भारत में 8 से 10 सितंबर तक वैश्विक शक्तियों का जमावड़ा लगने वाला है। वर्ष भर के व्यस्त कार्यक्रम के बाद नई दिल्ली में जी20 की बैठक होने जा रही है। इस कार्यक्रम के लिए नई दिल्ली की सुरक्षा मजबूत करने के साथ ही राजधानी को सजावट और सांस्कृतिक प्रदर्शनी का केंद्र बनाया गया है। भारत मंडपम को जहां बैठक के लिए तैयार किया गया है वहीं पूरी दिल्ली में देश की संस्कृति और उपलब्धियों से भरी प्रदर्शनियां लगाई गई हैं जो आने वाले मेहमानों के लिए आकर्षण का केंद्र रहेंगी। प्रदर्शनियों को लेकर बुद्धिजीवियों की गरीबी ढ़कने वाली प्रतिक्रिया आना तो स्वाभाविक था ही पर देश के सबसे बड़े विपक्षी दल का जी20 की बैठक की ओर निराशानक रवैया कुंठित व्यवहार का उदाहरण है।
वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 85%, वैश्विक व्यापार का 75% से अधिक और विश्व जनसंख्या का लगभग दो-तिहाई प्रतिनिधित्व करने वाले जी 20 संगठन की बैठक को ‘छोटा सम्मेलन’ बताकर कांग्रेस ने इसके प्रचार को आगामी चुनाव से जोड़ने का प्रयास किया है। पार्टी का मानना है कि केंद्र सरकार द्वारा जी20 का प्रमोशन ‘मोदी सरकार’ के लिए किया जा रहा है। कांग्रेस जो बात समझने में विफल है वह ये है कि जी20 की बैठक भारत द्वारा आयोजित कार्यक्रम है और इसका प्रचार भी देश के लिए हो रहा है।
कांग्रेस के लिए जी20 को छोटा सम्मेलन बताने के लिए इसका संगठन विस्तार, आर्थिक और भू-राजनीतिक स्थिति मायने नहीं रखती है। दरअसल यह छोटा इसलिए है क्योंकि इसका नेतृत्व किसी कांग्रेसी परिवार के उत्तारधिकारी द्वारा नहीं किया जा रहा है। कांग्रेसी अनुयायियों का मानना है कि इंदिरा गांधी ने 1983 में गुटनिरपेक्ष सम्मेलन का आयोजन शांति और शानदार तरीके से किया था। इसके लिए उन्हें प्रचार या पाबंदियां लगाने की आवश्यकता नहीं पड़ी।
पहला प्रश्न यह है कि क्या कांग्रेस सच में विश्वास करती है कि देश में आने वाले राष्ट्र प्रमुखों एवं अधिकारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार को जरूरी कदम नहीं उठाने चाहिए? जबकि गुटनिरपेक्ष सम्मेलन के दौरान भी नई दिल्ली क्षेत्र में काफी पाबंदियां लगाई गई थी। हवाई अड्डे को आम लोगों के लिए बंद कर दिया गया था। सख्त सुरक्षा प्रोटोकाल के चलते सड़कों पर लोगों को आने की मनाही थी।
दूसरा, देश में पहली बार हो रहे जी20 के आयोजन को मोदी सरकार का चुनावी कार्यक्रम बताने वाली कांग्रेस को याद रखना चाहिए कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा बिना प्रचार के लगाई गई ‘इमरजेंसी’ के बाद गुटनिरपेक्ष सम्मेलन का आयोजन किया गया था ताकि उनकी लोकतंत्र विरोधी छवि की यादों को मिटाया जा सके। दरअसल गुटनिरपेक्ष सम्मेलन के आयोजन से प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की छवि को पुनर्स्थापित करने के लिए विदेश नीति और इसके प्रदर्शनात्मक पहलुओं का उपयोग किया था।
सम्मेलन के आयोजन के जरिए आपातकाल की काली छवि को मिटाकर इंदिरा गांधी तीसरी दुनिया का नेता बनने का प्रयास कर रही थी। गुटनिरपेक्ष संगठन का उद्देश्य आपसी सीमा विवाद, आतंकवाद और शरणार्थी जैसी समस्याओं को पर टिका है। क्या कांग्रेस इसकी व्याख्या कर पाई है कि पंडित नेहरू द्वारा चलाए गए गुटनिरपेक्ष आंदोलन से लेकर इंदिरा गांधी द्वारा सम्मेलन के नेतृत्व तक कांग्रेसी सरकारें इनमें से कौन सी समस्या हल करने में कामयाब रही?
जी20 विश्व की महाशक्तियों से लेकर उभरती अर्थव्यवस्थाओं का संगठन है। भारत ने बैठक की मेजबानी में अपनी संस्कृति, सभ्यता के साथ आर्थिक उद्देश्यों को बढ़ावा दिया है। इसके जरिए भारत ने समावेशी विकास, व्यापार और तकनीक के क्षेत्र में वैश्विक शक्तियों को एक मंच पर लाने का प्रयास किया है। उदाहरण के तौर पर भारत पहली बार जी 20 की अध्यक्षता के दौरान ही स्टार्टअप 20 एंगेजमेंट ग्रुप स्थापित करने जा रहा है, जो तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य पर प्रतिक्रिया देने वाले नवाचार को चलाने में स्टार्टअप की भूमिका को पहचानता है। यह कदम भारतीय लघु उद्योगों की पहुँच बढ़ाने में महत्वपूर्ण साबित होने जा रहा है।
चीन या रूस का न आना जी20 की विफलता का प्रमाण नहीं है। हालांकि इस बैठक के दौरान सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता का विदेशी दौरे पर होना जरूर गौर करने वाली बात है। कांग्रेस द्वारा स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम का बहिष्कार करने के बाद यह समझा जाना चाहिए कि जी20 का विरोध कांग्रेस द्वारा देश के राष्ट्रीय कार्यक्रमों से पीछा छुड़ाने का एक और बहाना है।
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