आज 1 अक्टूबर को चीन का राष्ट्रीय दिवस है। माओ के नेतृत्व वाली कम्युनिस्ट पार्टी ने 1 अक्टूबर 1949 को ही चीन पर कब्जा किया था। इसी दिन चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से लम्बी चली लड़ाई के बाद चीन की राष्ट्रवादी पार्टी वाली सरकार को ताइवान भाग कर शरण लेनी पड़ी थी।
आज कम्युनिस्ट चीन की स्थापना के 73 वर्ष होने के मौके पर चीन की राजधानी बीजिंग में समारोह हो रहे हैं, जिनमें वर्तमान में चीन के राष्ट्रपति और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख शी जिनपिंग हिस्सा ले रहे हैं। लगातार अपनी विस्तारवादी और दमन की नीति से देश चलाने वाली कम्युनिस्ट पार्टी इस दिन को काफी प्रभावशाली तरीके से मना रही है।
01 अक्टूबर की सुबह को चीन की राजधानी बीजिंग में यह समारोह प्रारम्भ हुए, जिनकी तस्वीरें अब सामने आ रहीं है। इस समारोह में चीन की अपने ही लोगों के प्रति दमनकारी नीति के प्रति और पूर्व में किए अत्याचारों के प्रति कोई सहानुभूति का ना दिखाना चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की लोहे और लहू वाली विचारधारा को दर्शाता है।
कम्युनिस्टों को श्रद्धांजलि, जनता के लिए टैंक और गोलियां
चीन की राजधानी में हो रहे इस समारोह में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने तिआनमेन चौक पर कम्युनिस्ट सरकार की स्थापना के संघर्ष में मरे कम्युनिस्टों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने यहाँ पर लाल रिबन चढ़ाकर उनके योगदान को याद किया।
बीजिंग में सत्ता का केंद्र यह वही तिआनमेन चौक है, जहाँ पर 1989 में चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने अपने अधिकारों के लिए प्रदर्शन कर रहे छात्रों और आम नागरिकों का नरसंहार किया था। चीन के एक नेता की मृत्यु के बाद प्रारम्भ हुए इन प्रदर्शनों में सबसे बड़ा हिस्सा छात्रों का था।
1989 में प्रदर्शन कर रहे यह छात्र चीन के अंदर कम्युनिस्ट प्रोपेगेंडा को खत्म करने, लोकतंत्र को लाने और दुनिया से कटाव को कम करने की मांग कर रहे थे। यह छात्र चाहते थे कि उनकी मांगों को सुन कर चीन में लम्बे समय से कम्युनिस्टों के दमन को खत्म किया जाए और लोगों को उनके अधिकार दिए जाएं।
चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने इस प्रदर्शन को खत्म करने के लिए सेना को टैंकों के साथ सड़कों पर उतार दिया और प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर चारों तरफ से गोलियां चलाई, जो भाग रहे थे उनको पकड़ा गया, रास्ते में आने वाले आम लोगों को भी नहीं बख्शा गया, उनकी भी हत्या कर दी गई।
तिआनमेन चौक पर हुए भीषण नरसंहार में अनुमान के मुताबिक़ हजारों की संख्या में छात्र मारे गए, उस इलाके की सड़कें खून से लाल हो गई, चीन की कम्युनिस्ट सरकार का लाल झंडा एक बार फिर से छात्रों के खून से और भी लाल हो गया।
इस तरह से इस प्रदर्शन का अंत हो गया, विश्व में इस घटना की खबर ना पहुंचे इसकी काफी कोशिश चीन ने की, इस घटना से अमेरिका सहित विश्व के उन देशों के दावे भी झूठे साबित हुए कि चीन धीरे-धीरे लोकतंत्र की तरफ बढ़ रहा है।
कम्युनिस्टों से संघर्ष का प्रतीक, तिआनमेन का ‘टैंकमैन’
भीषण दमन और रक्तपात से अंत हुए इन प्रदर्शनों के बाद बीजिंग की सड़कों पर चीन की कम्युनिस्ट सेना के टैंकों का राज हो गया। उसी दौरान बीजिंग में अतर्राष्ट्रीय मामलों को कवर करने वाले असोसिएटेड प्रेस के पत्रकार जेफ़ वाइडनर एक होटल में रुके हुए थे जहाँ पर से तिआनमेन चौक साफ दिखता था।
उन्होंने 5 जून 1989 को एक ऐसी फोटो खींची जिससे आज भी चीन की कम्युनिस्ट सरकार डरती है। 5 जून की सुबह तिआनमेन चौक पर चीन की कम्युनिस्ट सेना के टैंकों को एक आम आदमी ने सामने खड़े होकर रोक लिया। इसकी तस्वीर अपनी होटल की बालकनी से वाइडनर ने ली।
यह व्यक्ति पूरे विश्व में टैंक मैन ऑफ तिआनमेन के नाम से जाना जाता है। यह तस्वीर पूरे विश्व में दमनकारी कम्युनिस्ट शासन के खिलाफ संघर्ष का प्रतीक मानी जाती है। यह व्यक्ति अपने हाथों में घरेलू सामान का झोला लिए चीन की कम्युनिस्ट सत्ता को चुनौती दे रहा था।