आत्मनिर्भर भारत की सोच को पहली बार स्वर देने वाले स्वतंत्रता सेनानी वल्लियप्पन उलगनाथन चिदम्बरम पिल्लई की आज जयन्ती है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी वी ओ चिदम्बरम पिल्लई (V O Chidambaram Pillai) को श्रद्धांजलि दी। पीएम मोदी ने अपने ट्वीट में कहा, “महान वी ओ चिदम्बरम पिल्लई को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि। स्वतंत्रता संग्राम में महान योगदान के लिए हमारा राष्ट्र उनका ऋृणी है। उन्होंने आर्थिक प्रगति और आत्मनिर्भर बनने पर सदैव बल दिया। उनके आदर्श हमें आज भी प्रेरित करते हैं।”
चिदम्बरम पिल्लई 5 सितम्बर, 1872 को तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले में जन्मे थे। इनके पिता उलगनाथन पिल्लई प्रख्यात वकील थे। चिदम्बरम पिल्लई ने कैलडवेल कॉलेज, तूतीकोरिन से स्नातक की पढ़ाई की।
साल 1905 में चिदंबरम पिल्लई मद्रास गए और बाल गंगाधर तिलक के स्वदेशी आन्दोलन से जुड़ गए। स्वदेशी आन्दोलन में पिल्लई ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। साल 1906 में पिल्लई ने स्वदेशी स्टीम नेविगेशन कंपनी के नाम से एक स्वदेशी मर्चेंट शिपिंग संगठन स्थापित किया था।
इस संगठन का उद्देश्य तूतीकोरिन और श्रीलंका के बीच व्यापार मार्ग में ब्रिटिश इंडिया स्टीम नेविगेशन कंपनी के एकाधिकार को चुनौती देना था। साथ ही, भारत, श्रीलंका और अन्य एशियाई देश के लोगों को प्रशिक्षित कर उन्हें सागर-यात्रा के लिए तैयार करना था। इसके अलावा पिल्लई ने नेविगेशन और जहाज निर्माण में प्रशिक्षित करने के लिए कॉलेज की स्थापना करने के भी प्रयास किए थे।
पिल्लई ने सुब्रह्मण्यम शिव के साथ मिलकर स्वदेशी संगम नामक एक संगठन स्थापित किया। जिसका उद्देश्य स्वदेशी उत्पादों और प्रक्रिया को अपनाना था। इसके अलावा पिल्लई ने स्वेदशी प्रचार सभा, नेसावु सलाई, राष्ट्रीय गोदाम, मद्रास एग्रो-इंडस्ट्रियल सोसाइटी लिमिटेड जैसी कई संस्थाओं की नींव रखी। जिनका उद्देश्य स्वदेशी उत्पादों के उपयोग पर जोर देना था।
साल 1908 में ब्रिटिश स्वामित्व वाली कोरल मिल में मजदूरों के शोषण के विरुद्ध पहली आवाज पिल्लई ने ही उठाई थी। मजदूर वर्ग के लिए आवाज उठाने वालों की सूची में पिल्लई, गांधी जी से भी पहले आते हैं। पिल्लई ने अपने कार्यों से आत्मनिर्भर भारत का संदेश तो दिया ही, साथ ही, उपनिवेशवाद के खिलाफ भी स्वदेशी संस्थाओं का निर्माण कर एक महत्वपूर्ण कदम उठाने का प्रयास किया था।