पिछले साल 2022 में श्रद्धा वालकर मर्डर केस पर आक्रोश देखा गया था। इस केस में श्रद्धा के बॉयफ्रेंड आफताब पूनावाला ने श्रद्धा के शरीर के 35 टुकड़े कर उसे अलग-अलग जगहों में फेंक दिया था। दिल दहला देने वाला यह केस सोशल मीडिया पर लंबे समय तक चर्चा का विषय बना रहा।
उस व्यक्ति की सोच और मानसिक अवस्था क्या रही होगी जिसने उससे प्यार करने वाली एक लड़की के पैंतीस टुकड़े कर दिए? ऐसे में हर तरफ एक ही माँग थी, इंसाफ की माँग। आफताब ने यह कबूल किया कि उसने श्रद्धा का क़त्ल किया। आज आफताब हिरासत में है और मामले की जाँच चल रही है।
जाँच की शुरुआत के बाद से ही यह केस कभी-कभी बहस का केंद्र रहा। फिर कुछ हद तक मामला शांत होने लगा। शायद इसलिए क्योंकि ऐसे और कई केस रिपोर्ट हुए।
अब एक बार फिर श्रद्धा के क़त्ल के इस केस को लेकर सोशल मीडिया पर बहस शुरू हो गई है। दरअसल यह मामला सामने तब आया जब सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन के प्रसिद्ध सीरियल क्राइम पेट्रोल में श्रद्धा-आफताब केस को दर्शाया गया।
जैसा कि सोनी लिव दावा करता है कि उसके क्राइम पेट्रोल के एपिसोड सत्य घटनाओं पर आधारित होते हैं। कुछ दिनों पहले ही एक एपिसोड श्रद्धा-आफताब केस पर दिखाया गया था। यह आश्चर्य की बात थी कि सत्य घटना पर आधारित होने का दावा करने वाले सोनी लिव के इस एपिसोड के प्रसारण के बाद उसे सोनी लिव ने डिलीट कर दिया था।
अब सवाल उठता है कि एपिसोड डिलीट करने की वजह क्या थी?
27 दिसम्बर, 2022 को सोनी लिव के क्राइम पेट्रोल के 212वें एपिसोड में श्रद्धा-आफताब केस को दर्शाया गया। इसका टाइटल ‘Ahmedabad-pune under crime patrol 2.0’ था।
इस एपिसोड में श्रद्धा-आफताब केस की पूरी घटना को उसी तरह से दर्शाया गया, जैसा हकीकत में था लेकिन इसमें आरोपी और पीड़िता की आइडेंटिटी बदल दी गई। इस केस की पीड़िता श्रद्धा वालकर जो हिंदू लड़की थी, उसे ऐना फर्नांडिस यानी एक ईसाई लड़की के तौर पर दिखाया गया और क़त्ल करने वाले आफताब पूनावाला, जोकि मुसलमान था, उसे मिहिर यानी एक हिन्दू लड़के के तौर पर दिखाया गया। ऐसा लड़का जो ऐना का योगा टीचर है और दोनों मन्दिर में शादी कर लेते है। जिसके बाद मिहिर ऐना की बेरहमी से हत्या कर देता है।
एपिसोड में मिहिर को एक हिन्दू रीति-रिवाजों को मानने वाला व्यक्ति दिखाया गया। उसकी माँ को भी एपिसोड में मन्दिर जाते और हिंदू रीति रिवाज़ों को अपनाने वाली एक धार्मिक महिला बनाकर पेश किया गया। इतना ही नहीं, एपिसोड में पुलिस की मदद करने वाले को मुसलमान दिखाया गया है।
एपिसोड में इस तरह से गलत आइडेंटिटी पोट्रे करना साफ़ दर्शाता है कि इस केस को लेकर एपिसोड में पूरा नैरेटिव ही बदलने की कोशिश की गई है।
लिव-इन में रहने वाले आफताब पूनावाला और श्रद्धा वाल्कर को मन्दिर में शादी करते हुए क्यों दिखाया गया? आखिर इसके पीछे क्या उद्देश्य था? एक सत्य घटना को टीवी सीरियल की तरह पेश करने वाले प्रोग्राम को ऐसा करने की आवश्यकता क्यों पड़ी? वो भी ऐसी घटना जो न केवल नेशनल लेवल पर बहस का विषय बनी बल्कि कुछ ही महीने पुरानी थी। ये ऐसे प्रश्न हैं जिसका जवाब सोनी टेलीविज़न और प्रोग्राम के निर्माता और निर्देशक को देना चाहिए।
यह सीरियल दुनिया भर में देखा जाता है। ऐसे में सीरियल के निर्माता निर्देशक की जिम्मेदारी यह बताने की है कि गलत नैरेटिव पेश करने के पीछे क्या उद्देश्य था?
