विपक्ष के गठबंधन में निर्माण से पहले ही दरार पड़ने लगी है। पहले बंगाल में कॉन्ग्रेस-वामदलों और तृणमूल के बीच के मतभेद सामने आए और अब दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) और कॉन्ग्रेस के बीच मतभेद उभर आए हैं।
कॉन्ग्रेस ने साफ कर दिया है कि वह दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों पर अकेले लड़ेगी और वर्तमान में दिल्ली की सत्ता में काबिज आम आदमी पार्टी से कोई भी समझौता नहीं करेगी। कॉन्ग्रेस की तरफ से यह बयान पार्टी की प्रवक्ता अलका लांबा ने दिया है।
अलका लांबा ने बताया है कि राहुल गांधी, कॉन्ग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और दीपक बाबरिया के बीच तीन घंटे चली बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि दिल्ली में लोकसभा चुनावों में कोई भी समझौता नहीं किया जाएगा। इसके लिए कार्यकर्ताओं से भी कह दिया गया है कि अभी चुनावों में 7 महीने बाकी हैं और वह आम चुनावों में सातों सीटों के लिए अपनी पूरी तैयारी रखें।
कॉन्ग्रेस की तरफ से यह घोषणा आम आदमी पार्टी के लिए एक झटका है क्योंकि वह दिल्ली में तीन बार सरकार बनाने के बावजूद एक भी लोकसभा सीट आजतक नहीं जीत पाई है। वर्ष 2014 और 2019, दोनों लोकसभा चुनावों में भाजपा ने दिल्ली की सभी सातों सीटों पर परचम लहराया था।
इससे पहले यह सभावनाएं जताई जा रही थीं कि कॉन्ग्रेस और आप, आपस में पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में सीट बंटवारे के समझौते पर पहुंच गए है और मिलकर चुनाव लड़ेंगे। बीते दिनों पंजाब कॉन्ग्रेस के भी कुछ नेताओं ने स्पष्ट किया था कि वह लोकसभा चुनाव अकेले लड़ना चाहते हैं।
केजरीवाल के I.N.D.I.A.गठबंधन में शामिल होने को लेकर पहले ही संशय थे, राजनीतिक विश्लेषकों ने बताया था कि वह दिल्ली सेवा अधिनियम पर समर्थन के बदले कॉन्ग्रेस और अन्य विपक्षी दलों से समझौता करने के लिए तैयार हुए हैं। अब जब दिल्ली सेवा अधिनियम कानून बन चुका है तो वह इन पार्टियों से संबंध नहीं रखना चाहते।
यह भी पढ़ें: 24 घंटे में ही पड़ गई विपक्षी एकता में दरार, बंगाल में TMC की तानाशाही से कम्युनिस्ट बृंदा करात परेशान