जी20 के रात्रिभोज में मल्लिकार्जुन खड़गे को न बुलाने से नाराज कांग्रेस ने बैठक की तैयारियों पर झूठ फैलाना शुरू कर दिया है। भारत मंडपम में बारिश के कारण कार्यक्रम के विफल होने का दावा करने वाली कांग्रेस पार्टी राष्ट्रमंडल खेल (CWG) के आयोजन के दौरान गिरे ब्रिज को भूल गई है।
जी20 की बैठक शुरू होने के साथ ही पार्टी के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जी20 विरोधी और पूर्व में किए गए CWG से लेकर NAM सम्मेलन के आयोजन की तारीफों से भरे हुए हैं। हर सरकारी कामकाज का कांग्रेसी उदाहरण ढूँढना पार्टी ने अपनी राजनीतिक जिम्मेदारी जरूर मान लिया होगा पर प्रश्न यह है कि क्या यह देश विरोधी छवि का निर्माण नहीं कर रही?
यह बात और है कि कांग्रेस ने इस तुलनात्मक राजनीति की शुरुआत करके स्वयं के पैर पर ही कुल्हाड़ी ही मारी है क्योंकि 2014 में पार्टी की हार के पीछे CWG घोटाला भी एक बड़ा कारण था।
घोटाले से इतर CWG की मेजबानी में कांग्रेस सरकार हर मोर्चे पर विफल साबित हुई थी। दिल्ली में फैले डेंगू और इससे उपजी अर्थव्यवस्था के कारण देश का दौरा करने वाली खिलाडी और अधिकारियों की संख्या में आई भारी गिरावट ने भारत की वैश्विक पटल पर बीमारू और गरीब देश की छवि बनाने का काम किया था। गरीबी का प्रदर्शन करने में खुश रहने वाली कांग्रेस के लिए यह उपलब्धि हो सकती है पर देश इसपर आज भी शर्म महसूस करता है।
जी20 बैठक से जो तस्वीरें और वीडियो सामने आए हैं वो गौरान्वित करने वाले हैं। मेहमानों के स्वागत से लेकर भारत मंडपम तक की तैयारियों में महीन से महीन बातों का ध्यान रखा गया है। बेशक जी20 की तैयारी करने वाली टीम का काम सराहनीय है जिसने विश्व के सामने भारत को न केवल भव्यता के साथ बल्कि शालीनता के साथ भी प्रस्तुत किया।
प्रस्तुत किए गए सांस्कृतिक कार्यक्रमों तक से शर्म महसूस कर रही कांग्रेस के लिए जी20 का आयोजन राजनीति करने का मुद्दा बनकर रह गया है। मेहमानों के लिए डिनर टेबल पर रखे गये बर्तन तक से उस पार्टी के नेताओं को शिकायत है जिसके नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन के नेता चार्टर्ड एयरक्राफ़्ट से पहुँच फाइव स्टार होटल में रहकर गठबंधन की मीटिंग करते हैं। यह ऐसी बेशर्मी है जिसे हासिल करने के लिए कांग्रेसी होना पड़ता है।
राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन के लिए की जाने वाली तैयारियों के दौरान कांग्रेस सरकार पर मानवाधिकारों और श्रम कानूनों तक के उल्लंघन का आरोप लगा था। कई मामले सामने आए थे जब तैयारियों में मजदूरों की काम के दौरान मौत हो गई थी। इससे इतर कई मजदूरों ने दावा किया था कि उन्हें 8 से 12 घंटे काम करने के लिए 134 से 150 रूपए तक की मजदूरी प्रदान की गई थी। अगर यह आपको दयनीय स्थिति लग रही है तो बता दें कि सीएनएन के अनुसार खेल स्थलों के निर्माण में 7 वर्ष की आयु के बच्चे भी काम कर रहे थे। सीएनएन को सबूत उपलब्ध कराने वाले सिद्धार्थ कारा के अनुसार, उन्होंने कुछ ही दिनों में बाल श्रम के 14 मामले दर्ज किए थे।
