कहाँ से आए’ का जवाब दिया जा सकता है। अगर आप भारत के संविधान को देख लें तो इन सवालों का जवाब देने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह बहुत निम्न स्तर की चर्चा है।
इसके बाद एलजी ने केजरीवाल पर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और आप विधायकों के साथ 16 जनवरी को राजनिवास तक मार्च के दौरान “राजनीतिक दिखावा” करने का भी आरोप लगाया।
एलजी ने कहा कि उन्हें मीडिया रिपोर्ट्स से पता चला कि मुख्यमंत्री उनके राजनिवास के बाहर मुलाकात के लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, इसके बाद जब उन्हें बैठक का निमंत्रण भेजा गया तो वह अपने सभी विधायकों के साथ मिलने की जिद पर अड़ गए।
एलजी ने कहा कि इतने शॉर्ट नोटिस के चलते 70 से 80 लोगों के साथ अचानक बैठक करना संभव नहीं होता और ना ही इससे कोई ठोस उद्देश्य पूरा होता। दुर्भाग्य से, आपने राजनीतिक दिखावा करने के लिए ये कह दिया कि ‘एलजी ने मुझसे मिलने से इनकार कर दिया’।
इसके बाद उन्होंने दिल्ली के शिक्षा मॉडल की पोल खोलते हुए कुछ तथ्यों पर बात की।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी के सरकारी स्कूलों में एवरेज अटेंडेंस का ग्राफ किस तरीके से गिरा है। साल 2012 में जहाँ यह अटेंडेंस 70 प्रतिशत थी। वहीं साल 2019 तक यह 60 प्रतिशत तक आ गई।
दिल्ली की जनसँख्या बढ़ने के बावजूद स्कूलों में एनरोलमेंट यानी स्कूल में एड्मिशन में भी कमी बताई है। उन्होंने बताया साल 2013 में यह संख्या 16 लाख थी और 2020 आते आते 15 लाख रह गई।
स्कूलों के निर्माण पर एलजी ने लिखा कि केजरीवाल जी हाल ही में मैंने आपको बताया था कि पिछले 8 सालों में दिल्ली में एक भी नए स्कूल का निर्माण नहीं हुआ है। जबकि दिल्ली सरकार को 2015 में ही 13 प्लाट आवंटित किए जा चुके हैं।
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इसके बाद एलजी ने स्कूल की परफॉरमेंस पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने साल 2021 के नेशनल अचीवमेंट सर्वे के हवाले से कहा कि कक्षा 8वीं के 30 प्रतिशत स्टूडेंट्स ऐसे हैं जो बेसिक लेवल से नीचे हैं और 44 प्रतिशत ऐसे हैं जो बमुश्किल ही बेसिक लेवल को छूते हैं।
वहीं विज्ञान को लेकर स्टूडेंट्स में इतना भय हो चुका है कि 12वीं कक्षा के 2 लाख से अधिक स्टूडेंट्स में मात्र 21 हज़ार ही विज्ञान पढ़ने वाले छात्र हैं।
अरविन्द केजरीवाल के उस दावे को भी खारिज किया। जहाँ वह दिल्ली के सरकारी स्कूल को प्राइवेट स्कूल से बेहतर बताते हैं। एलजी ने लिखा कि साल 2013 में प्राइवेट स्कूल में 35 प्रतिशत स्टूडेंट्स पढ़ते थे जिनकी संख्या साल 2020 में 43 प्रतिशत पहुंच गई।
कोरोना महामारी में प्राइवेट से सरकारी स्कूल की ओर पलायन के बावजूद भी यह आँकड़ा 40 प्रतिशत के आसपास ही रहता है।
स्कूलों में स्थायी नियुक्ति ना कर हज़ारों की संख्या में गेस्ट टीचर नियुक्त करने की परम्परा को भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाली प्रक्रिया बताया। (घोस्ट टीचर)
इसके बाद एलजी ने शिक्षकों को फ़िनलैंड भेजे जाने वाले मुद्दे पर भी केजरीवाल को जवाब दिया।
दरअसल केजरीवाल लगभग 60 शिक्षकों के दल को कथित ट्रेनिंग हेतु 5 दिवसीय दौरे पर भेजना चाहते थे और एलजी ने इस पर कुछ प्रश्न पूछे थे लेकिन इसके बाद केजरीवाल ने मीडिया में कहा कि एलजी शिक्षकों को ट्रेनिंग पर नहीं भेजना देना चाहते हैं।
एलजी ने जवाब देते हुए कहा कि “मैंने इस प्रस्ताव को रिजेक्ट नहीं किया बल्कि दौरे से जुड़े कुछ सवाल जरूर पूछे थे जैसे पिछले कुछ वर्षों में किए गए ऐसे दौरे कितने प्रभावी रहे और इनका लागत लाभ विश्लेषण क्या रहा है?”
एलजी ने ट्रेनिंग हेतु भारत के IIM जैसे बड़े संस्थानों में ऐसे दौरे करने की सम्भावना पर भी विचार करने को कहा था।
उन्होंने कहा मेरा उद्देश्य रोकना होता तो पूर्व में 55 शिक्षकों को 10 दिन की ट्रेनिंग लिए कैंब्रिज नहीं भेजता।
चिट्ठी के अंत में उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के 12 कॉलेजों में वेतन संबधी अनिमियतताओं को भी रखा।
दिल्ली के मुख्यमंत्री के हेडमास्टर कहने पर उन्होंने कहा कि मैं हेडमास्टर के रूप में कार्य नहीं कर रहा हूं। मैं लोगों की आवाज के रूप में काम कर रहा हूं। इसी बात के साथ उन्होंने अंत किया कि वह इस चिट्ठी को सिर्फ दिल्ली के उपराज्यपाल होने के नाते नहीं बल्कि दिल्ली के एक जागरूक नागरिक होने के नाते भी लिख रहे हैं।
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