22 जुलाई, 2019 जब तीन साल पहले भारत ने चंद्रमा पर दूसरा मिशन, चंद्रयान-2 को अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया था। तब चंद्रमा की सतह को छूने से चंद मिनटों पहले इसका ज़मीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया और मिशन सफल न हो सका था।
तब इसरो के चीफ भावुक होकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गले लगे थे और प्रधानमंत्री ने इसरो के सभी वैज्ञानिकों से अपने लक्ष्य की ओर डटे रहने को कहा था और ये सुनिश्चित किया की देश अंतरिक्ष में अपनी सफलता को लेकर जश्न मनाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कही हुई बात अब सच होने जा रही है क्योंकि भारत लांच करने जा रहा है अपना तीसरा मिशन चंद्रयान-3।
14 जुलाई दोपहर के 2:35 मिनट पर भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में इतिहास रचने जा रहा है जब इसरो श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रमा के लिए अपने तीसरे मिशन चंद्रयान-3 को लॉन्च करेगा।
इसकी जानकारी इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने देते हुए कहा की यदि चंद्रयान-3 इस तारीख को लॉन्च होता है, तो संभवतः अगस्त के आखिरी सप्ताह तक चंद्रमा पर उतरने के लिए तैयार होंगे।
इसरो ने मंगलवार को ट्वीट करते हुए संपूर्ण लॉन्च से पहले तैयारी और प्रक्रिया का अनुकरण करते हुए 24 घंटे का लॉन्च रिहर्सल पूरा करने की घोषणा की। साथ ही लॉन्च पैड पर रखे LVM-3 रॉकेट को प्रदर्शित करते हुए कई तस्वीरें भी शेयर की।
3,900 किलोग्राम वजनी चंद्रयान-3 को LYM-3 लॉन्च वाहन के माध्यम से लॉन्च किया जाएगा। वही इसरो के चंद्रयान-3 मिशन को लेकर कुछ मुख्य उद्देश्य भी हैं। पहला, चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग करना। दूसरा, चंद्रमा पर रोवर को उतारना और तीसरा IN-C2 के वैज्ञानिक प्रयोगों का संचालन करना।
इस बार इसरो ने चंद्रयान-2 में रह गए एर्रोर्स से सीख लेकर चंद्रयान-3 में लगभग 21 बदलाव किए हैं ताकि इस मिशन को सफलतापूर्वक किया जा सके।
इसरो के अनुसार, चंद्रयान-3 मिशन में एक इंडिजेनस प्रोपल्शन मॉड्यूल, लैंडर मॉड्यूल और रोवर शामिल हैं। इसका प्राइमरी गोल इंटरप्लेनेटरी मिशन के लिए आवश्यक नई प्रौद्योगिकियों का विकास और प्रदर्शन करना है।
आपको बता दें, भारत चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के साथ चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला विश्व का चौथा देश बनने जा रहा है साथ ही चंद्रमा के साउथ पोल पर उतरने वाला यह विश्व का पहला मिशन होगा।
आज भारत के लिए चंद्रयान-3 का चंद्रमा में पहुंचना बेहद ही महत्वपूर्ण है क्योंकि तीन साल पहले चंद्रयान-2 को अपने मिशन पर पूरी सफलता नहीं मिल पाई थी। चंद्रयान-3 अब उसी अधूरी सफलता को पूरा करेगा और चंद्रमा की सतह पर ऊंचाइयों के नए परचम लहराएगा।
वैसे भारत को चंद्रयान-2 के समय पूर्ण सफलता न प्राप्त हुई हो मगर 22 अक्टूबर 2008 भारत ने चंद्रमा पर अपना पहला मिशन चंद्रयान-1 सफलतापूर्वक लांच किया था और अंतरिक्ष के क्षेत्र में नया आयाम स्थापित किया था।
तो हम यह कह सकते हैं कि भारत आज अंतरिक्ष की दुनिया में लगातार शक्तिशाली बन रहा है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2014 से पहले अंतरिक्ष क्षेत्र में केवल एक ही स्पेस टेक स्टार्टअप्स था जबकि अब भारत में ऐसे रजिस्टर्ड स्टार्टअप्स की संख्या 140 तक पहुंच गई है। ये एक बहुत बड़ा अंतर है दोनों ही आंकड़ों को देख कर आप इसका आसानी से अंदाज़ा लगा सकते हैं वहीं प्राइवेट स्पेस सेक्टर में भारत की हिस्सेदारी बढ़ चुकी है पहले हमारी हिस्से दारी 0.1% से भी कम थी लेकिन अब ये 2% से भी ज्यादा हो गई है।
इसके साथ ही भारत में ऐसी कंपनियों की संख्या भी 400 से ज्यादा हो गई है जो सैटेलाइट और रॉकेट इंजन को विकसित करने में मदद करती हैं। और भारत आज विश्व भर में पांचवें नंबर पर आता है जहां कंपनियां आज स्पेस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में काम कर रही है। इसरो आज दुनिया की छठी सबसे बड़ी अंतरिक्ष एजेंसी है। भारत के लिए यह बड़ी उपलब्धि है।
जिसके परिणाम स्वरूप अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा भी इसरो के साथ मिल कर काम करना चाहती हैं और इस समय भारत और अमेरिका भी कंधे से कन्धा मिला कर चल रहा है।
आज इस क्षेत्र में भारत की ताकत का संदेश वैश्विक समुदाय तक बखूबी पहुँचा है। 14 जुलाई को भारत अपना तीसरा मिशन चंद्रयान-3 को भी लॉन्च करने जा रहा है। ऐसे में भारत आज सुपर पावर देश बनने की ओर एक कदम और बढ़ा रहा है।
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