जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत की राष्ट्रपति द्वारा बुलाए गए रात्रिभोज में देश के प्रधानमंत्री, राज्यों के मुख्यमंत्री और विदेशी राष्ट्र प्रमुख साबित हुए। कार्यक्रम की भव्यता और सफलता के बीच किसी प्रकार लोकतंत्र के उल्लंघन का दावा किया जा रहा है। यह दावा कांग्रेस कर रही है। पार्टी का दावा है कि रात्रिभोज में कांग्रेस के पार्टी अध्यक्ष को निमंत्रण नहीं दिया गया। इसके चलते कांग्रेस के अनुयायी नाराज हैं और देश ही नहीं विदेश तक जी20 पर नाक भौंह सिकोड़ कर लोकतंत्र खत्म होने की बात कर रहे हैं।
वैसे तो जी20 बैठक में देश के सभी मुख्यमंत्रियों को बुलाया गया था। जाहिर है कि इसमें गैर-बीजेपी शासित राज्य भी शामिल रहे। हालांकि राष्ट्रपति के निमंत्रण पर सिर्फ कांग्रेस शासित राज्यों में केवल हिमाचल प्रदेश से सुखविंदर सिंह सुक्खू शामिल हुए। अन्य मुख्यमंत्री शायद अपने पार्टी अध्यक्ष के न बुलाये जाने के कारण अनुपस्थित रहकर प्रतीकात्मक विरोध दर्ज करवा रहे थे।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को न बुलाए जाने पर राहुल गांधी सहित उनके पिछलग्गु इतने क्यों व्यथित हैं, यह समझ के बाहर है। जाहिर तौर पर पार्टी अध्यक्ष होना कोई संवैधानिक पद नहीं है और कार्यक्रम में सिर्फ संवैधानिक पद पर बैठे लोगों को ही निमंत्रण दिया गया था। संभव है कि ‘सुपर पीएम’ की तर्ज पर आज भी कांग्रेस अपने पार्टी अध्यक्ष को संवैधानिक पद मानती है और डिनर टेबल पर स्वयं का प्रतिनिधित्व चाहती है।
लोकतांत्रिक प्रक्रिया की कांग्रेसी समझ से तो यही लग रहा है कि जी20 में डेमोक्रेसी सुनिश्चित करने के लिए सरकार को 6 राष्ट्रीय दलों सहित 2,651 पंजीकृत राजनीतिक दलों के अध्यक्षों को भी निमंत्रण देना चाहिए था। देखा जाये तो ट्विटर तथा अन्य सोशल मीडिया मंचों पर लोकप्रिय पंजीकृत राजनीतिक दल सत्य शिखर पार्टी के अध्यक्ष को भी आमंत्रित नहीं किया गया लेकिन न तो उन्होंने और न ही उनकी पार्टी के किसी सदस्य ने उनके आमंत्रित नहीं किए जाने का विरोध किया। शायद वे समझते हैं कि आमंत्रित किए जाने के लिए पार्टी का अध्यक्ष होना काफी नहीं है। पर प्रश्न यह है कि यही समझ कांग्रेस पार्टी के नेताओं को क्यों नहीं है? कांग्रेस को जवाब देना चाहिए कि मल्लिकार्जुन खड़गे के पास ऐसा कौन सा विशेषाधिकार है जो भारत के अन्य राजनीतिक दलों के मुखियाओं का नहीं है, फिर वे अखिलेश यादव हो, उद्धव ठाकरे, श्रीमती मायावती या जेपी नड्डा।
मल्लिकार्जुन खड़गे का न बुलाए जाना गांधी परिवार के लिए अपमान का प्रतीक है। सभी जानते हैं कि पार्टी अध्यक्ष के तौर पर भी खड़गे गांधी परिवार का ही प्रतिनिधित्व करते हैं। कांग्रेस जी20 में लोकतंत्र की कमी से नहीं बल्कि कांग्रेस परिवार की कमी से व्यवस्थित है और यही प्रलाप कार्यक्रम के विरोध के रूप में सामने आ रहा है। कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष को क्यों जी20 के रात्रिभोज में बुलाया जाना था? विपक्ष के नेता कहलाने के लिए भी कांग्रेस के पास उचित आंकड़ा उपलब्ध नहीं है तो किस आधार पर वह यह विशेषाधिकार चाहते हैं?
लोकतांत्रिक व्यवस्था की खूबसूरती इस बात में है कि इसमें निर्णय लेने की स्वतंत्रता होती है। ठीक वैसे ही, जैसे किसी समय स्वतंत्रता आंदोलनों में भाग लेने वाली और सरदार पटेल और सुभाष चंद्र बोस जैसे नेताओं वाली पार्टी ने इस वर्ष के स्वतंत्रता दिवस समारोह के बहिष्कार का निर्णय लिया। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर खड़गे का रिक्त स्थान आज भी इस बात का प्रतीक है कि विपक्ष में रहकर कांग्रेस ने देश के प्रति अपनी नैतिक कर्तव्यों को मिटा दिया है।
कांग्रेस भवन का कार्यक्रम जिस दिन लाल किले पर हुए राष्ट्रीय कार्यक्रम से बड़ा हो गया था उसी दिन से कांग्रेस लोकतांत्रिक मूल्यों पर प्रश्न उठाने लायक नहीं रही है।
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