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Home » जब इन्दिरा गाँधी ने अपनाया था कमल का फूल
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जब इन्दिरा गाँधी ने अपनाया था कमल का फूल

अर्पित त्रिपाठीBy अर्पित त्रिपाठीNovember 12, 2022No Comments5 Mins Read
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G20 भारत
जब इन्दिरा गाँधी ने अपनाया था कमल का फूल
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भारत को इस साल के अन्तिम माह दिसम्बर में दुनिया की 20 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले समूह G20 की अध्यक्षता मिलने जा रही है। वैश्विक स्तर पर भारत के बढ़ते प्रभाव का परिणाम है कि वर्ष 2023 में G20 की सभी महत्वपूर्ण बैठकें भारत में होने जा रही हैं।

बीते, 8 नवम्बर, 2022 के दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने G20, 2023 का प्रतीक चिन्ह यानी ‘लोगो’ जारी किया। हालाँकि, विपक्षी पार्टी कॉन्ग्रेस ने इस प्रतीक चिन्ह का विरोध करना भी शुरू कर दिया है। इस ‘लोगो’ पर कमल का फूल होना कॉन्ग्रेस और उसके इकोसिस्टम को रास नहीं आ रहा।

कॉन्ग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्टीट कर कहा है, “70 साल पहले, नेहरू ने कॉन्ग्रेस के झंडे को भारत का झंडा बनाने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। अब, भारत के G20 अध्यक्षता के लिए भाजपा का चुनाव चिन्ह आधिकारिक लोगो बन गया है। यह चौंकाने वाला है कि अब तक मोदी और भाजपा बेशर्मी से स्वयं को बढ़ावा देने का कोई मौका नहीं गँवाया।”

Over 70 years ago, Nehru rejected the proposal to make Congress flag the flag of India. Now,BJP's election symbol has become official logo for India's presidency of G20! While shocking,we know by now that Mr.Modi & BJP won’t lose any opportunity to promote themselves shamelessly!

— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) November 9, 2022

प्रधानमंत्री ने बताया कमल के फूल को सद्भावना का प्रतीक

वर्ष 2023 में G20 की मेजबानी के लिए सरकार तैयारियों में जुटी है। इसी कड़ी में यह ‘लोगो’ भी जारी किया गया है। G20 सम्मलेन में विश्वभर के प्रमुख राष्ट्राध्यक्ष और कई नेता आने वाले हैं। ऐसे समय में भी कॉन्ग्रेस आयोजन से जुड़े प्रतीक चिन्ह पर ओछी राजनीति करने का काम कर रही है।

G20 के प्रतीक चिन्ह में कमल के फूल के साथ-साथ आयोजन का वर्ष, यानी 2023 और हिन्दी में ‘भारत’ भी लिखा है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोगो पर लगे कमल के फूल के बारे में बताते हुए कहा था कि इस कमल के फूल में दिख रहीं 7 पत्तियाँ दुनिया के 7 महाद्वीपों को प्रदर्शित करती हैं। ये 7 पत्तियाँ संगीत के सात स्वरों को भी प्रदर्शित करती हैं। जब यह 7 स्वर एक साथ आते हैं, तो सद्भावना का माहौल पैदा होता है।

The G20 India logo represents 'Vasudhaiva Kutumbakam'. pic.twitter.com/RJVFTp15p7

— PMO India (@PMOIndia) November 8, 2022

G20 के लोगो के अलावा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आयोजन की वेबसाइट और थीम का भी अनावरण किया है। भारत ने इस समिट की थीम ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ रखी है। इसका अर्थ यह है, ‘एक विश्व, एक परिवार एक भविष्य’।

कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश भले ही G20 के लोगो पर कमल का फूल होने से नाराज़ हैं लेकिन, वह भूल रहे हैं कि उन्हीं की पार्टी इससे पहले भी कमल के फूल का उपयोग पहले कर चुकी है। वर्ष 1983 में कॉन्ग्रेस की नेता और तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गाँधी के समय भी गुट निरपेक्ष आन्दोलन की 7वीं बैठक के ‘लोगो’ में कमल के फूल को दर्शाया गया था।

इसके अलावा, वर्ष 2016 और 2021 के ब्रिक्स (BRICS) सम्मेलन के ‘लोगो’ में भी कमल के फूल को दर्शाया गया था। हालाँकि, तथ्यों से अनजान, कॉन्ग्रेस हाल के कुछ वर्षों से भारत सरकार की हर नीति-रीति में राजनीतिक टीका-टिप्पणी करने के मौके तलाशती रहती है।

कॉमनवेल्थ खेलों के बाद G20 देश में सबसे बड़ा आयोजन

भारत में होने वाला G20 सम्मेलन बीते डेढ़ दशक के दौरान हुए अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन में से सबसे बड़ा सम्मेलन होने जा रहा है। इस सम्मलेन में सदस्य देशों के अलावा निरीक्षण करने वाले देश और मेहमान देशों के प्रतिनधि भी आएंगे। बता दें कि इससे पहले भारत ने गुट निरपेक्ष आन्दोलन, ब्रिक्स (BRICS) और सार्क (SAARC) जैसे सम्मेलनों का भी आयोजन किया है।

इस सम्मेलन को बड़ा सम्मेलन इसलिए भी माना जा रहा है क्योंकि G20 के सदस्य राष्ट्र दुनिया की आबादी का दो तिहाई हिस्सा कवर करते हैं। अर्थव्यवस्था के लिहाज से देखें तो यह समूह दुनिया की 85% जीडीपी कवर करता है।

भारत ने इससे पहले वर्ष 2010 में कॉमनवेल्थ का आयोजन किया था। यह भारत की दृष्टि से सबसे बड़ा खेल आयोजन था। हालाँकि, यह आयोजन देश की सफलता के लिए कम और भ्रष्टाचार के लिए अधिक प्रचलित हुआ था। यूपीए सरकार में हुए इस आयोजन में भ्रष्टाचार और तैयारियों की कमी की चर्चा केवल भारत में ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हुई थी।

इस आयोजन में भारत की जग हंसाई हुई थी। उस समय कॉन्ग्रेस की सरकार में खेल मंत्री रहे, सुरेश कलमाड़ी पर इस पूरे आयोजन में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा था और उन्हें जेल भी हुई थी। रिपोर्ट्स बताती हैं कि यह पूरा घोटाला 70,000 करोड़ रुपए का था।

इसके कारण आगे चलकर इस तरह के खेलों के आयोजन में भी काफी दिक्कतें आई। एक समय तो ऐसा आया जब, इस तरह के आयोजन को सफल बनाने और सम्बन्धित निर्माण कार्य के लिए भारतीय सेना की मदद लेनी पड़ी थी। यही नहीं, कॉन्ग्रेस राज में भारतीय खिलाड़ियों को मिलने वाली सुविधाओं में भी भारी कमी देखी गई। हालाँकि, उस समय हुए घोटालों से कॉन्ग्रेस के माथे पर कोई शिकन तक नहीं पड़ी थी।

आज जब भारत G20 जैसे महत्वपूर्ण देशों के समूह की अध्यक्षता और कार्यक्रम का आयोजन करने जा रहा है। वो भी बिना किसी भ्रष्टाचार किए। इस समय भी कॉन्ग्रेस पार्टी राजनीति कर, बचकाने आरोप लगाने से चूक नहीं रही है।

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