आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर 26 विपक्षी दलों द्वारा बेंगलुरु में की गई बैठक में अपने 26 दलीय गठबंधन को भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (आई-एन-डी-आई-ए) नाम दिया। अब इसे विडंबना ही कहेंगे कि एकता के लिए बैठक करने वाली पार्टियां गठबंधन के नाम पर भी एकजुट नहीं दिखाई दे रही हैं। प्रधानमंत्री पद के प्रश्न पर तो पहले से ही विवाद था ही इसी बीच गठबंधन के नाम को लेकर सामने आया विवाद हास्यप्रद है।
दरअसल, विपक्षी नेताओं की बेंगलुरु में हुई बैठक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा पहले आयोजित की गई पटना की बैठक की अगली कड़ी थी। अब अगली बैठक मुंबई में की जानी है जिसकी तारीख की घोषणा नहीं की गई है।
इस बैठक में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके), तृणमूल कांग्रेस, जनता दल (यूनाइटेड), समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), शिव सेना (यूबीटी), आम आदमी पार्टी (एएपी), झारखंड मुक्ति मोर्चा ( जेएमएम), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस, कम्युनिस्ट पार्टियां सीपीआई और सीपीआई (एम), और मरुमलार्ची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एमडीएमके) के नेता शामिल हुए।
इन राजनीतिक दलों के 50 से अधिक नेता बैठक में उपस्थित रहे। बैठक का मुख्य उद्देश्य आगामी 2024 के लोकसभा चुनावों में नरेंद्र-मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को हटाने की रणनीति तैयार करना था।
इसी बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मंगलवार, 18 जुलाई को घोषणा की कि 26-पार्टी गठबंधन को भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (आई-एन-डी-आई-ए) कहा जाएगा।
हालांकि गठबंधन का नाम सामने आने के बाद ही इन दलों में नाम प्रस्तावित करने का श्रेय लेने की होड़ सी मच गई है। जहां ममता बनर्जी और राहुल गांधी दोनों ने प्रस्तावित नाम का श्रेय लेने का दावा कर रहे हैं। वहीं, पहले ही पटना में बैठक की शुरुआत करने वाले नीतीश कुमार इस नाम से काफी नाराज दिख रहे हैं।
जानकारी के अनुसार, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नहीं चाहते थे कि विपक्षी गठबंधन का नाम ‘आई-एन-डी-आई-ए’ रखा जाए क्योंकि इसमें ‘एनडीए’ अक्षर हैं और यह सत्तारूढ़ गठबंधन की तरह ही लगता है।
वहीं, वीसीके प्रमुख थोल. तिरुमावलन का कहना है कि I-N-D-I-A का नाम पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी द्वारा प्रस्तावित किया गया था और लंबी चर्चा के बाद नाम की घोषणा की गई थी।
दूसरी ओर, कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत का कहना है कि यह एक सामूहिक प्रयास है। हम सभी एक साथ बैठे और हम सभी ने नाम तय किये। राहुल जी ने इसका नेतृत्व किया, उन्होंने उचित ठहराया कि इसका नाम I-N-D-I-A क्यों होना चाहिए। उन्होंने इसके लिए तर्क दिया था।
इन सब के बीच आम आदमी पार्टी पर नाम पर अपना दावा कर चुकी है।
इस गठबंधन द्वारा जातिगत जनगणना के कार्यान्वयन की मांग भी रखी गई है। इनका कहना है कि यह सभी दल अल्पसंख्यकों के खिलाफ बनाई जा रही नफरत और हिंसा और महिलाओं, दलितों, आदिवासियों और कश्मीरी पंडितों के खिलाफ बढ़ते अपराधों को हराने के लिए एक साथ आए हैं।
यह भी बता दें कि सिर्फ गठबंधन के नाम पर ही नहीं विपक्षी नेताओं के बीच ‘सामुहिक संकल्प’ या ‘संयुक्त घोषणा’ में शामिल किए जाने वाले बिंदुओं पर भी मतभेद था। जहां वामपंथी नेता आर्थिक गिरावट के बारे में चर्चा करना चाहते थे वहीं आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल का कहना है कि विपक्षी दल संघवाद को संरक्षित और संरक्षित करने की आवश्यकता पर जोर देना चाहिए।
शिवसेना-यूबीटी के उद्धव ठाकरे ने समान नागरिक संहिता और विभिन्न दलों के बीच मतभेदों पर चर्चा करनी चाही तो इस बात को टाल दिया गया। अन्य पार्टियां मसौदा सामने नहीं आने तक इसपर चर्चा करने के पक्ष में नहीं दिखीं।
गठबंधन को प्रचारित करने के बीच पिछली बैठक में उपस्थित रहे समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव जैसे कई विपक्षी नेता इस बैठक में मौजूद नहीं रहे।
बहरहाल, अब विपक्ष की एक अगली बैठक मुंबई में होगी। साथ ही ग्यारह सदस्यीय समन्वय समिति गठित की जाएगी, जिसके सदस्यों के नामों की घोषणा मुंबई बैठक में की जाएगी।
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