दिल्ली उच्च न्यायालय में ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर की केस रद्द करने वाली याचिका का विरोध करते हुए आज शुक्रवार यानी 16 सितम्बर, 2022 को दिल्ली पुलिस ने कहा कि “मोहम्मद जुबैर का ट्वीट, जिसमें उन्होंने 1983 की एक हिन्दी फिल्म की एक तस्वीर साझा की थी, वह सरासर एक धार्मिक समुदाय के खिलाफ था।”
दिल्ली पुलिस ने न्यायालय से कहा कि जुबैर ने यह ट्टीट जानबूझकर किया था। यह ट्वीट लोगों में नफरत फैलाने और धार्मिक भावनाओं को भड़काने के लिए पर्याप्त था। इस तरह के ट्वीट सामाजिक शान्ति व्यवस्था के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
क्या है पूरा मामला
दिल्ली पुलिस ने 19 जून, 2022 को मोहम्मद जुबैर के खिलाफ ‘हनुमान भक्त’ नामक ट्विटर हैंडल के एक ट्वीट को आधार बनाते हुए प्राथमिकी (FIR) दर्ज की थी।
मोहम्मद जुबैर ने साल 2018 में एक ट्वीट किया था, जिसमें जुबैर ने ‘हनीमून होटल’ को ‘हनुमान होटल’ किए जाने की बात लिखी थी। पुलिस ने इस ट्वीट को जानबूझकर एक धार्मिक समुदाय को अपमानित करने और उनकी भावनाओं को भड़काने वाला मानते हुए, जुबैर से पूछताछ की।
पूछताछ में सहयोग न करने पर दिल्ली पुलिस ने जुबैर को गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद कोर्ट ने जुबैर को 24 दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा। इस दौरान जुबैर पर और भी केस दर्ज हुए। 20 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने जुबैर के खिलाफ दर्ज सभी मामलों में अंतरिम जमानत दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि जुबैर के खिलाफ सभी प्राथमिकी (FIR) दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को स्थानांतरित की जानी चाहिए, जो 2018 के आपत्तिजनक ट्वीट से संबंधित मामले की जांच कर रही है।
जुबैर ने इस सम्बन्ध में दिल्ली उच्च न्यायालय में हलफनामा दायर किया है। इस हलफनामे में जुबैर के खिलाफ सभी मामलों को रद्द करने और मोबाइल एवं लैपटॉप जो दिल्ली पुलिस ने जब्त किए हैं, को छोड़ने की बात कही गई है।
इस पर दिल्ली पुलिस का कहना है कि मोहम्मद जुबैर से जब्त किए गए उपकरणों को पहले ही फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी में जमा कर दिया गया है और इससे बरामद किए गए डेटा का विश्लेषण संबंधित ट्वीट और इसी तरह के अन्य पोस्ट के संबंध में किया जाएगा।
जाँच को गुमराह कर रहा था जुबैर
दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को बताया है कि मोहम्मद जुबैर से विस्तृत पूछताछ की गई थी। जुबैर ने जाँच को गुमराह करने की पूरी कोशिश की और बार-बार पूछे जाने पर एक ही सवाल के अलग-अलग जवाब दिए।
सबूत मिटाने की योजना बना चुका था जुबैर
दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को विस्तृत जानकारी देकर बताया कि मोहम्मद जुबैर ने खुलासा किया कि आपत्तिजनक सामग्री को पोस्ट करने के लिए उनके द्वारा इस्तेमाल किया गया लैपटॉप और मोबाइल फोन बैंगलोर में उनके आवास पर है और वह इसे बरामद कर सकते हैं।
जुबैर ने यह भी खुलासा किया था कि उसने अपने परिवार को कहा था कि अगर उसे पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जाता है तो उसके मोबाइल फोन और लैपटॉप सहित अपने अन्य उपकरणों का नष्ट कर दिया जाए।
दिल्ली पुलिस का मानना है कि मोहम्मद जुबैर ने जानबूझकर यह कारनामें किए हैं, इसलिए याचिका को रद्द करने की बजाय निस्तारण किया जाना चाहिए। अब अगली सुनवाई 31 अक्टूबर, 2022 को होनी है।