अमेरिका में वामपंथी और वोक कल्चर के पुरोधा माने जाने वाले न्यूज चैनल CNN के सीईओ क्रिस लिक्ट (Chris Licht) को अपने पद से हाथ धोना पड़ा है। बताया जा रहा है कि क्रिस को निकाले जाने या फिर उनके त्यागपत्र के पीछे वजह उनके द्वारा अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रम्प का लिया गया इंटरव्यू है। सीएनएन को बायडेन प्रशासन और उनकी डेमोक्रेटिक पार्टी का पक्षधर माना जाता है।
पूरा मामला अमेरिका की बड़ी फिल्म और टीवी चैनल कम्पनी वार्नर ब्रदर्स के न्यूज चैनल CNN से जुड़ा हुआ है। क्रिस को लगभग 1 वर्ष पूर्व CNN का सीईओ बनाया गया था। पिछले सप्ताह एक अन्य समाचार वेबसाइट ‘द अटलांटिक’ में क्रिस के विषय में छपे एक लेख ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी थीं, जिसके बाद क्रिस को अपने चैनल के लोगों से माफ़ी मांगनी पड़ी।
हालाँकि, यह क्रिस के लिए मुश्किलें बढ़ाने वाला निर्णय था क्योंकि इससे पहले डोनाल्ड ट्रम्प के इंटरव्यू के कारण CNN के वामपंथी दर्शकों ने काफी आलोचना की थी।
यह फ़ैसला ऐसे समय में सामने आया है जब गिरती रेटिंग के सिलसिले में क्रिस सीएनएन से जुड़े कुछ अहम बदलाव कर रहे थे और नेटवर्क के अनुभवी कर्मचारियों को ये बदलाव पसंद नहीं आए। बीते कुछ समय में सीएनएन को दर्शकों की हानि उठानी पड़ी है और इसकी रेटिंग इसके प्रतिद्वंद्वियों जैसे, फॉक्स न्यूज और एमएसएनबीसी से काफ़ी पीछे जा चुकी है।
डोनाल्ड ट्रम्प के इस इंटरव्यू को टाउनहाल शैली में कराया गया था जिसमें इंटरव्यू के दौरान दर्शक उसी जगह पर बैठते हैं। इस इंटरव्यू में ट्रम्प को काफी समर्थन मिला था और बाद में यह सोशल मीडिया पर काफी वायरल भी हुआ था। हालाँकि CNN की रेटिंग इसके बाद काफी घट गई थी और इसकी खूब आलोचना भी हुई थी।
क्रिस को इन्ही सब कारणों के चलते अपने पद से हटना पड़ गया है। इस बीच चैनल ने नए सीईओ की तलाश चालू कर दी है। सोशल मीडिया पर CNN की इस बात को लेकर भी आलोचना हो रही है कि हमेशा बायडेन प्रशासन और उनकी पार्टी के समर्थन में दिखने वाले CNN द्वारा ट्रम्प का केवल एक इंटरव्यू ब्रॉडकॉस्ट करने पर इतना बड़ा फैसला ले लिया गया। इसे काफी यूजर असहिष्णुता का नाम दे रहे हैं।
क्रिस से पहले CNN के सीईओ रहे जेफ़ जकर को CNN की एक कर्मचारी से समबन्ध रखने के कारण हटना पड़ा था। बीते दिनों भारत में NDTV से रवीश कुमार के स्वयं इस्तीफ़ा देने पर वामपंथी गैंग ने खूब हल्ला मचाया था लेकिन इस मामले पर कोई भी बोलने को तैयार नहीं है।
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