दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने शुक्रवार (19 अगस्त, 2022) कि दिन ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ अख़बार की एक तस्वीर अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर की है। इस तस्वीर के साथ अरविंद केजरीवाल ने यह दावा किया है कि अमेरिका के सबसे बड़े अख़बार ने ‘शिक्षा के दिल्ली मॉडल’ को सराहा और मनीष सिसोदिया को स्वतंत्र भारत का सर्वश्रेष्ठ शिक्षामंत्री कहा।
‘दी इन्डियन अफ़ेयर्स’ ने जब इस पूरे प्रकरण की जाँच की तो कुछ हैरान करने वाले ऐसे तथ्य भी सामने आए, जिन्हें कि इस रिपोर्ट को प्रकाशित करने वाले पत्रकार करणदीप सिंह संभवतः रखना भूल गए थे।
इसके कारण निम्न हैं-
दरअसल न्यूयॉर्क टाइम्स अख़बार की खबर जैसा प्रतीत होने वाली जो तस्वीर अरविन्द केजरीवाल ने शेयर की है, वह ख़बर से अधिक प्रचार या विज्ञापन प्रतीत होता है। यही लेख’ न्यूयॉर्क टाइम्स’ के साथ-साथ ‘ख़लीज़ टाइम्स’ पर भी प्रकाशित हुआ है।
इन दोनों खबरों का लेखक एक ही व्यक्ति है जिसका नाम करणदीप सिंह है। इन दोनों ही तस्वीरों में एक ही स्कूल है और उसी के छात्र दिखाई दे रहे हैं।
‘सरकारी स्कूल नहीं, निजी स्कूल की है फोटो’
भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने भी अरविंद केजरीवाल पर हमला बोलते हुए ट्वीट किया। कपिल मिश्रा ने कहा कि यह फ़ोटो दिल्ली के किसी सरकारी स्कूल की नहीं है बल्कि दिल्ली स्थित मयूर विहार के ‘मदर मैरी स्कूल’ के बच्चों की है।
इसी ‘विज्ञापन’ को मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और मनीष सिसोदिया अपनी उपलब्धि बताने के साथ-साथ ‘ख़बर’ बताकर स्वयं की ही पीठ भी थपथपा रहे हैं।
भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने अपने ट्विटर हैंडल पर ट्वीट कर यह जानकारी दी है। उन्होंने अपने ट्वीट में यह भी लिखा कि अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया देश में भी झूठ बेच रहे हैं और विदेश में भी!
न्यूयॉर्क टाइम्स के साथ-साथ दिल्ली की कुछ वेबसाइट्स पर भी छपा है ‘प्रचार’
न्यूयॉर्क टाइम्स, ख़लीज़ टाइम्स के साथ-साथ इसी खबर को ‘पक्की खबर’, ‘न्यूज़ नेक्स्ट’, ‘लोकल पब्लिक’ जैसी संदेहास्पद वेबसाइट्स पर 16 अगस्त, 2022 के दिन ही प्रकाशित किया गया। यह स्पष्ट करना किसी ने भी आवश्यक नहीं समझा कि यह एक खबर नहीं बल्कि कथित प्रचार/विज्ञापन है।
ऋषि सुनाक के हवाले से भी चलाया गया अजेंडा
जैसा कि हमने हाल ही में ऋषि सुनाक के द्वारा ‘अरविंद केजरीवाल मॉडल’ फ़ॉलो करने की खबर को भी देखा, जिसमें कि उत्तराखंड की एक वेबसाइट द्वारा प्रकाशित की गई खबर को ही आधार मान कर राष्ट्रीय मीडिया ने सुनिजयोजित प्रॉपगेंडा चलाया।
ठीक इसी तरह आज भी न्यूयॉर्क टाइम्स में छपे ‘विज्ञापन’ (कथित खबर) को भी आधार मानकर देश की मुख्यधारा की मीडिया द्वारा इसका प्रचार किया जा रहा है। और तो और इस खबर को खाड़ी देशों से प्रकाशित होने वाले प्रमुख अख़बार ‘ख़लीज़ टाइम्स’ द्वारा भी प्रकाशित किया गया।
खाड़ी देशों से अरविंद केजरीवाल और AAP के सोशल मीडिया के सम्बन्धों पर @ForIndiaMatters पर एक बड़ा खुलासा किया गया था, जिसमें हमने आपको बताया था कि केजरीवाल और उनके क़रीबियों के अकाउंट खाड़ी देश एवं कनाडा से संचालित किए जाते हैं।
इस प्रकरण पर विस्तृत वीडियो आप हमारे YouTube चैनल पर भी देख सकते हैं।
वर्ष 2019 में आई दिल्ली के ‘आर्थिक सर्वे’ के अनुसार, राजधानी दिल्ली में अकादमिक वर्ष 2013-14 में कुल 992 सरकारी स्कूल थे, जहाँ 16 लाख से अधिक बच्चे पढ़ते थे।
वर्ष 2017-18 तक पिछली सरकारों द्वारा स्वीकृत किए गाए कुछ नए सरकारी स्कूल बने एवं स्कूलों की संख्या में 27 और स्कूल जुड़ गए, लेकिन स्कूलों में छात्रों की संख्या घटकर 16 लाख से 14 लाख पर आ गई।
इसी दौरान, दिल्ली में 558 प्राइवेट स्कूल बंद हुए, इसके बावजूद प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे वर्ष 2013-14 के मुकाबले 2017-18 तक आते-आते 2 लाख 64 हजार बढ़ गए।
आर्थिक सर्वे की ही एक रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली की जनसंख्या जिस तेज़ी से बढ़ी, उस रफ़्तार से दिल्ली के स्कूलों में जाने वाले छात्रों की संख्या नहीं बढ़ी, इसके उलट यह संख्या गिर गई।
वर्ष 2014-15 में दिल्ली के सभी सरकारी, प्राइवेट स्कूलों में 44.10 लाख छात्र थे। वर्ष 2018 आते-आते यह संख्या घटकर मात्र 43 लाख रह गई। आइज़क अर्थ यह है कि दिल्ली में आज भी हजारों ऐसे बच्चे हैं, जो या तो स्कूल से बाहर हैं या फिर वो स्कूल छोड़ रहे हैं।
ऐसे में प्रश्न यह है कि यदि दिल्ली में अरविंद केजरीवाल का यह कथित शिक्षा मॉडल इतना बेहतरीन है तो फिर छात्रों की संख्या इन स्कूलों से गिर क्यों रही है।