बृहस्पतिवार, 8 दिसम्बर को दिल्ली की एक अदालत ने दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल और अन्य तीन लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश के आरोप तय करने का आदेश जारी किया।
आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के साथ सदस्य प्रोमिला गुप्ता, सारिका चौधरी और फरहीन मलिक पर आधिकारिक पदों का दुरुपयोग कर दिल्ली महिला आयोग में आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं की नियुक्ति करने के आरोप में अदालत ने यह आदेश दिया।
विशेष न्यायाधीश दिग विनय सिंह ने कहा कि चारों लोगों पर आरोप तय करने के लिए इस मामले में प्रथम दृष्टया पर्याप्त सामग्री है। आयोग द्वारा नियुक्ति हेतु कई मौकों पर बैठकें की गई, जिनमें चारों आरोपितों के हस्ताक्षर भी हैं। यह मिलीभगत की ओर इशारा करता है।
आदेश में कहा गया है कि अध्यक्ष मालीवाल के अलावा तीनों आरोपितों में से भी किसी ने इन अवैध नियुक्तियों पर कभी आपत्ति दर्ज़ नहीं की। बल्कि उन बैठकों में सर्वसम्मति से निर्णय लिए जाने का दावा किया गया।
ACB के अनुसार वर्ष 2016 में पूर्व विधायक से शिकायत प्राप्त हुई थी कि दिल्ली महिला आयोग में नियमों के खिलाफ नियुक्तियाँ हुई हैं। इस शिकायत में आम आदमी पार्टी के उन 85 लोगों के नामों की सूची दी गई थी, जिनकी अवैध नियुक्ति हुई थी। जाँच में एसीबी ने पाया कि बजट से एक बड़ी धनराशि किस्तों में जारी करने के बजाय आयोग के लिए एकमुश्त जारी की गई। ज्ञात हो कि आयोग में वर्ष 2016 में सदस्य सचिव की नियुक्ति उप-राज्यपाल की अनुमति के बिना की गई थी।
आरोप पत्र में निम्नलिखित आरोप तय किए गए हैं,
- आयोग ने स्टाफ की संख्या बढ़ाने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग से अनुमति नहीं ली।
- आयोग ने बताया कि नियुक्तियों के लिए साक्षात्कार कराए गए लेकिन इस संबंध में कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है।
- वेतन नियमों के उलट कम अवधि के दौरान ही कुछ लोगों का वेतन दोगुना कर दिया गया।
ज्ञात हो कि स्वाति मालीवाल आम आदमी पार्टी के शुरुआती दिनों से ही दल की सदस्य हैं और एक एक्टिविस्ट के रूप में मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की निकट सहयोगी रही हैं। आयोग की अध्यक्ष की नियुक्त होने से पहले और नियुक्ति के बाद भी स्वाति मालीवाल कई विवादों का हिस्सा रही हैं।