भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी के बयान पर मची बहस के बीच उन नेताओं का सामने आना सबसे अधिक उल्लेखनीय रहा जो अपने विवादित बयानों के कारण ही चर्चा में रहते हैं। यह वहीं नेता हैं जो संसद में या संसद के बाहर नैतिक आचरण की धज्जियां उड़ा चुके हैं पर आज अवसर मिलने पर लोकतांत्रिक और संसदीय व्यवहार पर ज्ञान की नदियां बहा रहे हैं।
चुनावी रैलियों और राजनीतिक बयानबाजी के बीच नेताओं के बोल तो बिगड़ते ही रहते हैं पर सदन में असंसदीय आचरण की शुरुआत भी बहुत पहले हो चुकी है। आज बीजेपी सांसद के बयान हल्ला मचा रही महुआ मोइत्रा स्वयं इसका प्रदर्शन सदन में कर चुकी हैं।
राजस्थान चुनाव से पूर्व कॉन्ग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे एक बयान में कहते सुने जा सकते हैं कि ‘नरेंद्र मोदी 10 साल में नहीं रहेंगे।’ ऐसा कहकर खड़गे क्या सन्देश देना चाह रहे हैं यह वे जाने-अनजाने में बता चुके हैं। उनकी पार्टी जब मोहब्बत बांटने की बात करती है, तब वो क्या सन्देश देना चाहती है, संभवतः यह आज की चुनावी रैली से खड़गे स्पष्ट कर चुके हैं।
“10 साल में नरेंद्र मोदी नहीं रहेंगे”
— The Pamphlet (@Pamphlet_in) September 23, 2023
राजस्थान की चुनावी रैली में मल्लिकार्जुन खड़गे का विवादित बयान #NarendraModi #MallikarjunKharge pic.twitter.com/aowxNYkpKH
महुआ का ‘हरामी’ बयान
तृणमूल कॉन्ग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने फरवरी, 2023 को लोकसभा की कार्यवाही के दौरान एक अन्य सांसद के लिए आपत्तिजनक शब्द कहा था। अडानी मामले में चल रही बहस के बीच महुआ द्वारा यह असंसदीय व्यवहार किया गया। दिलचस्प बात यह है कि उनके बयान का विरोध सामने आने के बाद उन्होंने बकायदा वीडियो आपत्तिजनक शब्द का सरलीकरण करने का प्रयास किया था। महुआ मोइत्रा पत्रकारों के अपमान से लेकर हिंदू विरोधी बयानों के लिए जाने जाती हैं।
‘हरामखोर’ टिप्पणीकार संजय राउत
आपत्तिजनक शब्दों की परिभाषा समझाकर उनका सरलीकरण करने में टीएमसी सांसद ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र से शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत भी पीछे नहीं है। संजय राउत अभिनेत्री कंगना राउत को ‘हरामखोर’ कहकर संबोधित कर चुके हैं। हालांकि इस मामले को लेकर संजय राउत के खिलाफ कोर्ट में मामला चला था और राउत ने अपने अनैतिक व्यवहार को छुपाने के लिए कोर्ट में कहा था कि हरामखोर का मतलब नॉटी होता है।
इस पर मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस कथावाला का कहना था कि हमारे पास भी डिक्शनरी है, अगर इसका मतलब नॉटी है तो फिर नॉटी का मतलब क्या है?
‘मुजाहिदीन’
राजनीति महाराष्ट्र की हो या दिल्ली की अपने राजनीतिक विरोधी को घेरने के लिए अक्सर स्वयं को जननेता कहने वाले लोग आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग करना नहीं भुलते हैं। साम्प्रदायिक बयानों पर कथित धर्मनिरपेक्षता के कशीदे पढ़ने वालों में से एक आम आदमी पार्टी की नेता प्रियंका कक्कड़ ने तो लाइव टीवी पर भाजपा नेता शहजाद पूनावाला को ‘मुजाहिदीन’ कह दिया था।
बीजेपी प्रवक्ता पूनावाला का कहना है कि प्रियंका उनके विश्वास, इस्लाम और सामान्य तौर पर मुसलमानों के खिलाफ ऑन-एयर और ऑफ-एयर ऐसी टिप्पणियां करती हैं, ऐसी टिप्पणियां केवल मुसलमानों के प्रति आम आदमी पार्टी की जहरीली और नफरत भरी मानसिकता को दर्शाती हैं।
वहीं अपने बयान को लेकर कक्कड़ सफाई पेश करते हुए कहा था कि “क्या शहजाद का मतलब आतंकवादी है?” क्या ‘मुजाहिदीन’ का मतलब आतंकवादी है? क्या ‘शहजाद मुजाहिदीन’ का मतलब आतंकवादी है?
अपने असंसदीय आचरण के प्रति इतना एनटाइटलमेंट रखना इन नेताओं ने जरूर अपने गठबंधन दल के अग्रणी नेता राहुल गांधी से सीखा है जो एक पूरे समुदाय के लिए विवादित बयान देकर अपनी संसद सदस्या गवां चुके हैं।
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी को निशाना बनाने के लिए एक चुनावी रैली में कहा था कि ‘सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है’। उल्लेखीय है कि यह एक चुनावी रैली में दिया बयान है। इससे पहले राहुल गांधी मनमोहन सिंह सरकार द्वारा लाए विधेयक को फाड़ कर अपने संसदीय आचरण का उदाहरण पेश कर चुके हैं।
वहीं कांग्रेस पार्टी के वर्तमान अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे चुनावी रैली में प्रधानमंत्री मोदी को रावण, झूठों का सरदार और जहरीला सांप कहकर संबोधित कर चुके हैं।
‘नरेंद्र मोदी की हत्या’ वाले बयान
प्रधानमंत्री मोदी के प्रति नफरती भाषणों की बात की जाए तो मध्य प्रदेश में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं राज्य के पूर्व मंत्री राजा पटेरिया ने तो लोगों से संविधान, अल्पसंख्यकों, दलितों एवं आदिवासियों का भविष्य को बचाने की खातिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘हत्या’ करने के लिए तैयार रहने को ही बोल दिया था।
दरअसल राजनीति में नफरती भाषण इस स्तर पर इस्तेमाल किए गए हैं कि यहाँ कोई स्वयं को क्लीन चिट नहीं दे सकता है। सपा सांसद आजम खान द्वारा सदन में बीजेपी नेता रामा देवी के लिए लैंगिक टिप्पणी करना या बीजेपी सांसद रह चुकी जया प्रदा के लिए अभद्र बयान देना यह सब उनकी छिछली राजनीति का स्तर रहा है। मुलायम सिंह यादव द्वारा बलात्कारियों का बचाव करने के लिए विवादित बयान देना भी राजनीतिक बयानबाजी का हिस्सा रह चुका है।
अनगिनत बार कांग्रेस से लेकर सपा नेताओं द्वारा सदन में टेबल पर चढ़कर विधेयक फाड़ने के वीडियो कौनसे संसदीय आचरण की श्रेणी में आते हैं इसकी व्याख्या महुआ मोइत्रा वीडियो बनाकर ही कर सकती हैं।
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