नवंबर, 1986। राजस्थान में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ा सैन्य अभ्यास किया जा रहा था। नाम था ऑपरेशन ब्रासटैक्स। रेगिस्तान में करीब 3 लाख भारतीय जवान दुश्मन के खिलाफ युद्ध की रणनीतियों का अभ्यास कर रहे थे। बॉर्डर के पास भारी मात्रा में सैन्य गतिविधियां देखकर पाकिस्तान ने अपनी ओर से सैनिकों की तैनाती शुरू कर दी थी। विश्व की नजरें भारत और पाकिस्तान के बीच बनी तनावपूर्ण स्थिति पर टिकी हुई थी।
इसी समय 27 फरवरी, 1987 को पाकिस्तान के तानाशाह राष्ट्रपति मुहम्मद ज़िया-उल-हक़ का विमान अपने लावजामें के साथ दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरा। भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी प्रोटोकोल तोड़ते हुए एयरपोर्ट पहुँचे और पाकिस्तान के राष्ट्रपति का गर्म जोशी से स्वागत किया। 1 घंटे की मुलाकात के बाद निकलने से पूर्व जिया उल हक ने राजीव गांधी से कहा, “पाकिस्तान को शायद खत्म किया जा सकता है पर दुनिया में इसके बाद भी इस्लाम रहेगा। वहीं जब भारत को दुनिया से मिटा दिया जाएगा उसके बाद दुनिया से हिंदुत्व का नामोनिशान मिट जाएगा।”
अपनी मुलाकात में जिया परमाणु हथियारों का जिक्र करना नहीं भूले और इसके बाद वे जयपुर गए और क्रिकेट मैच का आनंद लिया। दूसरी ओर राजीव गांधी ने बॉर्डर से भारतीय सेना को वापस बुला लिया और दुनिया में एक शब्द सामने आया क्रिकेट डिप्लोमेसी यानि क्रिकेट के जरिए कूटनीति।
हालाँकि, इसे क्रिकेट डिप्लोमेसी की बजाए न्यूक्लियर थ्रेट डिप्लोमेसी कहना चाहिए था पर बुद्धिजीवियों के पास हर गंभीर चेतावनी का सरलीकरण और सामान्य बातों को गंभीर या विशिष्ट बनाने का हुनर होता है।
भारत द्वारा ओलंपिक खेलों की मेजबानी की दावेदारी
खैर, इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान भी भारतीय किक्रेट टीम पाकिस्तान गई और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल जी ने कहा, “ सिर्फ मैच नहीं, दिल जीत के आइए” । इसके बाद मनमोहन सरकार के दौरान परवेज मुशर्रफ ने क्रिकेट सीरीज के दौरान भारत का दौरा किया और उसके बाद मुंबई में आतंकी हमला। किक्रेट डिप्लोमेसी के नाम पर पाकिस्तान ने अभी तक भारत को जंग के मैदान ही पहुँचाया है।
हालाँकि भारत ने अपनी क्रिकेट डिप्लोमेसी को पाकिस्तान तक सीमित न रखकर इसे अपनी सॉफ्ट पावर में तब्दील कर दिया है। परिस्थितियाँ पिछले दो दशकों में बहुत बदल गई हैं। भारतीय क्रिकेट बोर्ड दुनिया का सबसे शक्तिशाली क्रिकेट बोर्ड है। विशेषज्ञों के अनुसार भारतीय क्रिकेट बोर्ड व्यावहारिक तौर पर दुनिया भर की क्रिकेट चला रहा है। अब भारत की क्रिकेट डिप्लोमेसी पाकिस्तान को छोड़कर अन्य देशों के साथ है।
जिया-उल-हक के धमकी भरे दौरे के 32 वर्षों बाद वर्ष, 2019 में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मालदीव के दौरे पर जाते हैं और क्रिकेट के प्रशंसक मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को भारतीय क्रिकेट टीम द्वारा साइन किया गया बैट उपहार में देते हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मालदीव के सर्वोच्च सम्मान से भी नवाजा जाता है और भारत मालदीव की वित्तीय सहायता की पेशकश करता है। यह सब एशिया में भारत सर्वप्रथम नीति के तहत किया गया था और क्रिकेट डिप्लोमेसी का इससे बेहतरीन उदाहरण और क्या होगा?
