देश में महंगाई दर घटने का क्रम लगातार जारी है। केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के अनुसार, अप्रैल माह में देश की खुदरा महंगाई दर 4.7% रही है।
यह पिछले 18 महीनों में सबसे निचला स्तर है। बीते माह यह 5.66% के स्तर पर थी। यह लगातार दूसरा ऐसा माह है जब महंगाई के आंकड़े रिजर्व बैंक की महंगाई की टॉलरेंस लिमिट 2%-6% के बीच रही है।
वस्तुओं की घटती कीमतों और रिजर्व बैंक की कड़ी मुद्रा नीति के चलते महंगाई का यह निचला स्तर पाने में सरकार को सफलता मिली है। जारी किए गए आंकड़ो के अनुसार, देश के ग्रामीण इलाकों में महंगाई की दर अप्रैल माह के दौरान 4.68% और शहरी इलाकों में 4.85% रही है।
पिछले वर्ष अप्रैल माह में महंगाई दर 7.79% के स्तर पर थी, जबकि खाद्य महंगाई दर 8.38% के स्तर पर थी। पिछले वर्ष कोरोना महामारी के बाद आई मंदी और मुद्रास्फीति के कारण विश्व भर में महंगाई तेजी से बढ़ी थी। हालांकि, विश्व के अन्य देशों के मुकाबले भारत की स्थिति तब काफी मजबूत रही है और अब वह सबसे कम महंगाई वाले देशों में से एक है।
इसके अतिरिक्त, देश में उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक की दर 3.84% रही है, यह मार्च महीने में 4.79% थी। महंगाई के नए आंकड़े रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास के मौद्रिक नीति पर दिए गए वक्तव्य की पुष्टि भी करते हैं।
शक्तिकांत दास ने कहा था कि वह अभी भी ब्याज दरों को बढ़ाने के असर देख रहे हैं। नई जानकारी से देखा जा सकता है कि देश में ब्याज दरों के बढाने के पूर्व फैसले और अप्रैल माह में इसे रोकने दोनों के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं।
अप्रैल माह में हुई मौद्रिक नीति की बैठक में अनुमानों के इतर रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में कोई भी बढ़ोतरी नहीं की थी। वर्तमान में केन्द्रीय बैंक ने ब्याज दरों को 6.5% के स्तर पर ही रखा हुआ है। यह भी अनुमान लगाए जा रहे हैं कि जून माह में होने वाली मौद्रिक नीति कमिटी की बैठक में ब्याज दरों में कोई बदलाव न किए जाए।
जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, देश में अनाज और उससे जुड़े उत्पादों की कीमतों में अप्रैल माह के दौरान गिरावट देखी गई है, इसके अतिरिक्त तिलहनों की कीमतों में भी काफी कमी आई है।
उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक में कमी का एक बड़ा कारण रबी की फसल की कटाई के बाद देश में खाद्यान्नों की कीमतों में स्थिरता आना है। हाल ही में जारी किए गए आँकड़े के अनुसार, केन्द्रीय विपणन एजेंसियों ने देश भर में अब तक लगभग 260 मिलियन टन गेंहू की खरीद कर ली है।
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इसके अतिरिक्त, तिलहनों में प्रमुख सरसों की पैदावार को लेकर भी बाजार में अच्छे संकेत हैं। तिलहनों की कीमतों पर प्रभाव अंतरराष्ट्रीय बाजार में पाम तेल की कीमतों में गिरावट आने से भी पड़ा है। हालाँकि, दूध और अन्य डेयरी उत्पादों में तेजी चिंता का विषय है, जिससे निपटने में सरकार को कठिनाई हो रही है।
राज्यवार देखा जाए तो देश के दो राज्यों उत्तराखंड और तेलंगाना में अभी भी महंगाई का स्तर 6% के ऊपर है। अन्य सभी राज्यों में यह नीचे आ चुका है।
देश की सर्वाधिक जनसंख्या वाले तीन राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र में यह क्रमशः 5.29%, 5.33% और 4.29% है। छतीसगढ़ में देश में सबसे कम महंगाई दर 0.54% है। हालांकि, महंगाई का यह निचला स्तर छतीसगढ़ में मांग में कमी की तरफ भी इशारा कर रहा है।
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