भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के शीर्ष नेतृत्व में विपक्षी दलों के गठबन्धन को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं। माकपा के शीर्ष नेतृत्व ने बंगाल में किसी भी प्रकार के राजनीतिक समझौते की संभावनाओं से मना कर दिया है। माकपा के नेतृत्व का मानना है कि बंगाल में I.N.D.I.A. गठबंधन के फार्मूले को लागू करना कठिन होगा।
वहीं केरल में सीट बंटवारे और अन्य समझौते को लेकर भी माकपा का कहना है कि I.N.D.I.A. में शामिल अन्य दलों से समझौता असंभव है। केरल देश भर में अकेला ऐसा राज्य है जहाँ कम्युनिस्ट सत्ता में हैं।
गौरतलब है कि ममता बनर्जी की तृणमूल कॉन्ग्रेस I.N.D.I.A. का हिस्सा है और पश्चिम बंगाल में सत्तासीन है। पश्चिम बंगाल में वामदलों के कार्यकर्ताओं पर अत्याचार को लेकर वह ममता बनर्जी का विरोध करते आए हैं।
बंगाल में हाल ही में हुए पंचायत चुनावों में हुई हिंसा को लेकर भी वामदल और तृणमूल आमने-सामने थे। बंगाल के पंचायत चुनावों में हुई इस हिंसा को लेकर माकपा की नेता वृंदा करात ने कहा था, “हमने विपक्षी दलों की बैठक में संविधान को बचाने पर चर्चा की थी। TMC की तानाशाही पंचायत चुनावों के दौरान बंगाल में दिखी थी। बंगाल में लोकतंत्र और संविधान को बचाने के लिए गठबंधन पर नेताओं से चर्चा के बाद निर्णय होगा। मैं यह कहना चाहती हूँ कि आप लोकतंत्र पर हमला कर इसे बचा नहीं सकते।”
वृंदा का यह बयान I.N.D.I.A. गठबंधन की बेंगलुरु बैठक के 24 घंटे के भीतर आया था। बंगाल में तृणमूल कॉन्ग्रेस भी वामदलों को हटाकर ही सत्ता में आई थी। दोनों के बीच पुरानी लड़ाई चलती आई है। बंगाल में पिछला विधानसभा चुनाव भी कॉन्ग्रेस और वामदलों ने मिल कर लड़ा था। इसको लेकर भी तृणमूल कॉन्ग्रेस से नाराजगी है।
वहीं, केरल की बात की जाए तो वामदलों की मुख्य विपक्षी पार्टी कॉन्ग्रेस ही है। कॉन्ग्रेस का केरल में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग से भी गठबंधन है जो कि माकपा के विरुद्ध चुनाव लड़ती है। ऐसे में यह सभी दल आपस में सीट बंटवारे को लेकर क्या निर्णय लेंगे इस पर संशय है। केरल में कॉन्ग्रेस वामपंथी दलों की विचारधारा के विरुद्ध बड़े हमले करती आई है।
केरल और बंगाल के अतिरिक्त आंध्र प्रदेश, ओड़िशा और तेलंगाना में सत्ताधारी दल वाईएसआरसीपी, बीजेडी और टीआरएस ने I.N.D.I.A. में सक्रिय रूप से शामिल नहीं होने का निर्णय लिया है। जहाँ टीआरएस अभी भाजपा से अपनी लड़ाई को स्पष्ट रूप से दिखा रही है, वहीं बाकी दोनों दलों ने संसद में भाजपा को कई मुद्दों पर समर्थन दिया है। ऐसे में आने वाले समय में यह देखने वाली बात होगी कि यह दल आपस में समन्वय कैसे बनाते हैं।
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