हाल ही में किए गए निजी सर्वेक्षणों से पता चला है कि चीन के विनिर्माण क्षेत्र (Manufacturing Sector) में पिछले महीने भारी गिरावट देखी गई, जो एशिया की फैक्ट्रियों में कमजोर प्रदर्शन की व्यापक समस्या को दर्शाता है। इस गिरावट ने विनिर्माण क्षेत्र में आर्थिक सुधार के बारे में चिंता बढ़ा दी हैं। सर्वेक्षणों में यह बात उजागर हुई है कि एशिया में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर गिर रही माँग से जूझ रहा है।
चीन के लिए Caixin/S&P Global manufacturing purchasing managers’ index (PMI) जून में 51.8 से गिरकर जुलाई में 49.8 पर आ गया, जो पिछले साल के अक्टूबर के बाद से सबसे निचला स्तर रहा है। विश्लेषकों को जुलाई महीने के लिए PMI के 51.5 रहने की उम्मीद थी। यह आंकड़ा, जो मुख्य रूप से छोटे निर्यात-संचालित फर्मों का प्रतिनिधित्व करता है, एक दिन पहले जारी किए गए आधिकारिक PMI सर्वेक्षण के अनुरूप है, जिसने संकेत दिया कि विनिर्माण गतिविधि पांच महीने के सबसे निचले स्तर पर आ गई है। क्षेत्रीय आपूर्ति श्रृंखलाओं और इसके पर्याप्त उपभोक्ता बाजार में देश की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए चीन के विनिर्माण क्षेत्र में मंदी एशियाई मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है।
जापान में भी मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर संकुचन का सामना कर रहा है। एयू जिबुन बैंक जापान का मैन्युफैक्चरिंग PMI जून में 50.0 से जुलाई में गिरकर 49.1 पर आ गया। यह तीन महीनों में पहली बार था जब सूचकांक 50.0 अंक से नीचे आया, जो विकास को संकुचन से अलग करता है। चीन और जापान दोनों में कमजोर विनिर्माण प्रदर्शन क्षेत्र के लिए एक चुनौतीपूर्ण आर्थिक दृष्टिकोण का संकेत देता है।
दक्षिण कोरिया के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में अभी तक तो विस्तार हो रहा है, लेकिन इसमें भी मंदी के संकेत दिखाई देने शुरू हो गए हैं। देश का PMI जुलाई में 51.4 पर रहा, जो जून महीने के लिए 52.0 रहा था। यह गिरावट विकास की धीमी गति का संकेतक है। पिछले छ महीनों में चिप निर्यात में सबसे अधिक वृद्धि के बावजूद चीन से निरंतर गिर रही मांग के के कारण कोरिया की चिप मैन्युफैक्चरिंग की वृद्धि को लेकर आशावाद कम हो रहा है।
एशिया में ताइवान की मैन्युफैक्चरिंग में विस्तार तो दिखाई दिया है पर वृद्धि की दर कम हुई है। ताइवान का PMI जून में 53.2 से थोड़ा गिरकर जुलाई में 52.9 पर आ गया। भारत में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर मजबूत घरेलू मांग के कारण ठोस गति से बढ़ता रहा है, पर इसपर लगातार इनपुट कॉस्ट का दबाव बना हुआ है। यही कारण है कि इनपुट कॉस्ट्स को ग्राहकों से वसूल किये जाने के कारण कीमतें पिछले एक दशक में सबसे तेज़ दर से बढ़ी हैं। इसके विपरीत, इंडोनेशिया और मलेशिया की अर्थव्यवस्था में जुलाई महीने के लिए मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में संकुचन देखा गया, जो व्यापक क्षेत्रीय कमजोरियों को दर्शाता है।
एशिया के लिए आर्थिक दृष्टिकोण वैश्विक वृद्धि की अपेक्षाओं से और भी जटिल है। इसके परिणामस्वरूप शेष वर्ष के लिए पूरे महाद्वीप में मैन्युफैक्चरिंग गतिविधि के प्रभावित रहने की संभावना है। कैपिटल इकोनॉमिक्स के शिवन टंडन के अनुसार वैश्विक विकास की धीमी गति एशिया में मैन्युफैक्चरिंग पर भारी पड़ सकती है। हालांकि, कुछ अर्थशास्त्रियों को यह उम्मीद है कि वैश्विक ब्याज दरों में सितंबर में शुरू होने वाली संभावित कटौती कठिन परिस्थितियों को थोड़ा आसान करने में सहायक सिद्ध होगी और कुछ आर्थिक राहत प्रदान कर सकती है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) एशिया की अर्थव्यवस्थाओं के लिए “soft landing” का अनुमान लगाता है, जो मुद्रास्फीति को कम करने और केंद्रीय बैंकों द्वारा मौद्रिक नीतियों को संभावित रूप से आसान बनाने से प्रेरित है। IMF का अनुमान है कि क्षेत्रीय विकास 2023 में 5% से घट कर इस साल 4.5% और 2025 में 4.3% हो जाएगा।
इन चुनौतियों के बावजूद कुछ अर्थव्यवस्थाओं के चलते आशा की किरण भी दिखाई देती है। दक्षिण कोरिया की मजबूत चिप बिक्री और ताइवान का निरंतर मैन्युफैक्चरिंग विस्तार इन अर्थव्यवस्थाओं के लचीलेपन को उजागर करता है। फिर भी चीन की भूमिका बड़ी है और इसका आर्थिक प्रदर्शन व्यापक क्षेत्र की में आर्थिक संभावनाओं को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करेगा। जुलाई के आंकड़ों से चीन के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए खतरे की घंटी है। इसके कारण एशिया की परस्पर जुड़ी अर्थव्यवस्थाओं में इस लहर के प्रभाव को महसूस किए जाने की संभावना है, जिससे रिवाइवल का रास्ता अनिश्चित और संभावित रूप से लंबा हो जाएगा।