दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार (04 अगस्त, 2023) को 26 विपक्षी राजनीतिक दलों के गठबंधन (इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक इंक्लूसिव अलायंस) को I.N.D.I.A. नाम उपयोग करने के खिलाफ एक जनहित याचिका पर नोटिस जारी कर दिया है।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस अमित महाजन की खंडपीठ ने गृह मंत्रालय और सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत के चुनाव आयोग और 26 राजनीतिक दलों के माध्यम से केन्द्र सरकार से जवाब माँगा है।
न्यायालय यह कहते हुए कि यह मामला सुनना ही पड़ेगा, इसमें सुनवाई की आवश्यकता है, मामले को 21 अक्टूबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया है।
क्या है मामला?
गिरीश भारद्वाज ने विपक्षी गठबंधन के नए नाम को लेकर 26 राजनीतिक दलों के खिलाफ 19 जुलाई को भारत के चुनाव आयोग को पत्र लिखा था। हालाँकि चुनाव आयोग ने अभी तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की, जिस कारण भारद्वाज ने कोर्ट को दरवाजा खटखटाया है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि “चुनाव आयोग ने प्रतिवादी राजनीतिक दलों को अपने राजनीतिक गठबंधन के लिए संक्षिप्त नाम I.N.D.I.A. का उपयोग करने से रोकने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की है, इसलिए याचिकाकर्ता के पास इस रिट याचिका को दायर करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं बचा है।”
I.N.D.I.A. नाम के इस्तेमाल पर लगे रोक
इस याचिका में राजनीतिक दलों के संक्षिप्त नाम I.N.D.I.A. के इस्तेमाल पर रोक लगाने और भारत के चुनाव आयोग और केन्द्र सरकार को इस मामले में आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश देने की माँग की गई है।
याचिका में कहा गया है कि 26 विपक्षी पार्टियों ने 2024 में आगामी लोकसभा चुनाव में अनुचित लाभ लेने के लिए ही गठबंधन का नाम I.N.D.I.A. रखा है।
याचिका में कहा गया है कि प्रतिवादी राजनीतिक दलों द्वारा संक्षिप्त नाम I.N.D.I.A. का उपयोग करने की मंशा केवल नागरिकों की सहानुभूति और वोटों को आकर्षित और हासिल करने के लिए हैं।
नियमों का उल्लंघन
भारद्वाज ने अपनी याचिका में कहा है कि राष्ट्रीय प्रतीक का अनिवार्य हिस्सा होने के कारण संक्षिप्त नाम I.N.D.I.A. का उपयोग किसी भी व्यावसायिक, व्यावसायिक उद्देश्य और राजनीतिक उद्देश्य के लिए नहीं किया जा सकता है।
विपक्षी गठबंधन का यह नाम, प्रतीक और नाम (अनुचित उपयोग की रोकथाम) अधिनियम, 1950 और प्रासंगिक नियम का उल्लंघन है। याचिका में यह भी कहा गया, “इन राजनीतिक दलों का स्वार्थी कृत्य आगामी 2024 के आम चुनाव के दौरान शांतिपूर्ण, पारदर्शी और निष्पक्ष मतदान पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है, जिससे नागरिक अनुचित हिंसा का शिकार हो सकते हैं और देश की कानून व्यवस्था भी प्रभावित हो सकती है।
यह भी पढ़ें: नरेंद्र मोदी ने विपक्षी गठबंधन को नेशनलिज्म और डेवलपमेंट की अपनी पिच पर खड़ा कर दिया है