दिल्ली हाईकोर्ट ने आम आदमी पार्टी के नेता और शराब घोटाले के आरोपित दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को जमानत देने से मना कर दिया है। हाईकोर्ट के सामने लगाई गई सिसोदिया की याचिका पर आज मंगलवार के दिन सुनवाई हुई, जिसमें कोर्ट ने उन्हें कोई राहत देने से मना कर दिया।
हाईकोर्ट की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि ‘हम दिल्ली शराब नीति या सरकार की शक्तियों का परीक्षण नहीं कर रहे, लेकिन अभियुक्त सरकार में था और काफी शक्तिशाली है जिससे वह गवाहों को प्रभावित कर सकता है। इसलिए हम उसे राहत नहीं दे सकते’।
इससे पहले हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्टाचार के मामले में पिछले एक वर्ष से जेल में बंद दिल्ली सरकार में मंत्री रहे सत्येन्द्र जैन को जमानत दे दी थी। सत्येन्द्र जैन को यह जमानत 6 सप्ताह के लिए दी गई है। जमानत के पीछे का कारण जैन की बिगड़ी तबियत थी।
सिसोदिया को इसी वर्ष फरवरी में गिरफ्तार किया गया था जिसके बाद उनको अपने पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा था। इससे पहले मार्च में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने उनकी जमानत अर्जी को खारिज करते हुए कहा था कि वह शराब घोटाले में सबसे अहम किरदार हैं, ऐसे में उन्हें जमानत नहीं दी जा सकती।
इसी फैसले को चुनौती देते हुए सिसोदिया ने दिल्ली हाईकोर्ट से राहत की अपील की थी, जिसे आज कोर्ट ने खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने यह फैसला सुनाया। उन्होंने कहा कि सिसोदिया पर लगाए गए आरोप काफी गंभीर हैं इसलिए उन्हें जमानत नहीं दी जा सकती।
गौरतलब है दिल्ली के शराब घोटाले की जांच सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय दोनों केन्द्रीय एजेंसिया कर रही हैं। इस मामले में कहा गया था कि नई शराब नीति के परिणाम स्वरूप सरकारी खजाने को नुकसान पहुँचा था और ऐसी नीति जानबूझकर बनायी गई थी ताकि कुछ बिजनेसमैन, उद्योगपतियों को लाभ पहुँचाया जा सके। ज्ञात हो कि इस मामले में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के कविता से पूछताछ हो चुकी है।
इस नीति को लागू करने में जो अनियमितता हुई, उसमें पैसे का बड़ा खेल हुआ और इस अनियमितता से कमाए गए पैसे का उपयोग आम आदमी पार्टी ने गोवा विधानसभा चुनाव में किया। ऐसा अनुमान है कि आने वाले समय में सिसोदिया बेल के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं।
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