जी20 में विफलता ढूढ़ कर कांग्रेस शायद CWG में सामने आई अनियमितताओं का सरलीकरण करना चाहती है। जुलाई, 2010 में केंद्रीय सतर्कता आयोग ने 14 सीडब्ल्यूजी परियोजनाओं में अनियमितताएं दिखाते हुए एक रिपोर्ट जारी की थी। आधिकारिक रिपोर्टों के अनुसार, 71 संगठनों में कुल 129 कार्यों का निरीक्षण किया गया है। इनमें प्रारंभिक निष्कर्षों में ऊंची कीमतों पर कार्य अनुबंधों का पुरस्कार, खराब गुणवत्ता आश्वासन और प्रबंधन और अयोग्य एजेंसियों को दिए गए कार्य अनुबंध शामिल हैं।
जी20 से जुड़ी तस्वीरें आपने देखी होंगी। भारत मंडपम, जहां कार्यक्रम का आयोजन किया गया है वो पूर्णतया मेहमानों के आने से पूर्व तैयार था और इसमें हर वो सुविधा उपलब्ध करवाई गई जो इस स्तर के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों के लिए आवश्यक है। CWG के बाद यह बदलाव सुखद है क्योंकि तब कांग्रेस सरकार खेलों की समय पर तैयारी नहीं कर पाई थी। खेलों से कई महीने पहले जारी भारत सरकार की एक रिपोर्ट में पाया गया कि 19 खेल स्थलों में से 13 पर निर्माण कार्य डेडलाइन से काफी पीछे चल रहा था।
राष्ट्रमंडल खेलों का जिक्र कांग्रेस की ओर से किया गया यह हास्यास्पद है क्योंकि अगर इसे याद किया जाए तो कोई भी सरकार इसे छुपाने का ही प्रयास करेगी। इसमें दरअसल खेलों के साथ ही विफलताओं की भी प्रतिस्पर्द्धा चल रही थी। चाहे वो शुभारंभ कार्यक्रम में सुरेश कलमाड़ी द्वारा दिवंगत ब्रिटिश राजकुमारी डायना को कार्यक्रम में आने के लिए धन्यवाद देना हो या नस्लवाद के आरोप लगना।
खराब प्रबंधन व्यवस्था की वजह से ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ियों ने तो यह तक शिकायत की थी कि उन्हें कार्यक्रम के दौरान ‘जानवरों के झुंड’ की तरह घेरा जा रहा था। खिलाड़ियों के गांव में जानवरों के उत्पात, खिलाड़ियों के लिए उपलब्ध आवासों की दुर्दशा और टॉयलेट संसाधनों की अनियमितताओं ने भी खबरों में अपनी जगह बनाई थी।
पर यह बात तो सच है कि खिलाड़ियों के प्रबंधन, खेलों के आयोजन और बुनियादी सुविधाओं में अनियमितताओं से अधिक CWG को आज भी याद किया जाता है तो इसके 70,000 करोड़ के घोटाले के कारण।
यह राष्ट्रमंडल खेल धोखाधड़ी और खराब प्रबंधन के कारण बाधित तो हुए ही, साथ ही धोखाधड़ी और दुर्व्यवहार से ग्रस्त देश के रूप में भारत की छवि को नुकसान भी पहुंचाया था। यह तय किया गया था कि बजट का केवल आधा हिस्सा भारतीय एथलीटों के हिस्से में आएगा। कथित तौर पर एथलीटों को उन्हें सौंपी गई आधिकारिक आवास इकाइयों से निकालकर जर्जर फ्लैटों में स्थानांतरित कर दिया गया था।
दरअसल राष्ट्रमंडल खेलों को देखकर आश्चर्य होता है कि एक दशक बाद आज देश की तस्वीर कितनी बदल गई है। जहां डेंगू का नाम लेकर खिलाड़ियों ने भारत में आने से इंकार कर दिया था उसी स्थान पर आज राष्ट्र अध्यक्ष नंगे पैर चलकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं।
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