दिल्ली के सरकारी विद्यालयों में आखिरकार उप-राज्यपाल वीके सक्सेना के सक्रिय दृष्टिकोण और निरंतर दबाव के चलते 4 माह से खाली चल रहे शिक्षकों, प्रधानाचार्यों और उप प्रधानाचार्यों के रिक्त पदों को त्वरित गति से भरा जा रहा है।
उप-राज्यपाल द्वारा 16 सितंबर, 2022 को पहली बार शिक्षा विभाग में रिक्त पदों की स्थिति की समीक्षा करने के बाद से दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (DSSSB) द्वारा 6,112 शिक्षकों के रिक्त पद नियमित प्रकिया के जरिए भर दिए गए हैं। इनके अलावा भी मार्च, 2023 तक करीब 2,200 रिक्त भर्तियों पर नियुक्तियाँ की जाएंगी।
सितंबर के बाद से अब तक उप-राज्यपाल द्वारा मामले में त्वरित कार्य सुनिश्चित करने के लिए लगातार निरक्षण किया जा रहा है और इसके तहत वे विभाग और DSSSB के साथ तीन बैठकें कर चुके हैं।
DSSSB द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार 16 सितंबर को हुई एलजी के साथ बैठक के समय दिल्ली के सरकारी विद्यालयों में करीब 24,003 रिक्त पद थे जोकि अब 17,891 पर आ गए हैं। साथ ही इस प्रक्रिया में अस्थाई शिक्षकों की संख्या में भी 3,094 की कमी देखी गई। जहाँ पिछले वर्ष हुई बैठक के समय इस केटेगरी में रिक्त पदों की संख्या 19,880 थी वो अब 17,786 पर पहुँच गई है।
समीक्षा बैठक के दौरान अधिकारियों ने उप-राज्यपाल को जानकारी दी है कि प्रधानाध्यापक के 543 पदों पर 363 की नियुक्ति सीधी भर्ती से की जाएगी तो 180 पद पदोन्नति के जरिए भरे जाएंगे। इसकी माँग यूपीएससी को भेज दी गई है और ये प्रक्रिया मार्च, 2023 तक पूर्ण कर ली जाएगी। साथ ही यूपीएससी को उप प्रधानाचार्यों के 130 रिक्त पदों पर भी सीधी भर्ती करने की माँग भेजी गई है।
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ज्ञात हो कि दिल्ली के सरकारी विद्यालयों में प्रधानाचार्यों और उप-प्रधानाचार्यों के पदों पर नियुक्ति यूपीएससी द्वारा की जाती है तो शिक्षकों की भर्ती का कार्य DSSSB द्वारा किया जाता है। जानकारी है कि पिछले 7 वर्षों में केजरीवाल सरकार के कार्यकाल में शिक्षकों की भर्ती का कार्य पूरा नहीं हो पाया है। रिक्त पदों पर सरकार द्वारा लगातार बिना किसी नियम के गेस्ट शिक्षकों की भर्ती की गई। ये गेस्ट शिक्षकों पर किसी तरह की वित्तीय एवं शुल्कों जिम्मेदारी नहीं संभालते।
इसी कारण दिल्ली के सरकारी विद्यालयों में लंबे समय से शिक्षकों की भारी कमी देखी जा रही है। जहाँ मात्र 67% की कार्यक्षमता से विद्यालयों का संचालन किया जा रहा है। साथ ही इन्हीं विद्यालयों में 84% विद्यालय प्रधानाध्यापक की अनुपस्थिति में संचालित हो रहे हैं जो शिक्षण संस्थान के प्रबंधन में सर्वोच्च ईकाई होता है।
यहाँ तक कि विद्यालयों में 34% प्रधानाचार्यों के पद रिक्त हैं। वर्तमान स्थिति की बात करें तो 950 प्रधानाचार्य के पदों में से 848 पद रिक्त हैं। वहीं, 1,670 उप-प्रधानाचार्यों के पदों में से 627 पद रिक्त हैं।
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