सब्जियों के दाम बढ़ गए, महँगाई करदी, दालों के दाम तो आसमान छू लिए। देश में केवल महँगाई महँगाई और महँगाई!
कांग्रेस इसी तरह महँगाई का रोना रो रही है। किसके लिए? जनता के लिए? बिलकुल नहीं। ये रोना खुद के लिए रोया जा रहा है और मोहरा भाजपा को बनाया जा रहा है। चलिए महँगाई की बात छिड़ ही गई है तो विस्तार से इस पर चर्चा करते हैं।
दरअसल, बात कुछ यूँ है कि कांग्रेस पार्टी आज कल विकास काल और विनाश काल के पोस्टर्स छाप रही है और जमकर महँगाई के मुद्दे पर बात कर रही है और भाजपा सरकार को बार बार घेर रही है।
जी हाँ! हाल ही में ट्विटर पर कई कांग्रेसी समर्थकों ने ‘मोदीफ्लेशन’ के हैशटैग के साथ महँगाई को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला।
कांग्रेस और उनके समर्थकों ने 2013 से कीमतों की तुलना करते हुए भाजपा सरकार पर हमला करते हुए यह दावा किया कि 2014 में पीएम मोदी के सत्ता संभालने के बाद से ही पिछले दस वर्षों में डेली यूज़ के प्रोडक्ट्स की कीमतें आसमान छू रही हैं और 2-3 गुना बढ़ गई हैं। यह भी कहा कि सरकार कीमतों को नियंत्रित करने में असमर्थ रही है। और अपने दावे के समर्थन में कांग्रेस टमाटर के दाम बता रही है।
सर्दियों की सब्जी टमाटर बरसात में 120 रुपए से 150 रुपए की कीमत में बिक रहे हैं। अब इसमें क्या आश्चर्य? जो मौसमी सब्जियां होती है वो लिमिटेड सप्लाई के कारण और मानसून के दौरान जल्द खराब होने के कारण इन महीनों में हर साल बढ़ती हैं और कुछ दिनों के ही अंतराल पर कीमतें सामान्य स्तर पर भी आ जाती हैं।
हालांकि विपक्षी दलों ने इस समय का उपयोग सरकार पर हमला करने के लिए किया और कहा कि सरकार इन्फ्लेशन को नियंत्रित करने में विफल रही।
लेकिन वर्ल्ड बैंक का डाटा तो कुछ और ही बता रहा है।
जी हाँ वर्ल्ड बैंक के इस डाटा को देखा जाए तो 2014 में भाजपा सरकार के सत्ता में आने से पहले कांग्रेस शासन के दौरान महँगाई का दर अधिक था।
यह किसी से छिपा नहीं कि पिछले 22 वर्षों में भारत में महँगाई की दर क्या रही है? अभी दो महीने पहले ही पी चिदंबरम ने यूपीए शासन के दौरान बढ़ी हुई महँगाई का ठीकरा स्वर्गीय प्रणब मुखर्जी पर फोड़ दिया था।
हम थोड़ा और पीछे जायें तो महँगाई के आँकड़े 1990 के दशक से देख सकते हैं जो साफ़ बता रहे हैं कि 1991 से 1995 तक के आंकड़ों के अनुसार, जब कांग्रेस सत्ता में थी तब इन्फ्लेशन 13.90 से 10.20 प्रतिशत के बीच रहा।
जिसके बाद 1996 में जनता दल सत्ता में आई और महँगाई दर में थोड़ी गिरावट आई। 1996 में इन्फ्लेशन दर 8.98 प्रतिशत थी, जबकि 1997 में यह 7.16 प्रतिशत थी।
इसके बाद मार्च 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार आई। पहले वर्ष यानी 1998 में इन्फ्लेशन दर 13.20 प्रतिशत था। हालांकि बाद के वर्षों यानी 1999 से 2004 तक जब तक बीजेपी सत्ता में थी तब तक इन्फ्लेशन दर 4.67 से 3.77 प्रतिशत के बीच रहा।
अब 2005 में एक बार फिर कांग्रेस सत्ता में आती है और 2005 से 2013 तक इन्फ्लेशन थोड़ा बढ़ कर 4.25 से 10 प्रतिशत के बीच रहा।
अब एक बार फिर 2014 में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के सत्ता में आने के कुछ ही महीनों के भीतर इन्फ्लेशन 10 प्रतिशत से घटकर 6.67 प्रतिशत हो गया। और 2014 से अब तक यानी 2023 तक इन्फ्लेशन दर 6.67 से 5.1 प्रतिशत के बीच रहा।
आपको बता दे, भाजपा शासन के इसी बीच 2020 में कोविड महामारी ने भारत को बुरी तरह प्रभावित किया, जिससे अर्थव्यवस्था पर भी काफी हद तक प्रभाव पड़ा। हालांकि इससे बहुत ज्यादा महँगाई नहीं देखी गई और स्थिति सामान्य रही।
वही आरबीआई के अनुमान के अनुसार 2023 में यानी इस वर्ष इन्फ्लेशन 5.1 प्रतिशत रहेगा।
तो देखा आपने वर्ल्ड बैंक के डाटा के अनुसार ये पता चलता है कि भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के समय इन्फ्लेशन ज्यादातर प्रतिवर्ष 5 प्रतिशत से नीचे ही रहा है।
इसके साथ ही ये भी नज़र आया कि कांग्रेस के शासन काल के दौरान महँगाई सबसे ऊँचे स्तर पर थी। तो जिस तरह से कांग्रेस महंगाई और अन्य चीज़ों को लेकर खुद को विकास काल की सरकार कहा करते थे उस हिसाब से तो इन्हे विनाश काल की सरकार होना चाहिए था।
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