आज भारतीय सिनेमा के महानतम निर्देशकों में से एक दादासाहेब फाल्के की पुण्यतिथि है। दादासाहेब फाल्के को भारतीय सिनेमा का जनक भी कहा गया है। इन्हीं की स्मृति में हर साल दादासाहेब फाल्के पुरस्कार समारोह आयोजित होते हैं। साल 1969 में प्रथम बार आयोजित दादासाहेब पुरस्कार अब तक फिल्म जगत की 52 प्रमुख हस्तियों को उनके विशेष योगदान के लिए मिल चुका है। पहली बार यह पुरस्कार 1930 से 40 के दशक की चर्चित अभिनेत्री देविका रानी को मिला है तो वहीं गत 2022 संस्करण में अभिनेत्री आशा पारेख को यह पुरस्कार अर्जित हुआ।
इस सब के बीच भारत के विभिन्न राज्यों से विभिन्न सिने जगत की हस्तियों को उनके अपनी भाषा में सिनेमा में योगदान के लिए यह अवॉर्ड दिया जा चुका है। इनमे सिनेमा से जुड़ी तमाम हस्तियों के नाम शामिल हैं।
इस सूची में वर्षानुसार कुछ प्रमुख नाम शुमार हैं – अभिनेता पृथ्वीराज कपूर (1971), ऑस्कर नवाजित बंगाली, निर्देशक सत्यजित रे (1984), शोमैन , राज कपूर (1987), पार्श्वगायिका लता मंगेशकर (1989), तमिल अभिनेता शिवाजी गणेशन (1996), गीतकार गुलज़ार (2013), संगीतकार भूपेन हज़ारिका (1992), तेलुगु निर्देशक कसीनथुनी, विश्वनाथ (2016), महानायक अमिताभ बच्चन , तमिल सुपरस्टार रजनीकान्त(2021) इत्यादि।
![List of Dadasaheb Phalke Awards winners](https://www.thepamphlet.in/wp-content/uploads/2023/02/Dadasaheb-awards-1.png)
![List of Dadasaheb Phalke Award recipients](https://www.thepamphlet.in/wp-content/uploads/2023/02/Dadasaheb-awards-2.png)
अमूमन प्रश्न उठता है कि दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित व्यक्ति को क्या प्राप्त होता है? तो यह जानना जरूरी है कि इस अवॉर्ड से नवाजे गए व्यक्ति को एक स्वर्ण शॉल, 10 लाख का नकद इनाम और साथ साथ 1 शॉल भी भेंट होती है।
ख्याति के साथ-साथ साल दर साल यह पुरस्कार समारोह सुर्खियों का विषय भी रहा है। कुछ प्रकरण ऐसे भी सामने आए जब इस समारोह की प्रासंगिकता पर प्रश्न उठे। कुछ ऐसे सितारे भी रहे हैं जो इस अवॉर्ड से आज तक वंचित रहे हैं। तो कुछ ऐसे सिनेमा हस्ती रहे हैं जिन्हे यह पुरस्कार देने में काफ़ी देर कर दी गई।
पृथ्वीराज कपूर
उदाहरण के तौर पर पृथ्वीराज कपूर को ही ले लें। यूं तो पृथ्वीराज कपूर का नाम हिन्दी सिनेमा जगत और भारतीय रंगमंच के प्रमुख स्तंभों की सूची में शीर्ष पर आता है। कला जगत में एक विशेष ख्याति प्राप्त ‘पृथ्वी थिएटर’ भी पृथ्वीराज कपूर की स्मृति में ही बनाया गया है । परंतु यह आश्चर्य की बात है कि स्वयं पृथ्वीराज कपूर सरीखे कलाकार को अपने जीवनकल मे यह गौरवमय पुरस्कार प्राप्त नहीं हुआ। उन्हें अपने सिनेमाई योगदान के चलते मरणोपरांत यह पुरस्कार 1971 को प्राप्त हुआ।
![Prithviraj Kapoor](https://www.thepamphlet.in/wp-content/uploads/2023/02/prj-862x1024.jpg)
राज कपूर
कपूर विरासत के सबसे प्रख्यात ‘कपूर’ और अक्सर भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े ‘शो-मैन‘ कहे जाने वाले निर्देशक अभिनेता राज कपूर का नाम भी उन गिने-चुने लोगों में आता है जिन्हें यह पुरस्कार उनकी उपलब्धियों के बावजूद अत्यंत देर से मिला।
राज कपूर की लोकप्रियता इस हद तक थी कि भारत से लेकर चीन, सोवियत संघ व अन्य यूरोपियाई देशों में भी उनकी फिल्में बड़े शौक से देखी जाती थीं। फिर चाहे समीक्षकों द्वारा पसंद की गई ‘मेरा नाम जोकर’ हो या बॉलीवुड के इतिहास में मील का पत्थर कही जाने वाली ‘आवारा’ फ़िल्म।
