चीन में कोरोना के मामलों में बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है। सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार चीन की सरकार द्वारा जीरो-कोविड नीति त्याग देने के बाद देश में कोरोना की संख्या में वृद्धि देखने को मिली है। बड़े पैमाने पर परीक्षण करने पर लगी रोक के चलते चीनी अधिकारी देश में कोविड संक्रमण को ट्रैक नहीं कर पा रहे हैं।
वहीं, इससे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बुधवार, 3 जनवरी, 2023 को चीन को महामारी की गंभीरता को कम करके दिखाने का आरोप लगाया था। WHO महानिदेशक टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि हम चीन से लगातार अस्पताल में हो रही मृत्यु के नियमित और विश्वसनीय डाटा की माँग कर रहे हैं। साथ ही, व्यापक, रीयल-टाइम वायरल सीक्वेंसिंग के बारे में पूछताछ की जा रही है।
सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार WHO महानिदेशक घेब्रेयसस ने कहा कि WHO चीन में बढ़ रहे जीवन के जोखिम के बारे में चिंतित है। चीन में गंभीर बीमार और मृत्यु से बचाने के लिए बूस्टर खुराक सहित टीकाकरण के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
जानकारी है कि चीन के अस्पताल और श्मशान मृतकों से अटे पड़े हैं। महामारी का सबसे ज्यादा असर ग्रामीणों क्षेत्रों में अधिक देखा जा रहा है। हाालाँकि, चीनी अधिकारियों द्वारा ये बात फैलाई जा रही है कि चीन में कोरोना की लहर खत्म हो चुकी है। बीजिंग सहित बड़े शहर कोरोना से उबर चुके हैं। जनवरी से कोरोना के नियंत्रण और रोकथाम के उपायों में ढ़ील देने के बाद राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर CCP की घोषणा को सही ठहराने के लिए चीनी अधिकारियों द्वारा ये प्रसारित किया जा रहा है।
वहीं, दूसरी ओर एशिया टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया था कि पिछले माह तक चीन की 40 प्रतिशत जनसंख्या कोरोना की चपेट में थी और इसके मामले बढ़ रहे हैं। हांगकांग के एक अंग्रेजी समाचार आउटलेट के मुताबिक चीनी महामारी विशेषज्ञ जेंग गुआंग का कहना है कि अधिकांश शहरों की 50 प्रतिशत जनसंख्या का परीक्षण सकारात्मक आया था। इसलिए ये अनुमान लगाना उचित है कि देश की 40 प्रतिशत जनसंख्या कोरोना संक्रमित हो सकती है।