इंग्लैंड की रानी एलिजाबेथ द्वितीय की मृत्यु के बाद भारत में एक बार फिर कोहिनूर हीरा चर्चा में है। इंग्लैंड की महारानी के सिर का ताज कोहिनूर का सम्बन्ध उत्तराखण्ड के मसूरी से भी है। पंजाब के आखिरी सिख राजा और कोहिनूर हीरे के उत्तराधिकारी दलीप सिंह ने अपने हाथों से इंग्लैंड की रानी विक्टोरिया को कोहिनूर सौंपा था।
कौन थे महाराजा दलीप सिंह
दलीप सिंह 6 सितम्बर 1838 को महाराजा रणजीत सिंह के घर पैदा हुए। महाराजा रणजीत सिंह के निधन के बाद दलीप सिंह के सौतेले बड़े भाई को महाराजा बनाया गया था। हालाँकि, उनके निधन के बाद बहुत छोटी उम्र में दलीप सिंह को सिख साम्राज्य का राजा बनाया गया। दलीप सिंह के नाम पर उनकी माँ जिंद कौर रिजेन्ट बन राज-काज चलाती थीं।
पंजाब में अंग्रेजों के शासन आने के बाद महाराजा दिलीप सिंह को पढ़ाई के लिए साल 1852 में मसूरी भेज दिया गया। मसूरी में दलीप सिंह मेनर हाउस में रहा करते थे। यह मेनर हाउस आज भी मसूरी में मौजूद है। मसूरी का सेंट जॉर्ज कॉलेज, महाराजा दलीप सिंह का क्रिकेट खेलने का मैदान हुआ करता था।
दलीप सिंह मसूरी में दो वर्ष तक रहे। इसके बाद छोटी उम्र में ही सुनियोजित तरीके से अंग्रेजों ने साल 1854 में दलीप सिंह को इंग्लैंड भेज दिया। इंग्लैंड में दलीप सिंह की मुलाकात रानी विक्टोरिया से कराई गई। इंग्लैंड में रहते हुए दलीप सिंह को अंग्रेजों के तौर-तरीके सिखाए गए, ताकि उन्हें पंजाब से दूर किया जाए। अंग्रेज अपनी नीति में सफल रहे और दलीप सिंह ने कोहिनूर रानी को सौंप दिया।