!['शोमैन' राज कपूर ने दादासाहेब फाल्के पुरस्कार समारोह में आक्सिजन सिलिन्डर लगाकर हिस्सा लिया ।](https://www.thepamphlet.in/wp-content/uploads/2023/02/राज-कपूर-दादासाहेब-फाल्के-पुरस्कार.png)
जिस समय राजकपूर को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया, उन दिनों वह काफी बीमार चल रहे थे और जीवन के अंतिम दिनों में थे। वह सिरी फोर्ट में आयोजित दादासाहेब पुरस्कार समारोह मे शिरकत करने तो जरूर पहुंचे परंतु पुरस्कार पाने हेतु मंच पर पहुँचने में अक्षम थे। अतः स्वयं तत्कालीन राष्ट्रपति आर वेंकटरमन प्रोटोकॉल तोड़कर राज साहब के पास आ गए और उन्हे भारतीय सिनेमा का सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार, दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड प्रदान किया ।
शशि कपूर
इसी क्रम में राजकपूर के भाई, मशहूर बॉलीवुड अभिनेता शशि कपूर का नाम भी आता है। बॉलीवुड मे अपार सफलता के साथ शशि कपूर कुछ गिनी-चुनी नामचीन अंग्रेजी फिल्मों मे भी प्रमुख किरदार निभाते हुए नज़र आए।
![2014 में दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित हुए शशि कपूर](https://www.thepamphlet.in/wp-content/uploads/2023/02/शशि-कपूर-फाल्के-अवॉर्ड-1024x802.png)
किडनी से जुड़ी बीमारियों के चलते शशि कपूर को वृद्धावस्था में ‘व्हीलचेयर’ के सहारे रहने पर मजबूर होना पड़ा। लंबे अंतराल के बाद उन्हें भी आखिरकार 2014 में दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड प्राप्त हुआ। 4 दिसम्बर, 2017 को शशि का देहांत हो गया था।
विनोद खन्ना
कपूर खानदान से इतर 1970 से 80 के दशक के मशहूर अभिनेता और अक्सर ‘स्टाइल आइकान’ कहे जाने वाले विनोद खन्ना, एक समय महानायक अमिताभ बच्चान के चिर-प्रतिद्वंदी माने जाते थे । 90 के दशक के बाद भी वह सहायक भूमिका में बड़े परदे मे अविरल दिखते रहे । परंतु दुर्भाग्यवश ब्लैडर कैंसर से जूझते हुए विनोद खन्ना को का 2 अप्रैल, 2017 को ब्लैडर कैंसर के कारण निधन हो गया।
![मरणोपरांत दादासाहेब फाल्के पुरस्कार प्राप्त करने वाले दूसरे अभिनेता हैं विनोद खन्ना](https://www.thepamphlet.in/wp-content/uploads/2023/02/विनोद-खन्ना-.png)
अपने 47 साल लंबे करियर में विनोद सदैव से अपनी बहुमुखी प्रतिभा के लिए जाने गए। अतः उन्हे भी बेहद देर से यह पुरस्कार मिलना आश्चर्यचकित करता है। पृथ्वीराज कपूर के बाद विनोद खन्ना ऐसे दूसरे अभिनेता बने जिन्हें दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड से मरणोपरांत नवाजा गया।
विनोद खन्ना की मृत्यु के कुछ महीने बाद ही साल 2018 में उन्हे स्थान पर उनके सुपुत्र, अभिनेता अक्षय खन्ना ने मंच पर राष्ट्रपति से पुरस्कार ग्रहण किया । इस मौके पर अक्षय भावुक दिखे और कहा की अगर उनके पिता इस क्षण पर उपस्थित होते तो ज्यादा सुख की अनुभूति होती।
अमिताभ बच्चन
सदी के महानायक कहे जाने वाले फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन को यूं तो अनेकों फिल्मफेयर और स्क्रीन अवार्ड्स मिले। परंतु इस बात पर अक्सर परिचर्चा होती है कि उन्हे दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड पाने के लिए काफी लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ी।
