भारत के मुख्य बुनियादी ढांचा क्षेत्रों ने अगस्त 2023 में 12.1% की प्रभावशाली वृद्धि दर दर्ज की, जो 14 महीनों में सबसे अधिक है। सभी आठ प्रमुख उद्योगों ने वृद्धि दर्ज की, जिनमें से पांच ने डबल डिजिट में वृद्धि दर्ज किया। यह समग्र औद्योगिक उत्पादन के लिए अच्छा संकेत है। साथ ही यह संदेश मिलता है कि वैश्विक प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर बनी हुई है।
मुख्य क्षेत्रों में इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन (आईआईपी) का 40% से अधिक हिस्सा शामिल है और यह औद्योगिक गतिविधि का एक प्रमुख संकेतक है। इन क्षेत्रों का प्रदर्शन व्यापक औद्योगिक रुझानों को लेकर एक अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। यह क्षेत्र कोविड-19 महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुआ था लेकिन मजबूत घरेलू मांग के कारण इसमें सुधार हुआ है।
हाल ही में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, अगस्त 2023 में मुख्य क्षेत्रों में साल-दर-साल 12.1% की वृद्धि हुई। यह जुलाई 2023 में दर्ज की गई 8.4% की वृद्धि और अगस्त 2022 में देखे गए 4.2% के विस्तार से अधिक थी। सीमेंट में 18.9% की वृद्धि, कोयले में 17.9%, बिजली में 14.9% और कुल मिलाकर पांच क्षेत्रों में दोहरे अंक की वृद्धि देखी गई। अप्रैल से अगस्त के बीच संचयी वृद्धि 7.7% रही।
इंडिया रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने कहा कि अगस्त 2023 में कोर सेक्टर की वृद्धि महामारी से पहले के स्तर से काफी अधिक रही है। फरवरी 2020 की तुलना में, साल-दर-साल के आधार पर अगस्त 2023 में कोर आउटपुट में 17% की वृद्धि हुई। महीने-दर-महीने मौसमी रूप से समायोजित 2.7% की वृद्धि दिसंबर 2022 के बाद से सबसे तेज रही।
सिन्हा के अनुसार; ‘सीमेंट और बिजली क्षेत्रों में ठोस वृद्धि ने भी अगस्त 2023 के प्रदर्शन का सँभाला है। इन क्षेत्रों में उत्पादन मानसून की बारिश से प्रभावित होता है क्योंकि निर्माण गतिविधियां रुक जाती हैं और बिजली की मांग भी कम हो जाती है। सीमेंट और स्टील सेक्टर में तेजी को सरकारी पूंजीगत व्यय से भी समर्थन मिला है। उनके अनुसार आंकड़ों से यह संकेत मिलता है कि बुनियादी ढांचा क्षेत्र में सुधार से मोटे तौर पर अर्थव्यवस्था को समर्थन मिल रहा है।
निर्माण और बिजली की बढ़ती मांग के कारण सीमेंट और कोयले जैसे क्षेत्रों में क्रमशः 19% और 18% की वृद्धि हुई। आर्थिक गतिविधियों में तेजी तथा उच्च वाणिज्यिक और औद्योगिक खपत के कारण बिजली उत्पादन 15% बढ़ा। स्टील और प्राकृतिक गैस जैसे अन्य क्षेत्रों में भी 10% से अधिक की वृद्धि हुई। उच्च आधार प्रभाव के कारण, उर्वरक 1.7% तक संकुचन करने वाला एकमात्र क्षेत्र रहा। कोर सेक्टर की मजबूत वृद्धि से संकेत मिलता है कि भारत की औद्योगिक रिकवरी मजबूती से पटरी पर बनी हुई है और आने वाले समय में आईआईपी वृद्धि मजबूत होगी।
ऑटो सेल्स, निर्यात, पीएमआई जैसे उच्च आवृत्ति संकेतक भी निरंतर विस्तार की ओर इशारा कर रहे हैं। अधिकांश विश्लेषकों को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2023-24 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि लगभग 6.5-7% रहेगी। यह निराशाजनक वैश्विक आर्थिक परिदृश्य के बीच भारत को महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्था बनाता है। कोर सेक्टर डेटा इस बात को भी पुष्ट करता है कि भारत की आर्थिक बुनियाद ठोस बनी हुई है और घरेलू मांग आधारित रिकवरी औद्योगिक उत्पादन को बनाए रख रही है।