पिछले कुछ वर्षों से विश्व भर में पर्यावरण परिवर्तन को लेकर बड़ी बहस चल रही है। पश्चिमी राष्ट्र वैसे तो लगातार पर्यावरण परिवर्तन पर बड़ी-बड़ी बातें करते आए हैं, परन्तु तुलनात्मक रूप से भारत के प्रयास सर्वाधिक गंभीर रहे हैं। यह बात क्लाइमेट चेंज परफॉरमेंस इंडेक्स (CCPI) की रिपोर्ट में सामने आई है।
विश्व के 59 देशों एवं यूरोपीय यूनियन द्वारा पर्यावरण परिवर्तन पर कितनी गंभीरता से काम किया जा रहा है, इसके आधार पर CCPI की रिपोर्ट में भारत को 8वां स्थान मिला है। भारत को रिपोर्ट के सूचकांकों पर अधिकांश विकसित राष्ट्रों से भी अधिक आगे बताया गया है।
क्या है क्लाइमेट चेंज परफॉरमेंस इंडेक्स (CCPI)?
क्लाइमेट चेंज परफॉर्मेंस इंडेक्स, विश्व भर के 59 देशों और 27 देशों के संगठन यूरोपीय यूनियन को मिलाकर पर्यावरण परिवर्तन की दिशा में हो रहे कार्यों को लेकर रिपोर्ट तैयार करता है। यह देश विश्व के 90% ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं।
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यह रिपोर्ट वर्ष 2005 से लगातार प्रकाशित की जा रही है। इस सूचकांक के अंतर्गत 4 मापदंड रखे गए हैं जिनके ऊपर किए गए कार्य के आधार पर किसी भी देश की रैंकिंग तय की जाती है। इसमें ग्रीन हाउस गैस को कम करने के लिए किए गए प्रयास, रिन्यूबल एनर्जी पर जोर, ऊर्जा के उपयोग और पर्यावरण पर नीतियों को शामिल किया जाता है।
इन्हीं अलग-अलग मापदंडों पर कार्य करने के लिए कुल मिलाकर किसी भी राष्ट्र की रैंकिंग तैयार की जाती है। भारत इन चारों मापदंड पर काम करने वाला अग्रणी राष्ट्र बना है।
भारत ने किया है प्रशंसनीय कार्य
भारत ने इन सभी मापदंडों पर लगातार काम किया है और अपने पर्यावरण लक्ष्य की प्राप्ति की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है। भारत G20 समूह का सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला देश है और इसकी रैंकिंग 2023 की रिपोर्ट में २ स्थान बढ़ कर 10 से 8 पर पहुँच गई है।
दरअसल, रिपोर्ट में सबसे ऊपर के तीन स्थानों पर कोई भी राष्ट्र नहीं है इसलिए भारत तकनीकी रूप से पांचवे स्थान पर ही है। भारत से अच्छा प्रदर्शन करने वाले राष्ट्र डेनमार्क, स्वीडन, चिली और मोरक्को हैं। भारत इन राष्ट्रों के साथ हाई कैटेगरी में है।
ग्रीन हाउस गैस के मामले में भारत 9वें स्थान पर है। भारत उन देशों में शामिल है जिनका प्रति व्यक्ति ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन अन्य देशों की तुलना में काफी कम है।
भारत का प्रति व्यक्ति ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन मात्र 2.4 टन CO2 है जबकि अमेरिका के लिए यह 14 टन और चीन के लिए 9.7 टन है। भारत इस मामले में 2030 तक निर्धारित किए गए लक्ष्यों को लेकर भी बाकी राष्ट्रों से कहीं आगे है।
अन्य दो मापदंड, ऊर्जा उपयोग और पर्यावरण नीतियों के मामले में भी भारत को अच्छी रेटिंग मिली है। ऊर्जा उपयोग के मामले में भारत पांचवें नंबर पर है, जबकि पर्यावरण के प्रति नीतियां बनाने के मामले भारत तकनीकी रूप से पांचवें स्थान पर है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत वर्ष 2030 के उत्सर्जन के लक्ष्य को आसानी से हासिल कर लेगा और उस दिशा में तेजी से काम कर रहा है। इसके अतिरिक्त, भारत वर्ष 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है। भारत अकेला ऐसा बड़ा राष्ट्र है जो इन सभी मापदंडों पर काम कर रहा है और लगातार रैंकिंग को बढ़ा रहा है।
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भारत ने वर्ष 2022 के दौरान 13 गीगावाट रिन्यूएबल ऊर्जा की क्षमता बढाई है। अब यह बढ़ कर लगभग 174 गीगावाट हो चुकी है। भारत एथेनाल के उत्पादन पर भी जोर दे रहा है जिससे जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता कम की जा सके। वर्तमान में 1000 करोड़ लीटर से अधिक की एथेनाल उत्पादन की क्षमता है जिसे लगातार बढ़ाया जा रहा है।
जहाँ भारत सभी क्षेत्र में पर्यावरण संरक्ष्ण को लेकर तेजी से काम कर रहा है, वहीँ दुनिया भर को पर्यावरण पर ज्ञान देने वाला यूरोपियन यूनियन अधिकाँश मापदंड पर मध्यम कैटेगरी में ही है और इसके प्रदर्शन में पिछले वर्ष से कोई ख़ास सुधार नहीं आया है।