राजधानी में वर्ष का वह समय आ गया है जब वायु प्रदूषण राजनीति करने के लिए मुख्य मुद्दा बन जाता है। दिवाली, पराली से लेकर अन्य राज्यों को दिल्ली में प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है, और समस्या हर वर्ष जस की तस बरकरार रहती है।
पर इसबार वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए ही दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने शुक्रवार को कुछ अधिकारियों के साथ एक बैठक की थी, जिसमें सामने आया था कि दिल्ली में वायु प्रदूषण का मुख्य कारण सड़क की धूल से होने वाला प्रदूषण है। बारिश रुकने के कारण सड़कों पर सूखी मिट्टी या गाद भी वायु प्रदूषण का कारण बन रही है।
अब ये एक ऐसा कारण है जिससे निपटने के लिए अगर दिल्ली सरकार ने पूरे वर्ष काम किया होता तो वायु प्रदूषण के लिए इस समय चिंतित नहीं होना पड़ता। खैर, अब इससे निपटने की जिम्मेदारी भी एलजी सक्सेना ने ले ली है। उन्होंने बैठक में अधिकारियों से 7 से 10 दिनों के अंदर ‘धूल मुक्त दिल्ली’ अभियान शुरू करने को कहा है।
दिल्ली नगर निगम (एमसीडी), लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी), नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी), सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग (आईएफसीडी) और दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) सहित अधिकारियों को सर्दियों के मौसम से पहले ही कदम उठाने को कहा गया है, जब वायु प्रदूषण अपने चरम पर होता है।
उपराज्यपाल सक्सेना ने सड़क स्वामित्व वाली एजेंसियों, मुख्य रूप से एमसीडी और पीडब्ल्यूडी को सलाह दी है कि वे सड़कों से धूल साफ करें, उसे जमने न दें और उसे निर्धारित डंपिंग स्थलों पर ले जाएं। एमसीडी, आईएफसीडी और डीजेबी को समन्वय स्थापित कर गाद या कीचड़ को निपटान के लिए बाहर ले जाना होगा।
बयान में कहा गया है कि इससे राजधानी में वायु प्रदूषण को कम करने और अक्टूबर में जलभराव को रोकने में मदद मिलेगी, जब बारिश फिर से होने की उम्मीद है। बयान में कहा गया है कि अगर बारिश होती है, तो भी गीली मिट्टी या गाद को नालियों और सीवर लाइनों को जाम होने से बचाने के लिए लगातार हटाना होगा। काम ठीक से हो इसके लिए उपराज्यपाल ने ‘Before and After’ फोटो लेकर उन्हें लगातार रिपोर्ट करने के निर्देश भी दिए हैं।
जलभराव या धूल-मिट्टी से दिल्ली की हवा घुटन पैदा न करे इसके लिए उपराज्यपाल ने तो सक्रियता दिखाई है पर इन प्रयासों को भी आम आदमी पार्टी ने राजनीतिक रूप दे दिया है। उपराज्यपाल की सक्रियता पर शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि वीके सक्सेना ‘क्रेडिट’ लेन का प्रयास कर रहे हैं। सौरभ भारद्वाज का कहना है कि उनकी सरकार गाद हटाने का प्रयास कर रही है पर उपराज्यपाल सक्सेना क्रेडिट लेने की राजनीति कर रहे हैं।
सवाल ये है कि पूर्णतया सक्षम और कार्यशील सरकार होने के बाद भी उपराज्यपाल को क्रेडिट लेने का मौका मिल ही क्यों रहा है?
ऐसा तो नहीं है कि सौरव भारद्वाज ने वायु प्रदूषण की समस्या का नाम पहली बार सुना हो? फिर पिछले 10 वर्षों में ये गाद हटाने, जलभराव की समस्या सुलझाने या सड़कों के किनारे सूखी मिट्टी को हटाने का काम क्यों नहीं किया गया? वो ये काम पूरे वर्ष कर देते तो संभव था कि क्रेडिट आम आदमी पार्टी को ही मिल जाता!
प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए सौरव भारद्वाज काम में तेजी लाए और उसका क्रेडिट भी लें पर जो वास्तव में जमीन पर काम कर रहा है उस पर क्रेडिट की राजनीति का आरोप लगाना कहां तक सही है?
अभी इसी वर्ष मानसून में ही दिल्ली जलमग्न हो गई थी। राजधानी का लगभग हर क्षेत्र जलभराव से जूझ रहा था और इसी के कारण कुछ यूपीएससी छात्रों की मौत होने का मामला भी सामने आया था। अब प्रदूषण और जलभराव जैसी समस्याएं फिर से सामने हैं तो सौरव भारद्वाज काम करने के स्थान पर ये सुनिश्चित करने में लगे हैं कि उपराज्पाल इसका क्रेडिट न लें जा सकें।
राजधानी में प्रदूषण, यमुना की सफाई और अन्य बुनियादी कामों के लिए सरकार ने पिछले दस वर्षों में बड़े-बड़े वादे तो किए पर काम नहीं किया। सरकार हर वर्ष प्रदूषण को नियंत्रित करने में विफल रहती है और फिर इसपर दिवाली या अन्य राज्यों को दोष देकर राजनीति करती आई है।
दिल्ली सरकार को भरत-राम बनने से अगर फुर्सत मिले तो उसे यहां की समस्याओं को सुलझाने पर ध्यान देना चाहिए, जिसका वादा वे 10 वर्षों से करते आ रहे हैं। चाहे वो यमुना नदी की सफाई हो, वायु प्रदूषण हो या दिल्ली की सड़कों पर होता जलभराव। अन्यथा उन्हें क्रेडिट की राजनीति से जुझना तो पड़ेगा ही…
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