भारत में चीतों की गुर्राहट फिर से सुनाई देने वाली है, लगातार कई बार लंबित हो चुकी परियोजना जल्द ही शुरू होने वाली है। चीतों को वापस भारत के जंगलों में वापस लाने का कार्यक्रम इस महीने की 17 तारीख को प्रधानमंत्री के हाथों शुरू होगा
अपने जन्मदिन के मौके पर वह मध्य प्रदेश में स्थित कूनो नेशनल पार्क में इस प्रोग्राम की शुरुआत करेंगे। प्रधानमंत्री 17 सितम्बर को दक्षिण अफ्रीका से लाए जा रहे इन चीतों को इस पार्क में प्रवेश कराएँगे।
यह जानकारी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कैबिनेट बैठक से पहले दी, चीतों को भारत लाने के प्रोग्राम के बारे में यह पहली आधिकारिक घोषणा है। इससे पहले इन चीतों को भारत में लाने की तारीख 75वें स्वतंत्रता दिवस यानी 15 अगस्त 2022 को रखी गई थी, लेकिन कुछ समस्याओं की वजह से यह फलीभूत नहीं हो पाया।
चीता और भारत
चीता भारत भूमि के लिए नए जंगली जानवर नहीं है, 1950 के पहले तक भारत के जंगलों में में इन जानवरों की काफी संख्या थी, वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट बताती है कि पहाड़ों को छोड़कर ब्रिटिश राज के दौरान भारत के जंगलों में काफी संख्या में चीते थे।
आखिरी तीन चीतों का शिकार सरगुजा के महाराज रामानुज देव प्रताप सिंह ने किया था, जिसके बाद 1952 में इन्हें आधिकारिक तौर से विलुप्त घोषित कर दिया गया था। लगातार शिकार, भोजन की अनुपलब्धता और आवास की स्थितियों में परिवर्तन चीतों के भारत में विलुप्त होने वजह बनी।
वापस लाने के प्रयास
भारत में चीतों को वापस लाने के प्रयास काफी समय से चलते आ रहे हैं पर ये कभी अपने आखिरी नतीजे पर नहीं पहुँच सके। शुरुआत में इरान से शाह रजा पहलवी की सरकार के दौरान चीतों को लाने के प्रयास किए गए थे, पर वहां चीतों की काफी कम संख्या होने के कारण इसका कुछ परिणाम नहीं निकल सका।
हालांकि, इस मुहिम में गंभीर प्रयास 2009 से प्रारम्भ हुए जब तत्कालीन वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि बिल्लियों की बड़ी प्रजाति में केवल चीता ही ऐसा जानवर है जो कि भारत में पूर्णतया विलुप्त हुआ है, अतः इसे वापस लाया जाना चाहिए।
हालांकि 2013 में सुप्रीम कोर्ट में इस विषय में एक याचिका पड़ने के कारण यह प्रोग्राम शिथिल हो गया था, पर 2020 में फैसला सरकार के पक्ष में आया कि चीतों को भारत में लाया जा सकता है, जिसके बाद इसके लिए तैयारियां तेज कर दी गईं ।
जुलाई 2022 में नामीबिया की उपप्रधानमंत्री नेतुम्बो नंदी न्दवैत्वाह और भारत के वन एवं पर्यावरण मामलों के मंत्री भूपेंद्र यादव के बीच नामीबिया से चीते लाने के लिए एक एमओयू पर हस्ताक्षर हुए थे जिससे इस कार्यक्रम को धरातल पर उतारा जा सके। इसके अतिरिक्त भारत ने दक्षिण अफ्रीका से भी चीतों को वापस लाने के लिए भी समझौता किया है ।
चीतों के लिए तैयारियां
भारत सरकार ने नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से चीते लाने के लिए समझौते किए हैं, अगले कुछ वर्षों में कुल 50 चीते भारत लाऐ जाएंगे, शुरुआत में 20 चीतों को लाने की योजना है जिसमें से 12 चीते दक्षिण अफ्रीका और 8 चीते नामीबिया से लाए जाएंगे।
कूनो नेशनल पार्क में सभी तैयारियां इन चीतों के लिए पूरी कर ली गईं हैं, इन चीतों के लिए एक विशेष क्षेत्र में बाड़ेबंदी की गई है, जिससे चीतों से बड़े जानवर इनका शिकार न कर सकें, इसके अलावा इस पूरे नेशनल पार्क के क्षेत्र को लगभग मानव आबादी रहित बनाया जा चुका है।
इस पूरे प्रोग्राम को नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) की देखरेख में पूरा किया जा रहा है, NTCA का भारत में बाघों के संरक्षण में सर्वाधिक योगदान रहा है। चीतों के लिए पार्क के कर्मचारियों की भी विशेष ट्रेनिंग भारत और अफ्रीका के विशेषज्ञों के द्वारा कराई गई है।