केंद्र सरकार ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की जम्मू-कश्मीर में अतिरिक्त 18 कंपनियां भेजने का फैसला लिया है। राजौरी जिले में आतंकवादी हमलों के बाद यह फैसला सामने आया है।
हाल ही में एक आतंकवादी हमले में 6 नागरिक मारे गए थे। आतंकवाद विरोधी अभियानों को तेज करने के लिए पुंछ और राजौरी जिलों में 1,800 सैनिकों को तैनात किया जाएगा। नौ कंपनियां पहले से ही राजौरी पहुंच चुकी हैं। बताया जा रहा है कि ये सुरक्षा बल पीर पंजाल रेंज के दक्षिण क्षेत्र में आतंकवाद विरोधी अभियान चलाएंगे।
ज्ञात हो कि राजौरी जिले के हिंदू-बहुल गांव धंगरी में आतंकवादी हमलों में चार साल के बच्चे सहित छः हिन्दू मारे गए थे।
राजौरी आतंकी हमला: काउंटर फायरिंग कर हिन्दुओं की जान बचाने वाले बालकृष्ण
रविवार 1 जनवरी को अज्ञात आतंकवादियों ने दीपक कुमार (23), सतीश कुमार (45), प्रीतम पाल (56) और शिव पाल (32) की हत्या कर दी थी। वहीं विहान शर्मा (4 )और समीक्षा शर्मा (16) की मृत्यु एक विस्फोटक उपकरण (आईईडी) के कारण हुई थी।
इसके बाद स्थानीय निवासियों ने पुलिस पर चूक का आरोप लगाया और कहा कि आतंकवादियों ने रविवार को आईईडी लगाया था लेकिन सुरक्षा बलों की तलाशी अभियान के दौरान वे इसे नहीं ढूंढ पाए।
वहीं लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा ने सोमवार को धंगरी का दौरा किया और मारे गए लोगों के परिजनों को 10 लाख रुपये मुआवजा और नौकरी देने का वादा किया और हमलों में घायल हुए 15 लोगों को 1-1 लाख रुपये दिए।
क्या कश्मीरी हिंदुओं की जान की कोई कीमत नहीं…
सिन्हा ने कहा, “यह एक बहुत ही दर्दनाक और दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। केंद्र और जम्मू-कश्मीर सरकार दोनों ने आतंकवाद का सफाया करने का संकल्प लिया है।हालांकि मौतों की भरपाई नहीं की जा सकती है लेकिन मैं मारे गए लोगों के परिवारों को हर संभव मदद का आश्वासन देता हूं। हमने सुरक्षा बलों को पूरी आजादी दे दी है और मैं लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि इस हमले के दोषियों को जल्द सजा दी जाएगी।”
ग्रामीणों ने किया आतंकियों का पीछा
राजौरी के गाँव में आतंकी हमले के दौरान एक दिलचस्प घटना तब सामने आई थी जब स्थानीय युवक बालकृष्ण ने आतकियों पर अपनी बन्दूक से फायर झोंक कर उन्हें भगा दिया था लेकिन मामला यहीं तक नहीं रुका। बताया जा रहा है कि इस हमले के बाद गांव के लोग घरों से बाहर निकले और उन्होंने आतंकियों का पीछा शुरू किया।
नौशेरा के पास एक मोटरसाइकिल पर संदिग्ध रूप से घूम रहे तीन लोगों ने पुलिस चेक पोस्ट पर छलांग लगा दी। बताया जा रहा है कि उनका पीछा करने पर वे अपनी मोटरसाइकिल सड़क पर छोड़कर पास के जंगल की ओर भाग गए।
इसके बाद सर्च ऑपरेशन भी चलाया गया। हालाँकि पुलिस ने इस पर कुछ भी आधिकारिक बयान नहीं दिया है।
इस दावे के साथ सोशल मीडिया में वीडियो भी सामने आ रहे हैं, जिन्हें इसी घटना से जुड़ा बताया जा रहा है –
वीडियो में एक कार को आतंकियों का पीछा करते हुए दिखाया गया है।
आतंकियों के ख़िलाफ़ बंदूक़ उठाने वाले बालकृष्ण के बाद अगर यह घटना भी वास्तव में घाटी में हुई है तो कहीं न कहीं आतंक के खिलाफ यह एक उम्मीद की किरण कही जा सकती है। अक्सर कश्मीर में आतंक के पनपने में एक तर्क यह दिया जाता रहा है कि आतंकवादियों के खिलाफ स्थानीय लोगों का विरोध खुलकर सामने नहीं आ पाता है, लेकिन बालकृष्ण जैसे नायकों ने एक नई लकीर खींच दी है।