इसके बाद से भारत ने लगातार क्रिकेट और खेलों के जरिए अपने संबंधों को सुधारने पर जोर दिया है। क्रिकेट राजनीतिक संबंधों को हल्का बनाकर एक अनौपचारिक मंच प्रदान करता है जिसका मोदी सरकार द्वारा बेहतरीन उपयोग किया गया है। बात अफगानिस्तान क्रिकेट टीम को बढ़ावा देने की हो या साउथ अफ्रीका के साथ क्रिकेट टूर्नामेंट्स की, भारत क्रिकेट के जरिए अपनी दोस्ती निभाना नहीं भूलता।
भारत की इसी सॉफ्ट पावर की दमदार उपस्थिति वर्तमान में ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री के दौरे के दौरान देखने को मिली जब उनकी होली के रंगों की साथ की तस्वीरों के और अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में भारतीय प्रधानमंत्री एवं दोनों देशों की क्रिकेट टीमों के साथ सोशल मीडिया पर तस्वीरों ने दुनिया का ध्यानाकर्षण किया है। होली और क्रिकेट डिप्लोमेसी की हर तरफ चर्चाओं के बीच भारत ने ऑस्ट्रेलिया के साथ अपने राजनीतिक, शैक्षिक एवं व्यापारिक संबंधों को प्रगाढ़ करने में सफलता हासिल की है।
कुछ समय पहले ही भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच पहली बार मुक्त व्यापार समझौता (ECTA) को हरी झंड़ी दिखाई गई थी। अब इसी समझौते को अपग्रेड करते हुए ऑस्ट्रेलियाईं प्रधानमंत्री के वर्तमान दौरे में व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (CEPA) को साइन किया जा सकता है। यह भारत और ऑस्ट्रेलिया के लिए महत्वपूर्ण व्यापार समझौता है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच व्यापार का आंकड़ा करीब 70 बिलियन डॉलर को पार जाएगा।
अपनी यात्रा के दौरान ही ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज ने कहा है कि विद्यार्थियों की डिग्रियां दोनों देश में मान्य होने से भारतीयों को आसानी से ऑस्ट्रेलिया में रोजगार उपलब्ध हो सकेगा। इसके साथ ही संबंधों को और मजबूत करने के लिए भारत ने किसी विदेशी विश्वविद्यालय को देश में परिसर स्थापित करने की मंजूरी दी है। ऑस्ट्रेलिया का डीकिन विश्वविद्यालय पहला विदेशी विश्वविद्यालय होगा, जो भारत में अपना परिसर स्थापित करेगा। इसके साथ ही सैन्य, व्यापार और खनिज क्षेत्र में भारत और ऑस्ट्रेलिया सहयोग को बढ़ावा दे रहे हैं।
सॉफ्ट पावरः हम दुनिया के समक्ष कैसी छवि रख रहे हैं?
अगर 10 वर्ष पूर्व देखें तो भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच द्विपक्षीय संबंध उतने मजबूत नजर नहीं आते हैं। पर प्रधानमंत्री मोदी की सक्रियता ने दोनों देशों को टू-प्लस-टू वार्ता वाला देश बना दिया है। आज दोनों देश रणनीतिक साझेदार हैं। महत्वपूर्ण संगठन QUAD का हिस्सा है और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपने संबंधों को नई पहचान दे रहे हैं।
बहरहाल, क्रिकेट डिप्लोमेसी पर वापस लौटें तो भारत अपने क्रिकेट के जुनून के लिए जाना जाता है। आईपीएल के जरिए भारत ने स्वयं को वैश्विक मंच बना दिया है। ऑस्ट्रेलिया, साउथ अफ्रीका, न्यूजीलैंड, श्रीलंका एवं कई देशों के खिलाड़ी आईपीएल में खेलते हैं। कोरोना के दौरान भी यूएई में आईपीएल का आयोजन कर भारत ने अपनी मजबूत क्रिकेट डिप्लोमेसी को दुनिया के सामने रखा है। जहाँ तक बात भारत-पाक संबंधों की है वो क्रिकेट नहीं पाकिस्तान की आतंकवाद के प्रति नीति ही तय करेगी। क्योंकि क्रिकेट भारत की सॉफ्ट पावर है पाकिस्तान की नहीं।