44 साल लंबा आपराधिक इतिहास, हत्या, रेप, अहपरण, गुंडागर्दी जैसे संगीन मामले और सजा 2022 में पहली बार। हम बात कर रहे हैं कभी उत्तर प्रदेश की राजनीति और अपराध की दुनिया में हावी रहे माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की।
इलाहबाद हाइकोर्ट की लखनऊ बैंच ने दो मामलों में गैंगस्टर मुख्तार अंसारी को सजा सुनाई है। पहला मामला 2003 का है, जिसमें मुख्तार ने लखनऊ जिला जेल के जेलर को जान से मारने की धमकी दी। वहीं दूसरा मामला 23 साल पुराना है, जिसमें माफिया को 5 साल की सजा सुनाई गई।
मामले की एफआईआर गैंगस्टर एक्ट के तहत थाना हजरतगंज में दर्ज की गई थी। 44 सालों के आपराधिक रिकॉर्ड के बाद जो गैंगस्टर खुला घूम रहा था, उसे पिछले 3 दिनों में अलग-अलग मामलों में सजा सुनाई गई है।
अब यहाँ सवाल यह उठता है कि जिस माफिया के खिलाफ राज्य और राज्य के बाहर 50 से ज्यादा संगीन मामले दर्ज हैं उस पर 44 सालों में कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
इसके लिए हमें मुख़्तार अंसारी की राजनीतिक क्रोनॉलॉजी समझने की जरूरत है…
मुख्तार अंसारी की पारिवारिक पृष्ठभूमि ‘राजनीतिक विविधताओं’ से भरी हुई हैं। स्वयं अंसारी ने राजनीति में बहुजन समाज पार्टी के जरिए कदम रखा था, जिसके बाद वो 2002, 2007, 2012 और 2017 में लगातार जीत हासिल करता रहा। इस दौरान उसने समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी में पाला बदलने के बाद खुद की पार्टी कौमी एकता दल का गठन भी किया।
मुख्तार अंसारी का बेटा अब्बास अंसारी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से संबंध रखता है जिसे लखनऊ की एमपी-एमएलए कोर्ट ने भगोड़ा घोषित किया हुआ है।
मुख्तार अंसारी के पिता कम्युनिस्ट नेता थे तो उनके दादा डॉ मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता संग्राम के दौरान 1927 में इंडियन नेशनल कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष पद पर रहे थे। पूर्व उप-राष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी, रिश्ते में मुख्तार अंसारी के चाचा हैं।
मुख्तार अंसारी को 44 सालों से राजनीतिक संरक्षण मिला है वरना ऐसा तो संभंव नहीं है कि ‘पूर्वांचल का डॉन’ 50 से ज्यादा संगीन मामलों के बाद भी खुला घूमता।
इसका सबसे बड़ा उदाहरण हम पंजाब पुलिस के मामले से ले सकते हैं। जनवरी, 2019 में पंजाब पुलिस ने एक बिल्डर की शिकायत में 10 करोड़ की फिरौती मांगने के संबंध में मुख्तार को गिरफ्तार किया था।
हालाँकि, ये पूरा मामला यूपी पुलिस से बचने के लिए शुरू किया गया था क्योंकि दो सालों के अंतराल में मुख्तार को लाने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस 8 बार पंजाब गई थी, लेकिन, पंजाब पुलिस ने उसे सौंपने से इंकार कर दिया गया था।
यहाँ तक की मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी मामले में कहा था कि मुख्तार को यूपी पुलिस को सौंपा जाना चाहिए। लेकिन, सियासी रसूख के आगे कोर्ट के आदेश की भी पालना नहीं की गई।
2017 में यूपी में योगी सरकार आने के बाद कानून व्यवस्था का ढ़ांचा ही बदल गया। भू-माफियाओं और गुंडा राज के खिलाफ योगी सरकार ने ताबड़तोड़ कार्रवाई शुरू की, जिसमें कई कार्रवाई में अंसारी और उसके सहयोगियों अरबों रूपए की संपत्ति भी कुर्क की गई है।
राज्य सरकार द्वारा ही 2003 का मामला कोर्ट में खुलवाया गया था, जिसमें मुख्तार अंसारी को 7 साल जेल की सजा हुई है। फिलहाल, ‘पूर्वांचल का डॉन’ बांदा जेल में एक अन्य मामले में बंद है।