देश को भ्रष्टाचार से मुक्त कराने के वादे और ईमानदारी के एक्सक्लूसिव स्पॉन्सर बनकर भारतीय राजनीति में प्रवेश करने के बाद आम आदमी पार्टी और इसके संयोजक अरविंद केजरीवाल देश को ऐसा कुछ नहीं दे पाए जो कि नया हो। सरकार के अधिकतर मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं, कुछ तो जेल में भी है और अब मुख्यमंत्री केजरीवाल को भी ईडी का समन मिल चुका है।
ईडी के समन मिलने के बाद अरविंद केजरीवाल इससे बचते नजर आ रहे हैं पर वो कब तक इसे टाल पाएंगे, यही सोचकर उनके पार्टी कार्यकर्ताओं ने जेल से सरकार चलाने का इंतजाम कर लिया है। दिल्ली पर आप पार्टी और अरविंद केजरीवाल का मालिकाना हक है इसलिए उनके जेल जाने के बाद यहां की सरकार पर कोई और नहीं बैठ सकता।
वैसे तो देश में ऐसे कई मामले हैं जब भ्रष्टाचार क मामले में जेल जाने पर मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा था। इसमें बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता का उदाहरण आपको याद जरूर होगा पर दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी मार्लेना ने घोषणा कर दी है कि अरविंद केजरीवाल जेल जाते हैं तो वहीं पर कैबिनेट बैठकें की जाएंगी औऱ केजरीवाल ‘वर्क फ्रॉम जेल’ करेंगे।
यह कानूनी रूप से कितना संभव है इसका निर्णय न्यायपालिका पर छोड़ते हुए यह देख लेते हैं कि आम आदमी पार्टी के नेता जेल से सरकार चलाने की जिद क्यों कर रहे हैं?
दिल्ली सरकार के दो मंत्री, जो जेल में हैं, उनके जाने के बाद अगर जेल से सरकार चलाने की नौबत नहीं आई तो अरविंद केजरीवाल के जेल जाने के बाद तो बिलकुल भी नहीं आएगी। ऐसा मैं इसलिए कह रही हूँ क्योंकि जेल काट रहे मंत्रियों के पास सरकार के विभाग थे और वे सरकार की कार्यप्रणाली का हिस्सा थे पर मुख्यमंत्री केजरीवाल के पास पद के अलावा कुछ भी नहीं है। अरविंद केजरीवाल के पास न तो कोई मंत्रालय है, न ही उन्होंने सरकार के किसी पॉलिसी स्टेटमेंट पर आजतक सिग्नेचर किया है और न ही वे कैबिनेट के किसी फ़ैसले पर हस्ताक्षर करते हैं। ऐसे में जेल से वे कौनसी सरकार चलाएंगे?
जेल जाकर सरकार चलाने की जिद करने का एक ही कारण है कि कथित तौर पर दिल्ली के मालिक अरविंद केजरीवाल के पास जेल जाने के बाद अपनी विरासत सौंपने के लिए कोई विश्वास पात्र नहीं है या कोई है तो वो पहले से ही जेल में है।
भ्रष्टाचार के आरोपों पर अरविंद केजरीवाल को क्लीन चिट देने वाले बताएं कि वो ईडी का जांच में सहयोग क्यों नहीं कर रहे हैं? अगर दिल्ली सरकार की नीति सही थी तो उसे वापस क्यों लिया गया था? जिन वादों और घोषणाओं के दम पर अरविंद केजरीवाल पार्टी बनाकर सरकार में आए थे उसका करिश्मा अब धुंधला पड़ चुका है।
जनता प्रश्न उठा रही है और ऐसे में जेल जाने पर आगामी चुनावों पर पार्टी का भविष्य डांवाडोल होना तय है। अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्रियों को सरकार पर करीब-करीब कब्जा बनाए रखने का एक ही उपाय सूझ रहा है कि वे जेल से इसका संचालन करें।
शुद्ध राजनीतिक स्टंट और दिल्ली पर पार्टी का कब्जा कायम करने के अलावा जेल से सरकार चलाना अन्य किसी उद्देश्य को पूरा नहीं करता है। आगामी दिनों में अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्रियों को ईडी का सामना करना ही पड़ेगा। जहां तक बात रही ‘वर्क फ्रॉम जेल’ की तो बता दें कि आप पार्टी जनता का नाम लेकर दिल्ली पर कब्जा नहीं कर सकती क्योंकि अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मालिक नहीं हैं।
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