राजधानी दिल्ली में राजनीतिक महकमे में भूंकप आया हुआ है। एक तरफ भ्रष्टाचार के आरोप में सीबीआई ने मुख्यमंत्री केजरीवाल को नोटिस भेज दिया है तो दूसरी ओर सरकार के मंत्रियों की उपराज्यपाल के साथ वाद-विवाद भी जारी है। इस बार दिल्ली की ऊर्जा मंत्री आतिशी ने आरोप लगाया है कि एलजी वीके सक्सेना की वजह से बिजली सब्सिडी योजना बंद हो जाएगी।
दिल्ली की ऊर्जा मंत्री ने शुक्रवार (14-04-2023) को आरोप लगाया था कि दिल्ली के आमजन को दी जाने वाली सब्सिडी वाली बिजली शनिवार को बंद कर दी जाएगी। आम आदमी पार्टी सरकार आने वाले साल तक सब्सिडी जारी रखना चाहती है पर वह फाइल दिल्ली के एलजी के पास है और जब तक फाइल वापस नहीं आती, तब तक आप सरकार सब्सिडी का बजट जारी नहीं कर सकती।
इन आरोपों पर उपराज्यपाल का कहना है कि बिजली सब्सिडी से संबंधित फाइल को गुरुवार देर रात मंजूरी दी गई और उस पर हस्ताक्षर कर शुक्रवार को बिजली मंत्री आतिशी की प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भेज दिया गया था।
वीके सक्सेना का कहना है कि ऊर्जा मंत्री के बयान झूठे और भ्रामक हैं। बिजली सब्सिडी के संबंध में फाइल को गुरुवार की देर रात को मंजूरी दी गई थी और हस्ताक्षर के साथ शुक्रवार को प्रेस वार्ता के पूर्व ही भेज दिया गया था। उनका कहना है कि आतिशी एवं दिल्ली सरकार स्पष्ट रूप से अपने गलत कार्यों में पकड़े जाने के कारण झूठे दावों एवं आख्यानों से अपना चेहरा बचाने की कोशिश कर रहे हैं।
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इसके साथ ही एलजी ने कार्यालय में फाइल भेजने में हुई देरी पर बात करते हुए कहा कि आतिशी एवं मुख्यमंत्री केजरीवाल को दिल्ली की जनता को जवाब देना चाहिए कि फाइल के संबंध में निर्णय को लंबित क्यों रखा जबकि कैबिनेट ने इसे 4 अप्रैल, 2023 को ही मंजूरी दे दी थी। क्यों एलजी कार्यालय में 11 अप्रैल, 2023 को फाइल भेजी गई जबकि समय सीमा 15 अप्रैल को समाप्त हो रही थी।
इसके साथ ही वीके सक्सेना ने कहा कि 13 अप्रैल को पत्र लिखना एवं शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के अभिनय की क्या आवश्यकता थी जब एलजी द्वारा फाइल को पहले ही मंजूरी दे दी गई थी। एलजी ने ऊर्जा मंत्री को सलाह देते हुए कहा कि उन्हें उपराज्यपाल के खिलाफ अनावश्यक राजनीति और निराधार झूठे आरोपों से बचना चाहिए। साथ ही वह ऐसे आरोपों से लोगों को भ्रमित कर रही हैं।
इसके पहले एलजी ने बीते 6 वर्षों में निजी वितरण कंपनियों को दिए गए 13,549 करोड़ रुपए का ऑडिट नहीं कराने के लिए केजरीवाल सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि एलजी गरीबों को बिजली सब्सिडी देने के समर्थन में है पर निजी वितरण कंपनियों दी जाने वाली राशि का ऑडिट अनिवार्य है।
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उप राज्यपाल सक्सेना द्वारा दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) के लिए अब तक डिस्कॉम का ऑडिट करना अनिवार्य बनाने के लिए बिजली अधिनियम, 2003 की धारा 108 को लागू नहीं करने पर भी केजरीवाल सरकार पर सवाल उठाए। उनका कहना है कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) के सूचीबद्ध लेकपरीक्षकों द्वारा एकत्रित आंकड़ों को विकल्प के तौर पर नहीं माना जाना चाहिए।
एलजी द्वारा आश्चर्य व्यक्त किया गया कि डिस्कॉम के कैग ऑडिट को रद्द करने के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सरकार की अपील 7 वर्ष से अधिक समय से लंबित है और सरकार के तत्काल सुनवाई के लिए अपील दायर करके इसे जल्द से जल्द पूरा करने को कहा है।