इससे सीधा दिखाई देता है कि ऐसा करके यह दिखाने का प्रयास किया गया है कि भारत में माइनॉरिटी ईसाइयों के खिलाफ अपराध हो रहे हैं और उसके पीछे मेजॉरिटी हिंदू हैं। दुनियाँ के और हिस्सों में बैठ कर यह सीरियल देखने वाले लोग क्या निष्कर्ष निकालेंगे कि हिंदू अत्याचार कर रहे हैं और क्रिश्चियन और मुस्लिम समाज उससे पीड़ित है। आखिर क्या उद्देश्य है सीरियल में इंवेस्टिगेटिंग ऑफिसर को मुसलमान बनाकर पेश करने का?
यह पहली बार नहीं है कि सत्य घटना बताकर लोगों को गलत तस्वीर दिखाई गई। बॉलीवुड में तो यह लंबे समय से होता चला आ रहा है जिस पर पिछले कुछ वर्षों में चर्चा होनी शुरू हुई। परन्तु अब ऐसा लगता है कि बॉलीवुड पर होने वाली चर्चा के कारण गलतबयानी और नैरेटिव के उसी तरीके को सीधा टीवी के जरिये इम्प्लीमेंट किया जाएगा।
लंबे समय से सोशल मीडिया पर बॉयकॉट बॉलीवुड भी ट्रेंड में रहा था और अब ठीक इसी तरह सोशल मीडिया पर बॉयकॉट सोनी लिव भी ट्रेंड हो रहा है। जानकारों का मानना है कि सोनी लिव ने पीड़ित और आरोपी का धर्म बदल कर लोगों में हिंदू धर्म के खिलाफ गलत छवि बनाने की कोशिश की है।
कई लोगों ने सोनी लिव के हेड दानिश खान को भी ट्रोल करना शुरू कर दिया है। लोगों का मानना है कि उन्होंने इस केस में धर्म बदल कर अपनी तरफ के लोगों का साथ दिया। ऐसे में उनके ऊपर जिम्मेदारी है कि वे अपनी पोजीशन क्लियर करें और देश को बताएं कि उन्होंने जो किया उसके पीछे उद्देश्य क्या था?
इस एपिसोड को यूट्यूब चैनल पर भी अपलोड किया गया था। इस को लेकर सोशल मीडिया पर चल रहे आक्रोश को देखने के बाद सोनी लिव ने इस एपिसोड को डिलीट कर दिया।
एंटरटेनमेंट का सहारा लेकर हिंदू धर्म को हमेशा से ही टारगेट किया जाता रहा है। इस तरह का प्रोपेगेंडा चलाने वाले इन डायरेक्टर्स को लगता है कि जनता बेवकूफ है और उनके प्रोपेगैंडा को समझ नहीं सकती। इन्हें समझने की जरूरत है कि जनता का बॉयकॉट का कॉल तथ्यों के आधार पर है।
श्रद्धा-आफताब केस अगर एक बार फिर उठा है तो इन मामले पर स्ट्रिक्ट एक्शन तो लिया ही जाना चाहिए और जिस तरह बॉलीवुड ने बॉयकॉट ट्रेंड की मार झेली, ठीक उसी तरह सोनी लिव भी इसके भीतर आ गया है। देखना यह होगा कि यह मामला कहा तक पहुँच पाता है? सरकार के सामने भी प्रश्न है कि ऐसे गंभीर मामलों को गलत तरह से दिखाने के खिलाफ में क्या सरकार एक्शन ले सकती है?
सोनी टीवी ने जनता के भारी विरोध के बाद डिलीट किए गए इस एपिसोड पर अपना स्पष्टीकरण भी जारी किया। सोनी लिव ने ट्विटर के माध्यम से बयान जारी कर कहा,
“कुछ दर्शकों द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से क्राइम पेट्रोल के एक एपिसोड के बारे में कमेंट्स किए जा रहे हैं, जिस पर हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि यह एपिसोड श्रद्धा-आफताब केस पर नहीं बल्कि 2011 के एक मर्डर केस पर आधारित है। हालाँकि, दर्शकों की भावनाओं का सम्मान करते हुए हम इस एपिसोड का प्रसारण वापस ले रहे हैं,अगर इस एपिसोड के द्वारा किसी की भावनाओं को ठेस पहुंची है तो हम इस पर खेद प्रकट करते हैं।”
हालाँकि, सोनी लिव के स्पष्टीकरण में कहीं भी माफी जैसी भावना देखने को नहीं मिलती है।
सोनी टीवी के अनुसार एपिसोड में दिखाया गया मामला वर्ष 2011 का है, जब साउथ दिल्ली के प्रहलादपुर में रहने वाली NRI युवती निरंजनी पिल्लई की हत्या कर दी गई। यह हत्या उसी के पति सुमित हांडा ने की थी। इस केस में भी सुमित ने अपनी पत्नी की हत्या कर बाथरूम में उसके शव के चाकू से टुकड़े कर जंगलों में फेंक दिए थे।
अब सवाल यह है कि अगर यह मामला 2011 का है तो इस एपिसोड में जोमैटो बॉय क्यों दिखाया गया? जबकि 2015 से पहले तो जोमैटो डिलीवरी सर्विस नहीं हुआ करती थी।