![दादासाहेब फाल्के पुरस्कार अमिताभ बच्चान को मिलने पर उन्होंने व्यंग्यात्मक प्रतिक्रिया दी । कहा, कहीं ये घर बैठने का संकेत तो नही ।](https://www.thepamphlet.in/wp-content/uploads/2023/02/ab-dada.png)
चित्रपट पर अपनी निभाई गई अनेकों भूमिकाओं के बावजूद, लगभग अपने 5 दशक लंबे करियर के बाद ‘बिग बी’ को, विनोद खन्ना से ठीक एक साल बाद आखिरकार यह पुरस्कार 2018 में मिला ।
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रजनीकांत
दादासाहेब पुरस्कार से वंचित लोगों में 2021 का एक प्रकरण और याद आता है जब उसी साल सुपरस्टार रजनीकान्त को दादासाहेब फाल्के पुरस्कार दिया गया।
![सुपरस्टार रजनीकान्त को दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड मिलने पर तमिल अभिनेता कमल हासन के समर्थकों ने निराशा व्यक्त की ।](https://www.thepamphlet.in/wp-content/uploads/2023/02/superstar-rajnikant.jpg)
कैबिनेट मिनिस्टर प्रकाश जावडेकर ने भी यह स्पष्ट किया था कि 5 सदस्य जूरी की सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया था। परंतु ये बात तमिल सिनेमा के ही एक अन्य वरिष्ठ अभिनेता कमल हासन के फैंस को नागवार गुजरी।
उस समय कमल हासन तमिलनाडू विधानसभा के लिए अपनी नवनिर्वाचित पार्टी ‘मक्कल निधि मय्यम’ के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे और अधिकांश समय राष्ट्रीय पार्टी बीजेपी और उनकी नीतियों के खिलाफ मुखर होते हुए दिख रहे थे। कमल हासन के प्रशंसकों मे जनाक्रोश इतना भीषण था कि ट्विटर से लेकर सड़कों तक उनके प्रशंसक अत्यंत विरोध करते नजर आए और यह तक कहा कि वास्तव मे इस पुरस्कार के हकदार कमल ही थे।
अभी भी कुछ प्रमुख हस्तियाँ ऐसी हैं जिन्हे दादासाहेब पुरस्कार प्राप्त नहीं हुआ है। कई बार ऐसा समय भी आया है जब दादासाहेब फाल्के से संबंधित चर्चा बहुत प्रचलित हुईं। स्वयं दादासाहेब फाल्के के नाती चंद्रशेखर पुसालकर का वह बयान सामने आता है जिसमें वह कहते दिखते हैं कि किस प्रकार पैसे देकर इतने प्रतिष्ठित सम्मान की छवि को धूमिल किया जा रहा है।
![दादासाहेब के नाती चंद्रशेखर पुसालकर](https://www.thepamphlet.in/wp-content/uploads/2023/02/दादासाहेब-के-नाती-चंद्रशेखर-पुसालकर.png)
यूँ तो दादा साहेब फाल्के अकादमी के द्वारा हर साल दादा साहेब फाल्के के नाम पर कुल तीन पुरस्कार दिए जाते हैं। जिनमें फाल्के रत्न अवार्ड, फाल्के कल्पतरु अवार्ड और दादासाहेब फाल्के अकादमी अवार्ड शामिल हैं। परंतु दादासाहेब के नाती चंद्रशेखर बताते हैं कि किस प्रकार फाल्के अवार्ड्स के नाम पर विभिन्न आयोजकों ने इसका बाज़ारीकरण कर दिया है और नकली फाल्के अवार्ड्स भी दिखने का प्रचलन सा बन पड़ा है। जिस कारणवश माहिरा शर्मा जैसे सोशल मीडिया तथाकथित पब्लिक फिगर्स भी फाल्के पुरस्कार से मिलती-जुलती ट्रॉफी लेते हुए घूम रहे हैं।
इन तमाम पुरस्कार समारोह को विनियमित करती हुई कोई संस्था नहीं दिखती जिस कारण सैकड़ों लोग इतने प्रतिष्ठित पुरस्कार की प्रतिलिपि लिए घूमते हुए दिख रहे हैं। चंद्रशेखर अपने वक्तव्य मे एक ऐसी बात भी बोल देते हैं जो अंततोगत्वा मन को विचलित कर देती हैं। वह कहते हैं कि जब सिनेमा की एक गायिका को दादासाहेब अवॉर्ड के साथ साथ भारत रत्न मिल सकता है तो स्वयं भारतीय सिनेमा के जनक, जिन्होंने इस पूरे सिनेमा की नींव रखी है उन्हे आज तक भारत रत्न क्यूँ नही मिला है?