राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर चुनावी रैलियों के लिए वरिष्ठ नेताओं द्वारा प्रदेश का दौरा किया जा रहा है। इसी बीच प्रदेश में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के दौरे को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आपत्ति जताई है।
जगदीप धनखड़ के दौरे को लेकर पिछले दो दिनों में अशोक गहलोत लगातार इसकी आलोचना करते नजर आ रहे हैं। उनका यहां तक कहना है कि उपराष्ट्रपति द्वारा सुबह-शाम यहां का दौरा करने का क्या मतलब है? वहीं, बृस्पतिवार (सितंबर 29, 2023) को भी नीमराणा में हुए एक कार्यक्रम में अशोक गहलोत ने कहा, “राजनेताओं को आना चाहिए पर उपराष्ट्रपति को नहीं। यह संवैधानिक पद है। हम राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति का सम्मान करते हैं। कल उपराष्ट्रपति आए और पांच जिलों का दौरा किया। क्या तर्क है भाई? चुनाव का मौसम है।” गहलोत ने कहा कि अगर वे आते हैं तो उससे जो संदेश मिलेगा वो लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है।
उल्लेखनीय है कि उपराष्ट्रपति धनखड़ बुधवार (सितंबर 28, 2023) को राजस्थान पहुंचे थे। उन्होंने अलग-अलग जिलों में पांच कार्यक्रमों में हिस्सा लिया और एक मंदिर में जाकर माथा टेका था।
मुख्यमंत्री गहलोत इस दौरे को लेकर परेशान हैं। उनका मानना है कि उपराष्ट्रपति के दौरे का असर चुनावों पर पड़ सकता है और इसका फायदा बीजेपी को मिलेगा। ऐसे में वे उनके दौरे पर लगातार आपत्ति जता रहे हैं। गहलोत का कहना है कि एक समय था जब राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति मुख्यमंत्री से पूछते थे कि क्या उनके राज्य में कोई विशेष कार्यक्रम उनके पद के अनुरूप है। हालांकि अब यह व्यवस्था बंद हो गई है।
इससे पहले भी बुधवार को जयपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अशोक गहलोत ने कहा था कि उपराष्ट्रपति दिल्ली और राजस्थान के बीच अप-डाउन करते रहते हैं। गहलोत ने कहा, मेरी इच्छा है कि उपराष्ट्रपति धनखड़ राष्ट्रपति बनें और तभी हम उनका स्वागत करेंगे। कुछ दया करें। वह दिन-रात राज्य का दौरा करते हैं, क्या कोई तर्क है? यह कौन सा तर्क है?
उपराष्ट्रपति के दौरे से नाराज गहलोत ने आगे कहा कि राजस्थान में चुनावी मौसम है। अगर आप बार-बार आते रहेंगे तो लोग आपके बारे में क्या सोचेंगे? आप क्या चाहते हैं? चाहे किसी भी सरकार की सरकार रही हो, इन संवैधानिक संस्थाओं की एक गरिमा होती है। उन्होंने कहा कि जनता इन बातों को समझती है और राज्य में हो रही ऐसी चीजों का करारा जवाब देगी।
क्यों परेशान हैं गहलोत
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ जाट समुदाय से आते हैं और मूल रूप से राजस्थान के रहने वाले हैं। राजस्थान की राजनीति में जाट मतदाता हमेशा से ही निर्णायक भूमिका में रहे हैं। राजस्थान में लगभग 12% जाट समुदाय है और लगभग 50 विधानसभा सीटों पर इसका प्रभाव भी नजर आता है। राजस्थान में क़रीब 20 सीटों पर किसी दूसरे समाज के नेता को जीतने या हराने में जाट मतदाता महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसी का परिणाम है कि हर चुनाव में कम से कम 10 से 15% विधायक जाट समाज से ही आते हैं। साल 2018 के चुनाव की ही अगर बात करें तो राजस्थान में जाट समुदाय के 34 विधायक जीतकर आए थे। इनमें कांग्रेसी विधायकों की संख्या 18 थी जबकि भाजपा के इनमें से 10 जाट विधायक चुने गए थे। भाजपा नेता वसुंधरा राजे भी इन्हीं में से एक हैं। जाट मतदाताओं का यही प्रभुत्व कांग्रेसी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की परेशानी का कारण भी हैं और यही वजह भी है कि उपराष्ट्रपति की यात्राओं से उनके माथे पर पसीना उतर रहा है।
वे पिछले 13 महीने में 17 बार प्रदेश के दौरे पर आ चुके हैं। इनमें उन्होंने 34 कार्यक्रमों में हिस्सा लिया था। धनखड़ के दौरे को लेकर राजनीतिक कयास लगाए जा रहे हैं। यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि जगदीप धनखड़ के जरिए बीजेपी राज्य में जाट वोटों को साधने का प्रयास कर रही है। हालांकि उपराष्ट्रपति बनने के साथ ही धनखड़ अपने पैतृक जिले झुंझुनू का दौरा लगातार करते रहे हैं। पिछले वर्ष सितंबर में वे झुंझुनू ज़िला स्थित अपने पैतृक गांव कैथाना भी गए थे, जहां उन्होंने कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया था।
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