दिल्ली सेवा बिल को 2024 का सेमीफाइनल बताने वाले अरविन्द केजरीवाल ने राहुल गांधी को चिट्ठी लिखकर धन्यवाद दिया है।
दिल्ली सेवा बिल को भले ही वे रोक नहीं पाए लेकिन हाँ ये बात जरूर हाइलाइट हुई है कि कांग्रेस पार्टी जिसने दशकों तक देश की सत्ता का सुख भोगा, आज वही पार्टी व्हीलचेयर पर है। दोनों सदनों से दिल्ली सेवा बिल पास होने के बाद कांग्रेस की यह स्थिति पूरे देश ने देख ली है।
कांग्रेस व्हीलचेयर पर जिन मनमोहन सिंह को लाई है और अपने आधिकारिक ट्टिटर हैंडल से भी जिस तरह आम आदमी पार्टी के समर्थन में उतरी है यह देख कर तो यही लगता है कि कांग्रेस ने अपनी स्थिति देश के सामने रख दी है कि वह किस कदर लाचार है।
लाचार कैसे है, इसे समझते हैं। लोकसभा में आम आदमी पार्टी के सांसदों की संख्या मात्र 1 है। वहीं, लोकसभा में कांग्रेस के सांसदों की संख्या 51 है यानी आम आदमी पार्टी से लगभग 51 गुना ज्यादा सांसद हैं।
यही स्थिति राज्यसभा में भी देखने को मिलती है। अपर हाउस में आम आदमी पार्टी के सांसदों की संख्या है 10 जबकि कांग्रेस के सांसदों की संख्या है, 40 यानी आप के मुकाबले कांग्रेस के पास 4 गुना ज्यादा सांसद हैं।
सोचिए, जिस पार्टी का जनाधार और सांसद दोनों हाउस में आम आदमी पार्टी से ज्यादा है, वह पार्टी कितनी लाचार होगी कि उसे आम आदमी पार्टी को सपोर्ट देने के लिए अपने एक बड़े नेता और पूर्व प्रधानमंत्री को व्हीलचेयर पर ही सही लेकिन सदन में उनकी उपस्थिति दर्ज करवानी ही है।
जो पार्टी देश में एकछत्र राज करती थी, उसकी लाचारी देखिए कि वह आज फाइनल जीतने की आश में सेमीफाइनल जिताने के लिए हर सम्भव मदद कर रही है।
हालाँकि, उसकी यह मजबूरी है। अगर वाकई में मजबूरी न होती तो कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के स्वास्थ्य मंत्री दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिक पर यह न कहते कि इन्हें बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया है, ऐसा कुछ खास है नहीं।
अगर ऐसा न होता तो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संदीप दीक्षित केजरीवाल को यह सलाह न देते कि अब रोना-धोना बन्द करें और दिल्ली के लिए कार्य करें।
अगर ऐसा न होता तो कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता अजय माकन यह न कहते कि केजरीवाल ने शीशमहल पर 45 करोड़ नहीं बल्कि 171 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।
सोचिए, वो कांग्रेस पार्टी जो संविधान में संशोधन लेकर आई कि दिल्ली की विधानसभा द्वारा बनाए गए किसी भी कानून को संशोधित करने का, उसका स्वरूप बदलने का, उसे निरस्त करने का भी अधिकार रखती है, वही कांग्रेस पार्टी आज दिल्ली सर्विस बिल के विरोध में खड़ी रही।
इसका क्या अर्थ है? इसका एक ही अर्थ है कि कांग्रेस पार्टी अब लाचार हो चुकी है और अपना अस्तित्व बचाए रखने के लिए उसे आम आदमी पार्टी के साथ खड़ा होना पड़ रहा है, जिसे वह भाजपा की B टीम कहती रहती है।
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