दिल्ली भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) ने दिल्ली सरकार के श्रम विभाग से जुड़े एक मामले में 900 करोड़ रुपए के घोटाले को उजागर किया है। एसीबी की प्राथमिक जाँच में पाया गया है कि दिल्ली सरकार के श्रम विभाग में बड़ी सँख्या में श्रमिक के तौर फर्जी पंजीकरण किया गया और कागज़ों में इन फ़र्ज़ी श्रमिकों के जरिए पैसे बाँटे गए।
समाचार एजेन्सी एनएनआई ने एसीबी के एक सूत्र के हवाले से कहा है कि दिल्ली श्रमिक कल्याण बोर्ड ने श्रमिकों के रूप में जिन 17 लाख व्यक्तियों का पंजीकरण किया गया था, उनमें से जब सैम्पल के तौर पर 800 व्यक्तियों के पंजीकरण की जाँच की गई तो जाँच में आधे से अधिक पंजीकरण फर्ज़ी पाए गए। यहाँ तक कि कुछ मामलों में, बी.टेक और एम.कॉम की डिग्री हासिल कर चुके लोगों को श्रमिक के रूप में पंजीकृत करवाया गया और प्रत्येक को 15,000 रुपये तक की राशि भी बाँटी गई।
एसीबी के सूत्र ने यह भी बताया कि पंजीकरण की जाँच के बाद जब लाभार्थियों से सम्पर्क किया गया तो खुलासा हुआ कि इन लोगों का निर्माण कार्य से कोई नाता नहीं है। ये लोग अलग-अलग राज्यों में निवास करते हैं और आर्थिक रूप से भी मजबूत हैं। वहीं अग्रिम जाँच में यह लोग अलग-अलग व्यवसायों से जुड़े पाए गए।
एएनआई के अनुसार, “मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने हाल ही में ऐसे 10 लाख ‘श्रमिकों’ को 5,000 रुपये वितरित करने की घोषणा की थी, जिनमें से लगभग 8 लाख फर्जी और झूठे बताए गए हैं। जाहिर तौर पर शहर में आगामी एमसीडी चुनावों से पहले वितरण हुई राशि से पैसा बनाया गया और मतदाताओं को रिश्वत देने का प्रयास किया गया था।”
एएनआई के मुताबिक DBOCWW बोर्ड के सदस्यों द्वारा दर्ज की गई शिकायतों में यह “तथ्य सामने लाए गए।”
ज्ञात हो कि बोर्ड के सदस्यों ने सितम्बर माह में इन कथित अनियमितताओं को दिल्ली के उप-राज्यपाल वी. के. सक्सेना के समक्ष प्रस्तुत किया था। इसके बाद उप-राज्यपाल ने मुख्य सचिव को जाँच कर, एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।
इससे पहले 4 नवम्बर को बीजेपी ने दिल्ली में निर्माण श्रमिकों के पंजीकरण में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा था कि साल 2018 और 2021 की अवधि के बीच लगभग 2 लाख श्रमिकों के पंजीकरण में धोखाधड़ी हुई है।