दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी, बड़े-बड़े आँकड़ो को ढाल बनाकर जनता को गुमराह करने में कभी विफल नहीं होती। यह लोग पहले झूठे वादे करते हैं और फिर अनुचित तुलना इस्तेमाल करते हुए दावा करते हैं कि दिल्ली सरकार के पास धन की कोई कमी नहीं है!
अप्रैल 2022 में, आम आदमी पार्टी ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से एक ट्वीट करते हुए लिखा था, “भाजपा लोगों की जेब खाली कर राज्यों को ऋणी बनाती है। इसलिए यदि आप शासन चलाना सीखना चाहते हैं, तो केजरीवाल सरकार से सीखें।”
इसमें दिलचस्प बात यह थी कि आम आदमी पार्टी की पीआर टीम शायद यह भूल गई की तुलना करने के लिए आधार भी तो तुलनात्मक होना चाहिए।
आइए चलते है अरविन्द केजरीवाल के राज्य और देखते हैं ऋण के मामले में उनकी सरकार की उपलब्धियों को!
दिल्ली के वार्षिक वित्तीय विवरण, 2022-23 के अनुसार, दिल्ली सरकार के कोष में 7601 करोड़ रुपए अधिशेष (Economic Surplus) हैं। इसकी तुलना किसी भी भाजपा शाषित राज्य से करें तो यह राशि कहीं नहीं ठहरती। यह बात आम आदमी पार्टी डेटा की अपनी अनुचित तुलना करने की प्रवृत्ति के कारण नजरअंदाज कर दिया।
इसके अलावा, बात अगर दिल्ली के बकाया कर्ज की करें, तो दिल्ली सरकार काफी गहरे पानी में है। हो सकता है कि आम आदमी पार्टी के लोग रिपोर्ट निकलने से पहले यह उल्लेख करना भूल गई हो कि वर्ष 2022 के दिल्ली आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, 2020-21 के अंत में दिल्ली का बकाया कर्ज 40,697 करोड़ रुपए (जीएसडीपी का 5.18%) था।
वर्ष 2021-2022 के आर्थिक सर्वेक्षण की बात करें तो दिल्ली सरकार का घाटा -5645.03 करोड़ रूपए है। यह घाटा दिल्ली के कुल जीडीपी को -0.61% तक लेकर जाता है।